भारत अब केवल सीमाओं पर नहीं, बल्कि सूचना, विचारधारा और जनमानस के स्तर पर युद्ध लड़ रहा है।
इस युद्ध का सबसे खतरनाक चेहरा है — डिजिटल आतंकवाद, जहाँ दुश्मन हथियार नहीं, झूठे नैरेटिव और सोशल मीडिया के ज़रिए हमला करते हैं।
ऐसा ही एक चेहरा है — बिलावल खान उर्फ़ बिट्टू शर्मा, जो पाकिस्तान से ISI की ट्रेनिंग लेकर भारत में “हिंदू नाम” से समाज को तोड़ने का काम कर रहा है।
🔹 1. असली चेहरा: बिट्टू शर्मा नहीं, ISI एजेंट बिलावल खान
यह व्यक्ति वर्षों से “बिट्टू शर्मा” नाम से सोशल मीडिया पर सक्रिय है।
असल में यह पाकिस्तान का नागरिक बिलावल खान है, जिसे ISI ने बाकायदा प्रशिक्षित किया है —
- हिंदी भाषा सिखाई गई,
 - भारतीय समाज की जातीय और धार्मिक संरचना समझाई गई,
 - और यह सिखाया गया कि कैसे सोशल मीडिया के ज़रिए भारत में विभाजन फैलाया जा सकता है।
 
इसका मिशन स्पष्ट था —
👉 हिंदुओं को जातियों में बाँटना
👉 सिखों को हिंदू धर्म से अलग दिखाना
👉 दलितों और पिछड़ों में ब्राह्मण विरोध का बीज बोना
👉 और कांग्रेस तथा विपक्ष के लिए ‘मोदी विरोधी नैरेटिव’ तैयार करना।
🔹 2. सोशल मीडिया पर नफ़रत का नेटवर्क
यह एजेंट ट्विटर, फेसबुक और यूट्यूब जैसे प्लेटफ़ॉर्मों पर सक्रिय रहा है।
इसने हिंदू समाज के भीतर फूट डालने के लिए कई नकली बहसें शुरू कीं —
- “ब्राह्मणवाद बनाम दलित”,
 - “हिंदू बनाम सिख”,
 - “उत्तर बनाम दक्षिण भारत”,
 - “संस्कृति बनाम आधुनिकता”।
 - इनका मकसद था हिंदू एकता को कमजोर करना ताकि भारत की सांस्कृतिक जड़ें हिल जाएं।
 - इसके शब्दों में अक्सर पाकिस्तानी लहजा साफ झलकता था — जैसे “जियादा”, “हमारी कौम”, “मुल्क” आदि।
 
🔹 3. कांग्रेस और विपक्ष की चुप्पी – संयोग या साजिश?
- बिट्टू शर्मा के पोस्ट्स को कांग्रेस, समाजवादी पार्टी और वामपंथी पत्रकारोंने बार-बार शेयर किया।
 - इनके ट्वीट्स को कांग्रेस के प्रवक्ता पसंद करते थे, और कुछ तथाकथित “इंटेलेक्चुअल्स” उन्हें आगे बढ़ाते थे।
 - क्या यह मात्र इत्तेफ़ाक़ है कि पाकिस्तान से चलने वाला प्रोपेगैंडा भारत के विपक्ष के नैरेटिव से मेल खाता है?
 - या फिर यह एक साझा वैचारिक गठजोड़ है जो भारत की स्थिरता को तोड़ना चाहता है?
 - कांग्रेस ने पहले भी विदेशी NGOs और इस्लामी लॉबीज़ के साथ मिलकर भारत विरोधी नैरेटिव को समर्थन दिया है
 - और अब यही नेटवर्क सोशल मीडिया पर ISI एजेंटों के ज़रिए सक्रिय है।
 
🔹 4. सहानुभूति का हथियार – भावनात्मक जाल
- इस एजेंट ने कभी अपनी बेटी की तस्वीर डाली जो जन्मजात जेनेटिक डिसऑर्डरसे पीड़ित है।
 - यह सहानुभूति पाने की चाल थी। पाकिस्तान में कज़िन मैरिज के कारण यह आम है, पर इसे भारत में ‘दुखी पिता’ के रूप में पेश कर लोगों का विश्वास जीतने का तरीका बनाया गया।
 - इसने भारत के युवाओं, विशेषकर Gen Z वर्ग में ‘आत्मग्लानि और संशय’ का भाव भरा — ताकि वे अपने धर्म और राष्ट्र पर ही प्रश्न उठाएं।
 
