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कांग्रेस के द्वारा मुसलमानों

कांग्रेस के द्वारा मुसलमानों का तुष्टीकरण

स्वतंत्रता के बाद से, कांग्रेस ने वोटबैंक राजनीति को प्राथमिकता देते हुए नीतियां और कानून बनाए जो सीधे तौर पर बहुसंख्यक हिंदू समाज के हितों के खिलाफ और अल्पसंख्यक समुदायों के विशेषाधिकार के लिए थे। इसका उद्देश्य एक ऐसा वोट बैंक तैयार करना था, जो कांग्रेस को सत्ता में बनाए रखे, भले ही इसके लिए भारत की सामाजिक संरचना, सांस्कृतिक पहचान, और राष्ट्रीय सुरक्षा से समझौता क्यों करना पड़े।

संविधान और नीतिगत तुष्टीकरण की रणनीति

1. अनुच्छेद 25: धर्मांतरण को वैधता देना

भारतीय संविधान के अनुच्छेद 25 ने धर्मांतरण कोधार्मिक स्वतंत्रताके नाम पर वैध बना दिया।

इसका फायदा विदेशी मिशनरी संगठनों और इस्लामिक संस्थाओं ने उठाया, जिन्होंने गरीब और हाशिए पर मौजूद हिंदू समुदायों को धर्मांतरण का निशाना बनाया।

धर्मांतरण के माध्यम से जनसंख्या असंतुलन पैदा हुआ, जिससे लंबे समय में भारत की सांस्कृतिक पहचान को खतरा पैदा हुआ।

2. अनुच्छेद 28 और 30: धार्मिक शिक्षा में भेदभाव

अनुच्छेद 28: सरकारी स्कूलों में हिंदू धार्मिक शिक्षा पर रोक लगा दी गई।

अनुच्छेद 30: अल्पसंख्यक समुदायों (मुस्लिम और ईसाई) को अपने धार्मिक शिक्षण संस्थानों को स्वतंत्र रूप से चलाने और सरकारी फंड प्राप्त करने का अधिकार दिया गया।

नतीजा यह हुआ कि हिंदू धर्म और संस्कृति को शिक्षा प्रणाली से पूरी तरह अलग कर दिया गया, जबकि अल्पसंख्यक समुदायों की धार्मिक पहचान को संरक्षित किया गया।

3. एचआरसीई अधिनियम (1951): हिंदू मंदिरों पर नियंत्रण

यह अधिनियम केवल हिंदू मंदिरों और उनकी संपत्तियों पर लागू किया गया, जबकि मस्जिदों और चर्चों को इससे बाहर रखा गया।

सरकार ने मंदिरों की संपत्तियों और चढ़ावे का उपयोग अन्य कार्यों के लिए किया, जिससे हिंदू धार्मिक संस्थानों की स्वायत्तता खत्म हो गई।

यह हिंदू धार्मिक अधिकारों का गंभीर उल्लंघन था।

4. हिंदू कोड बिल (1956): कानूनी भेदभाव

हिंदू विवाह और संपत्ति कानूनों में कठोर सुधार किए गए, लेकिन मुस्लिम पर्सनल लॉ को पूरी तरह से छुआ तक नहीं गया।

मुसलमानों को बहुविवाह और अन्य विशेषाधिकारों की छूट दी गई।

5. विशेष विवाह अधिनियम (1954): लव जिहाद को बढ़ावा

इस अधिनियम के माध्यम से अंतरधार्मिक विवाह को प्रोत्साहित किया गया।

यह कानून हिंदू लड़कियों को मुस्लिम लड़कों से शादी करने के लिए एक कानूनी सहूलियत प्रदान करता है, जिससे हिंदू समाज मेंलव जिहादजैसी समस्याएं बढ़ीं।

6. धर्मनिरपेक्षता का जबरन सम्मिलन (1975):

आपातकाल के दौरान इंदिरा गांधी ने संविधान मेंधर्मनिरपेक्षताशब्द जोड़ा।

इसका उद्देश्य हिंदू समाज की धार्मिक प्राथमिकताओं को खत्म करना और अल्पसंख्यकों को विशेष दर्जा देना था।

