हमें यह समझने की ज़रूरत है कि आज जो शब्द हम सुनते हैं — “कम्युनलिज्म“, “सेक्युलरिज्म“, “नॉन वायलेंस“, “टॉलरेंस“, — ये सब सुनने में उदात्त लगते हैं, लेकिन इनका इस्तेमाल सिर्फ हिंदू समाज को कमजोर और गिल्ट–ट्रैप में फंसाने के लिए हुआ है।
🧠 गांधीवाद और बौद्ध अहिंसा ने हमारे अस्तित्व को ही खतरे में डाल दिया
- बुद्ध की अहिंसा ने हमें इतने निष्क्रिय बना दिया कि हम अफगानिस्तान को गंवा बैठे — जहाँ से कभी वैदिक ज्ञान की नदियाँ बहती थीं।
- गांधी की अहिंसा ने हमें पाकिस्तान और बांग्लादेश का स्थायी दर्द दे दिया — क्योंकि जब दुश्मन तलवार लिए सामने था, तब हम चरखा घुमा रहे थे।
- क्या हमने इतिहास से नहीं सीखा कि कायरता कभी शांति नहीं लाती — सिर्फ गुलामी लाती है?
🧷 आज़ादी के बाद हिंदुओं के पैरों में नई ज़ंजीरें डाल दी गईं
- सेक्युलरिज्म — केवल हिंदू बहुल भारत में ही क्यों? क्यों नहीं मुस्लिम और ईसाई देशों में?
- कम्युनलिज्म — जब हिंदू अपने अधिकार की बात करे तो “दंगाई”, लेकिन जब दूसरे समुदाय खुलेआम नफरत फैलाएं तो “माइनॉरिटी राइट्स”?
- नॉन–वायलेंस — क्या इसे कभी पाकिस्तान, बांग्लादेश, या कश्मीर के जिहादियों पर लागू किया गया?
👉 इन सबका नतीजा ये हुआ कि अफगानिस्तान, पाकिस्तान, बांग्लादेश के बाद अब हिंदू धीरे–धीरे भारत में भी हाशिये पर धकेला जा रहा है।
⚠️ क्या बचे हुए भारत को भी हम ऐसे ही खो देंगे?
- आज हिंदू बंगाल में पीटे जा रहे हैं, केरल में मारे जा रहे हैं, कश्मीर में भागे हुए हैं, और शेष भारत में मौन हैं।
- जो लोग हमें बेघर कर चुके हैं, वही आज विक्टिम कार्ड खेल रहे हैं।
- और हम? हम इतने शांत हैं कि अपनी पीड़ा को भी पी गए हैं।
👉 क्या अब भी नहीं जागे तो इतिहास की आखिरी चेतावनी समझो।
⚔️ हथियार नहीं तो अस्तित्व नहीं — अपने घर को सुरक्षा केंद्र बनाओ
- समय आ गया है कि हर हिंदू परिवार आत्मरक्षा में निपुण हो।
- युवाओं को सिर्फ प्रतियोगिता परीक्षा नहीं, धर्म युद्ध के लिए मानसिक और शारीरिक रूप से तैयार करना होगा।
- पुलिस, सेना, और कानून पर सब छोड़ना अब पुरानी बात हो चुकी है — हमें स्वयं अपनी सुरक्षा करनी होगी।
📜 इतिहास कहता है — जब हिंदू जागा, तब विजेता बना
- विक्रमादित्य, पुष्यमित्र शुंग, गुरु गोविंद सिंह, छत्रपति शिवाजी, महाराणा प्रताप, मराठा वीर —
- सब एक ही बात सिखाते हैं:
“जब हिंदू अपनी पहचान याद करता है, तब शत्रु धराशायी होता है।” - मराठा कभी मिलिट्री नस्ल नहीं माने जाते थे, लेकिन उन्होंने ही अटक से कटक तक भगवा फहराया।
👉 हमारी कमजोरी हमारी स्मृति में है — और शक्ति हमारे इतिहास में छिपी है।
🌞 अब शारीरिक, मानसिक और सांस्कृतिक ‘शस्त्रीकरण‘ जरूरी है
- योग, सूर्य नमस्कार, प्राचीन युद्ध कौशल, सामूहिक अभ्यास — ये सब फिर से हमारे घरों का हिस्सा बनना चाहिए।
- बच्चों को सिर्फ इंजीनियर और डॉक्टर नहीं, बलिदानी, योद्धा और धर्मरक्षक भी बनाना होगा।
- मीडिया, सोशल मीडिया और संस्कृति की लड़ाई में भी हम पीछे नहीं रह सकते।
🛑 हमें शत्रुओं से पहले अपनी खुद की मूर्छा से लड़ना होगा
- आत्म-ग्लानि, गिल्ट और शर्म का बोझ उतार फेंको।
- “हिंदू” शब्द को गर्व से बोलो, डरो मत।
- सेक्युलरिज्म के जहर से खुद को बचाओ और राष्ट्र के प्रति स्पष्ट और निर्भीक दृष्टिकोण अपनाओ।
🚩 हिंदू रक्षक, हिंदू योद्धा बनो — अब नहीं तो कभी नहीं
- तुम 100 करोड़ हो — तुम्हारे पास संख्या है, शक्ति है, परंपरा है, सत्य है।
- अगर सिर्फ 5 करोड़ हिंदू भी संगठित और जागरूक हो जाएं, तो देश का भविष्य बदल जाएगा।
- यह धर्मयुद्ध है — वोट, विचार, व्यवहार और वीरता — चारों शस्त्रों से लड़ना होगा।
📢 अंतिम आह्वान:
- “हिंदुओं! अब समय है — शौर्य, संगठन और संस्कार के साथ खड़े होने का।
- ताकि भारत सिर्फ भूगोल से नहीं, आत्मा से भी हिंदू राष्ट्र बन सके!”
🇮🇳जय भारत, वन्देमातरम 🇮
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