🔹 5. मीडिया और विश्वविद्यालयों में घुसपैठ
- इस तरह के एजेंट अकेले काम नहीं करते। इनके पीछे एक पूरा “इकोसिस्टम” खड़ा होता है —
 - कुछ मीडिया घराने जो विदेशी एजेंसियों से फंड लेकर भारत की छवि धूमिल करते हैं।
 - कुछ विश्वविद्यालय जहाँ वामपंथी प्रोफेसर “राष्ट्रवाद विरोध” को “अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता” बताकर छात्रों का ब्रेनवॉश करते हैं।
 - और कुछ NGO जो “मानवाधिकार” के नाम पर भारत विरोधी एजेंडा को फंड करते हैं।
 
यही लोग CAA, NRC, राम मंदिर, या अनुच्छेद 370 जैसे मुद्दों पर विरोध प्रदर्शन और झूठे नैरेटिव फैलाते हैं।
इनका मकसद है —
- “भारत को भीतर से कमजोर करना, ताकि बाहरी ताकतें हमें निर्देशित कर सकें।”
 
🔹 6. ISI और कांग्रेस का नीतिगत गठजोड़
- कांग्रेस के शासनकाल में पाकिस्तान को कई बार “मोस्ट फेवर्ड नेशन” का दर्जा दिया गया।
 - कश्मीर के मुद्दे पर भी कांग्रेस ने हमेशा पाकिस्तान के रुख़ को मौन स्वीकृति दी।
 - आज वही नीति सोशल मीडिया पर लागू की जा रही है — जहाँ ISI के एजेंट विपक्षी दलों के प्रचारक बनकर भारत के खिलाफ़ माहौल बना रहे हैं।
 - यह “विचारधारा का युद्ध” है — जहाँ दुश्मन अब हथियारों से नहीं, बल्कि ट्वीट्स, वीडियो और फेक नैरेटिव्स से हमला कर रहा है।
 
🔹 7. भारत विरोधी नैरेटिव का अंतरराष्ट्रीय नेटवर्क
- इस एजेंट की सामग्री को ब्रिटेन, कनाडा और अमेरिका के कुछ पोर्टल्सने भी शेयर किया।
 - वहाँ के “South Asian Human Rights” नामक संगठनों ने इसे “Indian liberal voice” के रूप में प्रमोट किया।
 - वास्तव में ये सब वही पुराना नेटवर्क है जो भारत की बढ़ती शक्ति से परेशान है
 - क्योंकि मोदी के नेतृत्व में भारत अब “Global Superpower” बनने की दिशा में अग्रसर है।
 - इसलिए पश्चिमी लॉबी और इस्लामिक नेटवर्क मिलकर भारत में “डिजिटल अस्थिरता” फैलाने की कोशिश कर रहे हैं।
 
🔹 8. अब क्या करना होगा – राष्ट्ररक्षा का जनआंदोलन
- सरकार को ऐसे ISI एजेंटों और फेक अकाउंट्स की गहन जांच करनी चाहिए।
 - विदेशी फंडिंग से चलने वाले NGOs की वित्तीय ऑडिट अनिवार्य हो।
 - विश्वविद्यालयों में वैचारिक सफाईहो — ताकि राष्ट्रविरोधी विचारधारा फैलाने वालों को बाहर किया जा सके।
 - जनता को सोशल मीडिया साक्षर बनाना होगा — ताकि कोई उन्हें झूठे प्रोपेगैंडा से न बहकाए।
 - सबसे ज़रूरी — हिंदू समाज को एकजुट और सजग रहना होगा।
 
🔹 9. यह वैचारिक युद्ध है, सजग बनो
- यह कोई मामूली सोशल मीडिया प्रकरण नहीं — यह भारत के खिलाफ़ सूचना युद्ध (Information Warfare) का हिस्सा है।
 - इसका लक्ष्य है — भारत की एकता, संस्कृति, और सनातन धर्म को तोड़ना।
लेकिन भारत का इतिहास गवाह है — - जब-जब कोई विदेशी ताकत भारत को तोड़ने आई, तब-तब यहाँ के राष्ट्रभक्तों ने उसे परास्त किया।
 - अब वही समय फिर आ गया है।
 - हर राष्ट्रप्रेमी को यह प्रण लेना होगा कि वह ऐसे प्रोपेगैंडा का न सिर्फ़ विरोध करेगा, बल्कि सत्य, धर्म और राष्ट्रहित की रक्षा के लिए खड़ा रहेगा।
 
🔹 मुख्य संदेश
- “भारत को बाहरी दुश्मनों से नहीं, अंदर के गद्दारों से सबसे बड़ा खतरा है।
 - और इन गद्दारों को पहचानना, उजागर करना और उनका प्रतिकार करना ही आज का राष्ट्रधर्म है।”
 
🇮🇳 जय भारत, वन्देमातरम 🇮🇳
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