जापान का सबक
- जापान, एक ऐसा देश जिसे 1945 में दो परमाणु बमों ने खंडहर बना दिया था। वह चाहता तो दशकों तक रोता-गिड़गिड़ाता रहता, दुनिया से भीख माँगता रहता। लेकिन उसने ऐसा नहीं किया। उसने अपने राष्ट्र को आत्मसम्मान, अनुशासन और श्रम से खड़ा किया।
- आज तक जापान ने अमेरिका या पश्चिम से भीख नहीं माँगी। उसने अपने दम पर खड़े होकर खुद को एक शक्तिशाली अर्थव्यवस्था बना लिया।
लेकिन एक कहानी है, जो और भी गहरी चोट करती है।
- एक भारतीय व्यक्ति, जो एक साल से जापान में रह रहा था, उसने नोटिस किया कि जापानी लोग विनम्र और मददगार तो थे, लेकिन उन्होंने कभी उसे अपने घर नहीं बुलाया — चाय तक के लिए नहीं।
- हैरान होकर उसने एक जापानी दोस्त से पूछा —
“ऐसा क्यों है कि कोई मुझे घर नहीं बुलाता?” - दोस्त ने ठहरकर जवाब दिया —
“क्योंकि हम भारतीय इतिहास पढ़ते हैं… प्रेरणा के लिए नहीं, बल्कि चेतावनी के लिए।”
चेतावनी
भारतीय स्तब्ध रह गया — “चेतावनी?”
जापानी दोस्त ने समझाया:
- “भारत पर कितने ब्रिटिश शासक थे? दस-बारह हज़ार? और भारतीय कितने थे? 30 करोड़ से भी ज़्यादा? तो फिर असल में तुम पर शासन किसने किया? किसने अपने ही लोगों को कोड़े मारे, गोलियाँ चलाईं, यातनाएँ दीं?
- जब जनरल डायर ने जलियाँवाला बाग़ में ‘फ़ायर’ का आदेश दिया, ट्रिगर किसने दबाया? अंग्रेज़ों ने नहीं — भारतीयों ने। और एक भी बंदूक अंग्रेज़ शासक की ओर नहीं मुड़ी।”
- भारतीय मौन रह गया। यह सच उसके दिल को चीर गया।
- जापानी ने आगे कहा —
“यही तुम्हारी असली ग़ुलामी थी — शरीर की नहीं, आत्मा की।” - फिर उसने और गहरी चोट की:
“मुग़ल कितने आए थे? कुछ हज़ार? और उन्होंने सदियों तक शासन किया। क्यों? क्योंकि तुम्हारे ही लोगों ने झुककर उनकी सेवा की। - तुम्हारे ही भाइयों ने धर्म बदला, सत्ता और चाँदी के लिए अपने राष्ट्र नायकों को धोखा दिया।
- चंद्रशेखर आज़ाद को किसने धोखा दिया? भगत सिंह को किसने फाँसी पर चढ़ने दिया? तुम्हारे ही लोग।”
- “तुम्हें बाहरी दुश्मन की ज़रूरत नहीं। तुम्हें तुम्हारे ही लोग बार-बार धोखा देते हैं — सत्ता, पद और व्यक्तिगत स्वार्थ के लिए।यही कारण है कि हम दूरी बनाए रखते हैं।”
भारत के लिए आईना
जापानी दोस्त रुका नहीं।
- “जब ब्रिटिश हांगकांग और सिंगापुर पहुँचे, तो एक भी स्थानीय आदमी उनकी सेना में शामिल नहीं हुआ। लेकिन भारत में? तुमने दुश्मन की सेवा की, उनकी पूजा की, अपने ही लोगों को मार डाला।”
और फिर सबसे कड़वा सच:
- “आज भी तुम नहीं बदले। थोड़ी मुफ़्त बिजली, एक शराब की बोतल, एक कंबल, या कुछ सौ रुपए… और तुम्हारा वोट, तुम्हारा ईमान, तुम्हारी निष्ठा बिक जाती है। तुम नारे लगाते हो, झंडे लहराते हो।
- लेकिन जब देश तुम्हारे चरित्र को पुकारता है, तुम गायब हो जाते हो। तुम्हारी पहली निष्ठा आज भी खुद और अपने परिवार तक ही सीमित है। बाक़ी — समाज, धर्म, देश — जलते रहें।”
फिर उसने कहा:
