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बुर्का, नकाब, मदरसे और कट्टरपंथ

बुर्का, नकाब, मदरसे और कट्टरपंथ – राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा

आज जब पूरी दुनिया लोकतंत्र और धर्मनिरपेक्षता के मूल्यों को अपनाकर आगे बढ़ रही है, भारत एक ऐसे मोड़ पर खड़ा है जहाँ उसे धार्मिक तुष्टिकरण और राष्ट्रीय एकता के बीच चुनना होगा। यह समझना आवश्यक है कि बुर्का, नकाब और बेकाबू मदरसों-मस्जिदों का विस्तार अब केवल धार्मिक या सांस्कृतिक विषय नहीं हैं, बल्कि ये राष्ट्र की सुरक्षा के लिए गंभीर खतरा बन चुके हैं

🌐 गल्फ देशों की सच्ची इस्लामी सोच भारत कब जागेगा?

कट्टरपंथियों के प्रचार के विपरीत, सऊदी अरब, यूएई, बहरीन, कतर, कुवैत जैसे गल्फ देश अब बुर्का और नकाब जैसे दमनकारी प्रतीकों से दूर हो रहे हैं

  • वहाँ महिलाएँ ड्राइव करती हैं, सेना में हैं, बिजनेस चलाती हैं, मंत्री बनती हैं और चेहरे ढंके बिना स्वतंत्रता से चलती हैं।
  • जिहाद को अब वहाँ एक खतरे के रूप में देखा जाता है, और इसे इस्लाम विरोधी माना गया है
  • वहाँ मस्जिदों और मदरसों का इस्तेमाल कट्टरता फैलाने या आतंक के लिए नहीं होने दिया जाता

सबसे अहम बात – वे दक्षिण एशिया के मुसलमानों को सच्चा मुसलमाननहीं मानते, बल्कि दूसरी श्रेणी के परिवर्तित मुसलमान समझते हैं, जो धर्म के नाम पर हिंसा और झूठे रिवाज़ों में फंसे हैं

🕋 दक्षिण एशिया में इस्लाम का विकृत स्वरूप

इसके विपरीत, पाकिस्तान, बांग्लादेश और भारत के कुछ हिस्सों में इस्लाम का एक कट्टर और राजनीतिक रूप बढ़ रहा है:

बुर्का और नकाब अपराधियों की ढाल:

चोरी, मानव तस्करी, और आतंक की कई घटनाएँ बुर्का और नकाब की आड़ में की गईं।

इन वस्त्रों में पहचान छुप जाती है, जिससे कानून व्यवस्था पर असर पड़ता है

मदरसे और मस्जिदें इबादतगाह या आतंक के अड्डे?

कई जगहों पर बिना पंजीकरण के मदरसे और मस्जिदें चलाई जा रही हैं, जहाँ आतंकियों को छिपाया जाता है या युवाओं को कट्टरपंथी बनाया जाता है

विदेशी फंडिंग, विशेष रूप से वहाबी विचारधारा, इस जहरीली सोच को बढ़ा रही है।

गैरमुस्लिमों के लिए नोएंट्री?

जहाँ हिंदू मंदिर, चर्च और गुरुद्वारे सभी धर्मों के लिए खुले होते हैं, वहीं कई मस्जिदें गैरमुस्लिमों को अंदर आने से मना करती हैं, जो भारत की गंगाजमुनी तहज़ीब के खिलाफ है

जिहाद धर्म के नाम पर हिंसा का हथियार:

लव जिहाद, ज़मीन जिहाद और हिंसक जिहाद अब खुलेआम प्रचारित किए जा रहे हैं, सोशल मीडिया, व्हाट्सएप और मौलवियों के भाषणों के माध्यम से

🚨 संवेदनशीलता नहीं, सुरक्षा ज़रूरी राष्ट्र सर्वोपरि

भारत ने धर्म के नाम पर बहुत आतंकी हमले, दंगे और सांप्रदायिक बिखराव देखे हैं। अब यह ज़रूरी है कि हम तुष्टिकरण छोड़कर राष्ट्र, महिलाओं की आज़ादी और लोकतांत्रिक मूल्यों की रक्षा करें

अब समय है कि:

बुर्का और नकाब पर सार्वजनिक स्थलों में प्रतिबंध लगे:

  • इस्लाम में अनिवार्य नहीं हैं, बल्कि राजनीतिक प्रतीक हैं
  • किर्गिज़स्तान (90% मुस्लिम आबादी) ने इन्हें आतंकी खतरे के कारण बैन किया है

मदरसे और मस्जिदों को सरकार के नियंत्रण में लाया जाए:

  • पंजीकरण अनिवार्य किया जाए।
  • विदेशी फंडिंग की पारदर्शिता सुनिश्चित हो।
  • पाठ्यक्रम में भारतीय संविधान, नैतिक शिक्षा और इतिहास को शामिल किया जाए।

जिहाद के प्रचार पर कड़ी सजा हो:

  • कट्टर विचार फैलाने वालों को देशद्रोही माना जाए
  • ऐसे संगठनों को भंग किया जाए जो धर्म के नाम पर हिंसा को बढ़ावा देते हैं।

यूनिफॉर्म सिविल कोड (समान नागरिक संहिता) तुरंत लागू हो:

  • कोई भी समुदाय अलगअलग पुराने कानूनों के तहत नहीं जी सकता

एक भारत, एक कानून का सिद्धांत लागू हो।

🧕 महिलाओं की आज़ादी ज़रूरी है बुर्का की कैद नहीं

  • भारतीय मुस्लिम महिलाओं को भी गल्फ की महिलाओं जैसी आज़ादी मिलनी चाहिए
  • ऐसे प्रतीकों की महिमा बंद होनी चाहिए जो पहचान और सोच को कैद कर देते हैं

अब समय है कि भारत के मुसलमान सच्चे इस्लाम को अपनाएं जो शांति, इंसाफ और भाईचारे का प्रतीक है

🚩 तुष्टिकरण अब नहीं भारत सर्वोपरि

भारत 140 करोड़ नागरिकों का देश है, किसी एक मज़हब या विचारधारा का नहीं। हमें कट्टरपंथ, मौन और राजनीतिक तुष्टिकरण से ऊपर उठकर एक सुरक्षित, एकजुट और प्रगतिशील भारत बनाना है।

🇳🇪 जय भारत, वन्देमातरम 🇳🇪

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