कांग्रेस द्वारा सांस्कृतिक और ऐतिहासिक क्षरण

1. इतिहास का विकृतीकरण

कांग्रेस के शासन में इतिहास की किताबों को इस तरह से लिखा गया कि हिंदू योद्धाओं, जैसे महाराणा प्रताप, छत्रपति शिवाजी, और गुरु गोविंद सिंह के योगदान को कम कर दिया गया।

मुगलों, जैसे अकबर और औरंगजेब, को महिमामंडित किया गया, जबकि उनकी क्रूरता और अत्याचारों को छिपाया गया।

2. रामसेतु पर हमला (2007):

कांग्रेस सरकार ने एक शपथ पत्र दाखिल किया जिसमें भगवान राम के अस्तित्व को नकारा गया।

यह हिंदुओं की धार्मिक भावनाओं पर सीधा आघात था।

3. भगवा आतंकवाद का प्रचार (2009):

भगवा आतंकवादजैसे शब्दों का गढ़न हिंदू धर्म को कट्टरपंथी और आतंकवाद से जोड़ने का प्रयास था।

कांग्रेस का यह प्रोपेगेंडा हिंदू समाज की छवि को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर खराब करने के लिए था।

अल्पसंख्यकों के लिए विशेषाधिकार: हिंदुओं के अधिकारों का हनन

1. अल्पसंख्यक आयोग अधिनियम (1991):

इस अधिनियम ने अल्पसंख्यकों को सरकारी नौकरियों, छात्रवृत्ति, और अन्य विशेषाधिकार दिए।

बहुसंख्यक हिंदुओं को इन लाभों से वंचित कर दिया गया।

2. वक्फ अधिनियम (1995):

वक्फ बोर्ड को इतनी शक्ति दी गई कि वह किसी भी हिंदू संपत्ति पर दावा कर सकता है।

इससे मुसलमान देश के सबसे बड़े जमींदार बन गए।

3. तीन तलाक और बुर्का:

कांग्रेस ने कभी भी तीन तलाक और बुर्का जैसी प्रथाओं को सामाजिक बुराई नहीं माना।

इसके विपरीत, हिंदू समाज के रीतिरिवाजों और प्रथाओं कोपिछड़ाकरार दिया।

कांग्रेस की नीतियों का दीर्घकालिक प्रभाव

1. जनसंख्या असंतुलन:

धर्मांतरण और विशेषाधिकारों ने हिंदू समाज को धीरेधीरे कमजोर किया।

2. सांस्कृतिक पतन:

शिक्षा प्रणाली और कानूनों में भेदभाव ने हिंदू संस्कृति और मूल्यों को खत्म करने का प्रयास किया।

3. राष्ट्रीय सुरक्षा पर असर:

तुष्टीकरण की राजनीति ने आतंकवाद और अलगाववाद को बढ़ावा दिया।

मोदी सरकार के नेतृत्व में बदलाव

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत ने अपनी सांस्कृतिक पहचान और राष्ट्रीय सुरक्षा को मजबूत करने की दिशा में ठोस कदम उठाए हैं:

1. धार्मिक स्वतंत्रता:

काशी विश्वनाथ और महाकाल मंदिर जैसे प्रोजेक्ट्स से हिंदू धार्मिक स्थलों का पुनर्निर्माण।

2. तीन तलाक पर प्रतिबंध:

मुस्लिम महिलाओं को न्याय दिलाने के लिए ऐतिहासिक फैसला।

3. CAA और धारा 370 का हटाया जाना:

हिंदू शरणार्थियों को न्याय और कश्मीर में स्थिरता लाने के लिए ठोस कदम।

क्या करना होगा हिंदू समाज को?

1. राजनीतिक जागरूकता:

कांग्रेस और अन्य हिंदू विरोधी पार्टियों को वोट दें।

2. सांस्कृतिक एकता:

अपनी परंपराओं और धर्म के प्रति गर्व करें।

3. राष्ट्रीय एकता:

एकजुट होकर देश की सुरक्षा और संप्रभुता की रक्षा करें।

हिंदू समाज को अब यह समझने की आवश्यकता है कि कांग्रेस और अन्य तुष्टीकरण करने वाली पार्टियां देश और धर्म के लिए कितनी हानिकारक रही हैं।

उठो, जागो और तब तक मत रुको जब तक लक्ष्य प्राप्त हो जाए।

जय हिंद! जय श्रीराम!

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