Skip to content Skip to sidebar Skip to footer
छत्तीसगढ़ में बढ़ते धर्मांतरण

छत्तीसगढ़ में बढ़ते जबरन धर्मांतरण ने सरकार को सख्त कानून लाने पर मजबूर किया

आदिवासी क्षेत्रों में बढ़ती धर्मांतरण की घटनाएँ – सांस्कृतिक सुरक्षा, राष्ट्रीय रणनीति और कड़े कानूनों की आवश्यकता

1. छत्तीसगढ़ से परे एक व्यापक खतरा

  • छत्तीसगढ़ के आदिवासी क्षेत्रों में बढ़ते जबरन और प्रलोभन आधारित धर्मांतरण अब केवल एक राज्य की समस्या नहीं रह गए हैं — यह पूरे भारत की सांस्कृतिक और जनसांख्यिकीय चुनौती बन चुकी है।
  • झारखंड, ओडिशा, मध्यप्रदेश, उत्तर-पूर्व के राज्य, और अंतरराष्ट्रीय सीमावर्ती क्षेत्र जैसे बिहार, पश्चिम बंगाल, असम, नागालैंड, मिजोरम, अरुणाचल प्रदेश और त्रिपुरा — इन सभी में इसी तरह की गतिविधियाँ तेजी से फैल रही हैं।
  • गरीबी, अशिक्षा और सामाजिक अलगाव का फायदा उठाकर विदेशी धन से संचालित मिशनरी संगठन इन इलाकों में स्थानीय परंपराओं और आस्था को तोड़ने का प्रयास कर रहे हैं।
  • यह धर्मांतरण स्वेच्छा नहीं, बल्कि धोखे, दबाव और लालच के परिणाम हैं।
    यह तरीका वैसा ही है जैसा माओवादी संगठनों ने गरीबी और असंतोष का शोषण कर भारत में दशकों तक हिंसा फैलाई थी।
  • जैसे भारत ने माओवाद को सख्त कानून, रणनीतिक कार्रवाई और विकास योजनाओंके जरिए नियंत्रित किया, वैसे ही अब धर्मांतरण माफिया पर एक राष्ट्रव्यापी कानून और रणनीति बनाना समय की मांग है।

2. छत्तीसगढ़: सुनियोजित धार्मिक षड्यंत्र का केंद्र

  • छत्तीसगढ़ के आदिवासी क्षेत्र — बस्तर, नारायणपुर, दंतेवाड़ा, दुर्ग और जशपुर — धर्मांतरण के नए हॉटस्पॉट बन चुके हैं।
  • यहां के कई “चंगाई सभा”, “प्रार्थना मीटिंग्स”, और “नौकरी या शिक्षा देने के बहाने” चलाए जा रहे कार्यक्रमों का असली उद्देश्य हिंदू और आदिवासी समाज को ईसाई धर्म में परिवर्तित करना है।

मिशनरियों द्वारा अपनाई गई सामान्य चालें:

  • चंगाई सभा (Healing Meetings): चमत्कार और रोग मुक्ति के नाम पर लोगों को भ्रमित करना।
  • शैक्षणिक दबाव: मिशनरी स्कूलों और कॉलेजों में छात्रों पर धर्म बदलने का दबाव डालना।
  • रोजगार या विवाह के झांसे: नौकरी या शादी का लालच देकर धर्म परिवर्तन कराना।
  • स्थानीय देवी-देवताओं का अपमान: जनजातीय देवताओं को अपमानित कर झूठे तर्क देना।
  • आर्थिक प्रलोभन: धन, दवाइयाँ, भोजन या सहायता के बदले धर्मांतरण कराना।

इन सबके कारण आदिवासी समाज में गहरी सामाजिक दरारेंपैदा हो रही हैं और उनकी आस्था की जड़ों को कमजोरकिया जा रहा है।

3. 2025 की प्रमुख घटनाएँ

  • जुलाई 2025 – नारायणपुर–दुर्ग:
    दो ननों और एक महिला को तीन आदिवासी लड़कियों को नर्सिंग जॉब के बहाने आगरा ले जाने के आरोप में गिरफ्तार किया गया। शक है कि उन्हें धर्मांतरण के लिए ले जाया जा रहा था।
  • फरवरी–मार्च 2025 – अमलेश्वर (दुर्ग जिला):
    प्रार्थना सभा के नाम पर चल रहे धर्मांतरण शिविर पर छापा। लगभग 100 लोग हिरासत में और 3 पादरी गिरफ्तार।
  • अप्रैल 2025 – बहातराई (बिलासपुर):
    एक पादरी और उसकी पत्नी ने “रोगमुक्ति चमत्कार” के नाम पर गाँव वालों को ईसाई धर्म अपनाने को कहा। छह लोग गिरफ्तार।
  • अप्रैल 2025 – होली क्रॉस नर्सिंग कॉलेज (जशपुर):
    एक छात्रा ने प्रिंसिपल नन पर धर्म बदलने का दबाव डालने का आरोप लगाया। मामला न्यायिक प्रक्रिया में।
  • मंगेली, कोरबा, सरगुजा:
    गांव-गांव जाकर पादरियों द्वारा देवी-देवताओं का अपमान, पैसे और इलाज का लालच देकर धर्मांतरण कराने की शिकायतें लगातार बढ़ रही हैं।

