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कांग्रेस

कांग्रेस का असली चेहरा बेनकाब

सुप्रीम कोर्ट में Places of Worship Act 1991 के खिलाफ दायर जनहित याचिका (PIL) ने कांग्रेस को ऐसी स्थिति में ला खड़ा किया है, जहां उसे मजबूरन अपनी असली नीति का प्रदर्शन करना पड़ा। यह कानून स्वतंत्रता के बाद से कांग्रेस की तथाकथित धर्मनिरपेक्ष छवि को बनाए रखने का हिस्सा था, लेकिन अब अश्विनी उपाध्याय की चुनौती ने इस नकाब को उतार दिया है।

 कांग्रेस की दोहरी राजनीति उजागर

अपने मुस्लिम वोट बैंक को बचाने के लिए कांग्रेस ने आखिरकार सुप्रीम कोर्ट में कदम रखा और Places of Worship Act को बनाए रखने का समर्थन किया। यह कदम कांग्रेस की धर्मनिरपेक्षता की सच्चाई को उजागर करता है। यह दिखाता है कि कांग्रेस के निर्णय और नीतियां केवल एक विशेष वोट बैंक को संतुष्ट करने के लिए बनाई गई थीं।

टीएमसी, आम आदमी पार्टी, आरजेडी, AIMIM, AIMPLB, जमीयत उलेमा-ए-हिंद, और वामपंथी दलों की तरह, कांग्रेस ने भी याचिका का विरोध करने का फैसला किया। इन पार्टियों ने खुलकर अपने मुस्लिम समर्थन का प्रदर्शन किया, लेकिन कांग्रेस, जो लंबे समय से ‘धर्मनिरपेक्षता’ के नाम पर हिंदुओं को भ्रमित करती आई थी, अब ऐसी स्थिति में आ गई है, जहां उसका असली चेहरा सामने आ गया।

 कांग्रेस का असमंजस और मुस्लिम लीग का समर्थन

कांग्रेस के सामने यह असमंजस था कि अगर वह सुप्रीम कोर्ट में याचिका का विरोध नहीं करती, तो उसका मुस्लिम वोट बैंक टूट सकता था। दूसरी ओर, अगर वह इसका विरोध करती है, तो उसका असली हिंदू विरोधी चेहरा सामने आ जाता। अंततः, कांग्रेस ने वह नकाब उतार फेंका, जिसे उसने 70 सालों तक पहना था, और खुलकर मुस्लिम लीग की भूमिका निभाने का निर्णय लिया।

कांग्रेस के दिग्गज वकील जैसे कपिल सिब्बल, अभिषेक मनु सिंघवी, सलमान खुर्शीद, संजय हेगड़े, और प्रशांत भूषण जैसे नाम अब सुप्रीम कोर्ट में इस कानून को बनाए रखने के लिए सक्रिय हो गए हैं। कांग्रेस ने सुप्रीम कोर्ट में यह मांग की है कि मुगलों द्वारा तोड़े गए मंदिरों का सर्वे नहीं होना चाहिए और Places of Worship Act 1991 को यथावत रखा जाए।

 हिंदुओं के लिए चुनौती और विकल्प

यह घटना कांग्रेस की नीतियों और मानसिकता को उजागर करती है। हिंदू समुदाय के लिए यह एक गंभीर क्षण है, जहां उन्हें यह तय करना होगा कि वे किसका समर्थन करेंगे। कांग्रेस, जो संविधान की शपथ लेती है और हिंदू समुदाय के टैक्स पर चलती है, लेकिन अपनी नीतियों से मुगलों की गुलामी करती है, या ऐसे नेता और संगठन, जो हिंदुओं के अधिकारों और उनके धार्मिक स्थलों की रक्षा के लिए खड़े हैं।

 काशी और मथुरा के लिए संघर्ष

Places of Worship Act के बने रहने से काशी, मथुरा और अन्य ऐतिहासिक धार्मिक स्थलों को वापस पाना लगभग असंभव हो जाएगा। कांग्रेस और अन्य विपक्षी पार्टियों की नीतियां हिंदुओं के ऐतिहासिक और सांस्कृतिक अधिकारों के खिलाफ हैं।

 आपकी भूमिका महत्वपूर्ण

यह समय है जब हर हिंदू को जागरूक होना होगा। यदि आप चाहते हैं कि काशी, मथुरा, संभल, और ऐसे अन्य ऐतिहासिक स्थल हिंदुओं को वापस मिलें, तो यह संदेश हर हिंदू तक पहुंचाना होगा।

अश्विनी उपाध्याय जी ने कांग्रेस का असली चरित्र हिंदुओं के सामने रख दिया है। अब यह जिम्मेदारी हिंदू समाज की है कि वह अपनी एकता दिखाए और अपनी विरासत को पुनः प्राप्त करे।

जागो हिंदू जागो! कांग्रेस की नीतियों का विरोध करो और अपने धर्म और सांस्कृतिक अधिकारों के लिए खड़े हो जाओ!”

जय भारत! है हिन्द!!

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