- “अगर तुम्हारा राष्ट्र मज़बूत नहीं है, तो तुम्हारा घर कभी सुरक्षित नहीं हो सकता। और अगर तुम्हारा चरित्र कमज़ोर है, तो कोई झंडा तुम्हें बचा नहीं सकता।”
आज की दुखद सच्चाई
और अफ़सोस की बात है कि यही कड़वा सच आज भी हमारे बीच ज़िंदा है।
- 2025 में भी भारत में देशभक्तों से ज़्यादा ग़द्दार हैं।
- आज भी करोड़ों लोग अपनी निष्ठा छोटे-मोटे लाभों के लिए बेच देते हैं।
- आज भी एक बड़ा वर्ग सोचता है — “देश को कोई और बचा लेगा, मैं तमाशबीन रहूँ।”
- जो देशभक्ति की बातें करते हैं, उनमें से अधिकांश लोग केवल शब्दों तक सीमित हैं। उनके पास देश के लिए समय नहीं। लेकिन ग़द्दार? वे दिन-रात काम कर रहे हैं।
- वे “सेक्युलरिज़्म”, “लिबरलिज़्म” और “फ्रीडम ऑफ़ एक्सप्रेशन” का मुखौटा पहनकर भीतर से भारत को खोखला कर रहे हैं।
- वे उन्हीं ताक़तों का बचाव करते हैं जो खुलेआम भारत को तोड़ने का सपना देखते हैं।
राजनीतिक रणभूमि
यही वजह है कि भारत आज चौराहे पर खड़ा है।
- एक तरफ़ हैं — प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, उनकी टीम और भाजपा — जिन्होंने भारत को मज़बूत किया, दुनिया में सम्मान दिलाया, और आत्मनिर्भर भारत का निर्माण किया।
- दूसरी तरफ़ हैं — भ्रष्ट और सत्ता-लोभी विपक्ष। वे पार्टियाँ जिन्होंने दशकों तक वोटर लिस्ट से छेड़छाड़ की, ग़लत तत्वों को खुश किया, और लोकतंत्र को खोखला किया। उनका मक़सद भारत को मज़बूत बनाना नहीं, बल्कि बाँटना और लूटना है।
- अगर देशभक्त चुप रहे, तो यही ताक़तें भारत को दो दशकों में पाकिस्तान बना देंगी। और हम सब जानते हैं कि विभाजन के बाद पाकिस्तान में हिंदुओं के साथ क्या हुआ — हत्याएँ, जबरन धर्मांतरण, अपने ही घर से बेदखली।
क्या हम वही इतिहास दोहराना चाहते हैं?
देशभक्तों के लिए पुकार
भारत को अब नारों वाले देशभक्त नहीं चाहिए। उसे चाहिए:
- अटल चरित्र वाले नागरिक
- आज़ादी के रक्षक, सिर्फ़ सेनानी नहीं
- हाथों में झंडे ही नहीं, दिलों में निष्ठा भी
> अब समय आ गया है कि हर सनातनी, हर राष्ट्रवादी, हर सच्चा भारतीय अपने आराम, अपनी उदासीनता और अपने स्वार्थ से ऊपर उठे और मोदी जी और भाजपा के साथ मज़बूती से खड़ा हो।
> क्योंकि मज़बूत सरकार और एकजुट जनता के बिना भारत फिर से भीतर से धोखे का शिकार होगा।
- जापानी सबक कड़वा है, लेकिन यह एक आईना है। असली समस्या सिर्फ़ विदेशी आक्रमणकारी नहीं थे। असली समस्या हमारी अपनी कमजोरी थी — विश्वासघात, स्वार्थ, और एकता की कमी।
- अगर हमने इस रास्ते को नहीं बदला, तो इतिहास खुद को दोहराएगा।
- लेकिन अगर हम जागे, एकजुट हुए, और राष्ट्र को सबसे ऊपर रखा — तो भारत उठेगा, और सिर्फ़ क्षेत्रीय शक्ति नहीं, बल्कि दुनिया की शीर्ष 3 महाशक्तियों में से एक बनेगा।
- चुनाव हमारा है।
यह कड़वा है। लेकिन यही सच है।
🇮🇳 जय भारत, वन्देमातरम 🇮🇳
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