4. सामाजिक और सभ्यतागत प्रभाव

  • जनजातीय पहचान का ह्रास: प्राचीन पूजा परंपराएं और देवी-देवताओं की मान्यताएं मिटाई जा रही हैं।
  • सांस्कृतिक विभाजन: परिवर्तित लोग अपनी ही बिरादरी से अलग हो रहे हैं।
  • सामाजिक टकराव: स्थानीय संगठनों और मिशनरियों के बीच लगातार विवाद बढ़ रहे हैं।
  • राष्ट्रीय सुरक्षा पर असर: सीमावर्ती क्षेत्रों में ये गतिविधियाँ बाहरी ताकतों को भारत की एकता तोड़ने का अवसर देती हैं।

यदि यह प्रवृत्ति अनियंत्रित रही तो आने वाले वर्षों में भारत का जनसांख्यिकीय और सांस्कृतिक स्वरूप ही बदल सकता है।

5. कानूनी ढांचा और उसकी कमियाँ

  • भारतीय संविधान का अनुच्छेद 25 प्रत्येक नागरिक को धर्म की स्वतंत्रता देता है — लेकिन यह स्वतंत्रता जबरदस्ती या धोखे से धर्म बदलने का अधिकार नहीं देती
  • छत्तीसगढ़ धार्मिक स्वतंत्रता अधिनियम, 1968 इस दिशा में पहला कदम था, लेकिन मौजूदा हालात ने यह साबित कर दिया है कि इसकी सजा और प्रवर्तन दोनों कमजोर हैं।

इसीलिए उपमुख्यमंत्री विजय शर्मा ने घोषणा की है कि जल्द ही एक नया और सख्त कानून विधानसभा में लाया जाएगा।

  • “यह कानून अन्य राज्यों से भी एक कदम आगे होगा। इसमें ‘चंगाई सभा’ जैसी भ्रामक गतिविधियों पर भी स्पष्ट प्रतिबंध होगा।”

6. पूरे भारत के लिए एकीकृत रणनीति की आवश्यकता

  • जबरन धर्मांतरण की समस्या केवल छत्तीसगढ़ तक सीमित नहीं है — यह राष्ट्रीय स्तर की चुनौती है।
  • जैसे भारत ने माओवादी आतंक को केंद्र और राज्यों के साझा प्रयासोंसे नियंत्रित किया, वैसे ही धर्मांतरण के खिलाफ भी एक राष्ट्रव्यापी योजना और कानून जरूरी है।

महत्वपूर्ण कदम:

  • राष्ट्रीय स्तर पर समान कानून: सभी राज्यों के लिए एक समान “धर्मांतरण विरोधी अधिनियम”।
  • सीमावर्ती और जनजातीय निगरानी इकाइयाँ: मिशनरी गतिविधियों पर विशेष निगरानी।
  • आर्थिक सशक्तिकरण: गरीबी और बेरोज़गारी को समाप्त करना जो लोगों को प्रलोभन में धकेलती है।
  • संस्कृति जागरण अभियान: जनजातीय समाज में अपनी परंपराओं के प्रति गर्व का विकास।
  • विदेशी NGO की निगरानी: फंडिंग और गतिविधियों पर सख्त नियंत्रण।
  • ग्रामीण सुरक्षा समितियाँ: जबरन धर्मांतरण के खिलाफ स्थानीय निगरानी और रिपोर्टिंग नेटवर्क।

भारत ने जैसे माओवाद को कड़े कानूनों और राष्ट्रीय इच्छाशक्ति से कमज़ोर किया, वैसे ही इस धर्मांतरण माफिया को भी समाप्त किया जाना होगा है।

7. धर्म की स्वतंत्रता बनाम जिम्मेदारी

  • भारत की आत्मा उसकी आध्यात्मिक विविधता और सह-अस्तित्व में है।
    धर्म प्रचार की स्वतंत्रता का अर्थ यह नहीं कि किसी की आस्था को तोड़ा जाए।
  • सच्ची धार्मिक स्वतंत्रता वही है जो बुद्धि और विवेक से अपनाई जाए, न कि डर, लालच या दबाव में।

8. राष्ट्रीय चेतना का आह्वान

  • जो समस्या एक समय केवल आदिवासी गाँवों तक सीमित थी, आज वह राष्ट्रीय सुरक्षा और सांस्कृतिक अस्तित्व का प्रश्न बन चुकी है।
  • यह संघर्ष किसी धर्म के खिलाफ नहीं, बल्कि धोखे, छल, और सांस्कृतिक विनाश के खिलाफहै।
  • सनातन धर्म की रक्षा, जनजातीय परंपराओं का संरक्षण और भारत की एकता के लिए अब जागरूकता, कानून और दृढ़ संकल्प की आवश्यकता है।

🇮🇳 जय भारत, वन्देमातरम 🇮🇳

पुराने ब्लॉग्स के लिए कृपया हमारी वेबसाईट www.saveindia108.in पर जाएं।

हमारे व्हाट्सएप कम्यूनिटी में जुड़ने के लिए कृपया इस लिंक पर क्लिक करें: https://chat.whatsapp.com/FMr2WNIgrUVG9xK78FW5Dl?mode=r_t

टेलीग्राम ग्रुप से जुडने के लिए https://t.me/+T2nsHyG7NA83Yzdlपर क्लिक करेँ। पुराने ब्लॉग्स टेलीग्राम ग्रुप पर भी उपलब्ध हैं।

Share Post

Leave a comment

from the blog

Latest Posts and Articles

We have undertaken a focused initiative to raise awareness among Hindus regarding the challenges currently confronting us as a community, our Hindu religion, and our Hindu nation, and to deeply understand the potential consequences of these issues. Through this awareness, Hindus will come to realize the underlying causes of these problems, identify the factors and entities contributing to them, and explore the solutions available. Equally essential, they will learn the critical role they can play in actively addressing these challenges

SaveIndia © 2025. All Rights Reserved.