कांग्रेस का असली चेहरा
- भारत की सबसे पुरानी पार्टी कांग्रेस आज ऐसे मोड़ पर पहुँच चुकी है जहाँ लोकतंत्र सिर्फ़ एक दिखावा रह गया है।
- कांग्रेस का उद्देश्य अब राष्ट्रहित नहीं, बल्कि हर कीमत पर सत्ता प्राप्त करना बन चुका है — चाहे इसके लिए देश की एकता, आस्था और सुरक्षा को ही क्यों न दांव पर लगाना पड़े।
राधिका खेरा का विद्रोह — “रामभक्तों” से नफ़रत करने वाली पार्टी
- वरिष्ठ कांग्रेसी नेता राधिका खेरा ने खुलकर बताया कि उन्हें सिर्फ़ इसलिए अपमानित किया गया क्योंकि उन्होंने अयोध्या के श्रीराम मंदिर में दर्शन किए और अपने घर पर “जय श्रीराम” का झंडा लगाया।
- खेरा का आरोप है कि भारत जोड़ो न्याय यात्रा के दौरान छत्तीसगढ़ कांग्रेस नेताओं ने उनके साथ दुर्व्यवहार किया, शराब ऑफर की और शिकायत करने पर उन्हीं को दोषी ठहराया गया।
- जब उन्होंने पार्टी से कहा कि वह मंदिर गई थीं, तो जवाब मिला — “यह पार्टी लाइन के खिलाफ है।”
खेरा ने भावुक होकर कहा —
“मैंने कांग्रेस को 22 साल दिए — NSUI से लेकर AICC तक — लेकिन जिस दिन मैंने राम का नाम लिया, वे मुझसे नफ़रत करने लगे।”
इस्तीफा देते समय उन्होंने कहा —
- “हाँ, मैं एक लड़की हूँ, और मैं लड़ सकती हूँ — अपने धर्म, अपने आत्मसम्मान और अपने देश के लिए।”
सुशील कुमार शिंदे का खुलासा — “भगवा आतंकवाद” का झूठ
- पूर्व गृहमंत्री सुशील कुमार शिंदे ने स्वीकार किया कि “भगवा आतंकवाद” वाला उनका बयान कांग्रेस नेतृत्व के दबाव में दिया गया था।
- बाद में उन्होंने कहा कि यह “गलती” थी, जिसे संसद में नहीं बल्कि एक सम्मेलन में कहा गया था।
- यह साबित करता है कि कांग्रेस ने राष्ट्रीय सुरक्षा और धार्मिक भावनाओं को वोट बैंक की राजनीति के लिए हथियार बनाया।
- नेतृत्व की चुप्पी ने दिखाया कि मक़सद स्पष्ट था — हिंदुओं के ख़िलाफ़ झूठी कथा गढ़ना।
लक्ष्मण सिंह का बयान — “मोदी–विरोध की हद पार हो गई”
- वरिष्ठ नेता और दिग्विजय सिंह के भाई लक्ष्मण सिंह ने राहुल गांधी की हिंदू विरोधी टिप्पणी पर कहा —
- “हिंदुओं पर की गई टिप्पणी अनुचित और अनावश्यक थी। हमें राष्ट्र और जनता के मुद्दों पर ध्यान देना चाहिए।”
- यह बयान बताता है कि कांग्रेस के अंदर भी कुछ लोग पार्टी की हिंदू विरोधी प्रवृत्ति से असहज हैं।
शशि थरूर का संकेत — “परिवारवाद ने पार्टी को खोखला किया”
सांसद शशि थरूर ने कहा कि रक्षा और राष्ट्रीय सुरक्षा जैसे मुद्दे राजनीति से ऊपर होने चाहिए, जो पार्टी के भीतर विचारों की आज़ादी की कमी को उजागर करता है।
उन्होंने कहा —
- “हम नेतृत्व को खुला रखना भूल गए हैं। कांग्रेस अब बहस नहीं, नियंत्रण चाहती है।”
- यह साफ़ संकेत है कि परिवारवाद और सत्ता की भूख ने कांग्रेस की लोकतांत्रिक आत्मा को मार दिया है।
जनरल जे.जे. सिंह का खुलासा — “सियाचिन पाकिस्तान को सौंपने की योजना थी”
- पूर्व थलसेनाध्यक्ष जनरल जे.जे. सिंह ने बताया कि 2006 में कांग्रेस सरकार सियाचिन ग्लेशियर को पाकिस्तान के साथ संयुक्त नियंत्रण में देने की योजना बना रही थी — और सेना से यह बात छिपाई गई थी।
