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काँग्रेस का हिंदुओं

काँग्रेस का हिंदुओं के विरूद्ध एक असफल प्रयास: सांप्रदायिक हिंसा बिल

काँग्रेस और सांप्रदायिक हिंसा बिल

कांग्रेस पार्टी ने 2011 से 2013 के बीच सांप्रदायिक हिंसा बिल को कई बार पेश किया। अगर यह बिल पास हो जाता, तो यह हिंदुओं के अधिकारों और स्वतंत्रता को गंभीर रूप से प्रभावित करता। लेकिन बीजेपी के मजबूत विरोध के कारण यह कानून पारित नहीं हो सका, जिससे हिंदू समाज को एक बड़ी तबाही से बचा लिया गया।

कांग्रेस की छिपी साजिश

भारत को इस्लामिक राष्ट्र बनाने का प्रयास

लंबे समय तक शासन करने की योजना:
गांधी परिवार की मंशा उनके प्रतीकात्मक कार्यों में साफ दिखती है। उदाहरण के लिए, प्रियंका वाड्रा ने अपने बेटे का नाम रेहान रखा, जो एक मुस्लिम नाम है। इसका उद्देश्य था कांग्रेस पार्टी के लिए रेहान वाड्रा को एक मुस्लिम नेता के रूप में प्रस्तुत करना।

हिंदू समाज को कमजोर करने की साजिश

सांप्रदायिक हिंसा बिल, जिसे सोनिया गांधी की देखरेख में बनाया गया था, हिंदुओं को कमजोर करने और उन्हें सुनियोजित तरीके से हाशिये पर डालने के लिए एक खतरनाक उपकरण था।

क्या था सांप्रदायिक हिंसा बिल?

यह बिल दंगों को नियंत्रित करने के लिए नहीं, बल्कि हिंदुओं को अपराधी ठहराने और अल्पसंख्यकों को अत्यधिक अधिकार देने के लिए बनाया गया था।

खतरनाक प्रावधान

  1. हिंदू जजों पर प्रतिबंध:
    दंगों के दौरान अल्पसंख्यकों से जुड़े मामलों की सुनवाई हिंदू जज नहीं कर सकते थे।
  2. बिना सबूत जेल:
    केवल आरोप के आधार पर हिंदू को जेल भेजा जा सकता था।
  3. अल्पसंख्यकों के खिलाफ केस दर्ज करने पर रोक:
    दंगों में अल्पसंख्यकों के खिलाफ केस दर्ज नहीं किया जा सकता था।
  4. किराए पर घर देने की मजबूरी:
    अल्पसंख्यकों को घर देने से इनकार करने पर कानूनी कार्रवाई हो सकती थी।

कैसे बचाया बीजेपी और हिंदू नेताओं ने देश को

सुब्रमण्यम स्वामी का विरोध

डॉ. सुब्रमण्यम स्वामी ने इस बिल का पहला विरोध किया और इसके खतरनाक प्रावधानों को उजागर किया।

बीजेपी का दृढ़ रुख

बीजेपी ने संसद में इस बिल का पुरजोर विरोध किया। उनकी मजबूत नीति के कारण यह कानून पास नहीं हो सका।

हमारे लिए संदेश

जागरूकता जरूरी है

अधिकतर हिंदू इस बिल और इसकी साजिश से अनजान हैं। युवाओं को खुद जागरूक होकर दूसरों को भी इसकी जानकारी देनी चाहिए।

एकता ही ताकत है

मुस्लिम समुदाय सीएए के खिलाफ एकजुट हुआ, जबकि हिंदू समाज बंटा हुआ है। इस विभाजन को दूर करना होगा।

राजनीतिक सतर्कता

उन नीतियों और नेताओं का विरोध करें जो हिंदू समाज के खिलाफ हैं।

भविष्य आपके हाथ में है

सांप्रदायिक हिंसा बिल एक चेतावनी है, जो दिखाता है कि कुछ राजनीतिक ताकतें हिंदू समाज को कमजोर करने के लिए किस हद तक जा सकती हैं। एकजुट हों, सतर्क रहें और सुनिश्चित करें कि ऐसे कानून फिर कभी पेश न हों।

इस संदेश को अधिक से अधिक लोगों तक पहुंचाएं। कांग्रेस की हिंदू विरोधी साजिश को उजागर करें।
जय हिंद! जय सनातन धर्म!

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