- यह कदम राष्ट्र की सुरक्षा के लिए सीधा खतरा था।
- उन्होंने कहा — “यह उन शहीदों के अपमान के समान होता जिन्होंने सियाचिन के हर इंच के लिए अपना खून बहाया।”
एक बार फिर, कांग्रेस ने दिखाया कि विदेशी दबाव के आगे राष्ट्रहित उनके लिए गौण है।
आपातकाल से आज तक — नियंत्रण की राजनीति
- पूर्व मंत्री पी. चिदंबरम ने माना कि 1975 का आपातकाल “एक गलती” थी, जिसे बाद में इंदिरा गांधी ने भी स्वीकार किया।
- उन्होंने यह भी कहा कि ऑपरेशन ब्लू स्टार “एक दुखद त्रासदी” थी जिसने धार्मिक आस्था को गहरी चोट दी।
- यह दिखाता है कि कांग्रेस की पुरानी नीति रही है — सत्ता बचाने के लिए स्वतंत्रता और न्याय का गला घोंट देना।
के.एन. राजन्ना का मामला — “विरोध की कोई जगह नहीं”
- निलंबित मंत्री के.एन. राजन्ना ने कहा कि उन्हें केवल इसलिए हटाया गया क्योंकि उन्होंने मतदाता सूची में धांधली का खुलासा किया था।
- उन्होंने कहा कि उनके खिलाफ “षड्यंत्र” रचा गया और यह सब राहुल गांधी के इशारे पर हुआ।
- यह स्पष्ट करता है कि कांग्रेस में स्वतंत्र सोच की कोई जगह नहीं — आदेश मानो या बाहर जाओ।
ए.के. एंटनी का कबूलनामा — “26/11 पर अमेरिका के दबाव में झुके”
- पूर्व रक्षा मंत्री ए.के. एंटनी ने स्वीकार किया कि 26/11 मुंबई हमलों के बाद सेना कार्रवाई को तैयार थी, पर कांग्रेस नेतृत्व ने अमेरिकी दबाव में कदम पीछे खींच लिए।
- यह दिखाता है कि कांग्रेस की कमजोरी ने भारत की रणनीतिक साख को नुकसान पहुँचाया।
सत्ता बनाम देशभक्ति — कांग्रेस का खतरनाक खेल
- आज की कांग्रेस मोदी सरकार को गिराने के लिए किसी भी हद तक जा सकती है, चाहे उसे देश-विरोधी ताकतों या विदेशी एजेंसियों से ही क्यों न हाथ मिलाना पड़े।
- विपक्ष का यह तथाकथित “ठगबंधन” भारत को अस्थिर करने, अराजकता फैलाने और सत्ता हथियाने का प्रयास है।
- आतंकवाद, अलगाववाद और विदेशी एजेंडे पर कांग्रेस की चुप्पी इसका प्रमाण है।
कांग्रेस की नीति — “फूट डालो और राज करो”
- कांग्रेस अब धार्मिक विभाजन और तुष्टिकरण की राजनीति पर चल रही है।
- मुस्लिम वोट बैंक के लिए वह हिंदू समाज को जाति और संप्रदाय में बाँट रही है — जो राष्ट्रीय एकता के लिए घातक खेल है।
मोदी सरकार — राष्ट्र पुनर्जागरण का अभियान
- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भारत को विश्व की शीर्ष-3 अर्थव्यवस्थाओं में लाने के मिशन पर हैं।
- आत्मनिर्भर भारत, रक्षा आधुनिकीकरण और सशक्त कूटनीति के माध्यम से भारत अपनी सभ्यतागत पहचान वापस पा रहा है।
- हर देशभक्त नागरिक का यह कर्तव्य है कि वह इस मिशन में एकजुट होकर साथ दे।
चेतावनी — “ठगबंधन” का खतरा
- अगर यह कांग्रेस-नेतृत्व वाला विपक्ष सत्ता में लौटता है,
- तो वही पुराना चक्र दोबारा शुरू होगा —
भ्रष्टाचार, घोटाले और राष्ट्रीय विघटन। - भारत फिर से कमजोर और विभाजित हो जाएगा।
- इसलिए जागरूक रहना और संगठित रहना अब हमारी जिम्मेदारी है।
राष्ट्र के प्रति धर्म
- कांग्रेस अब लोकतांत्रिक पार्टी नहीं रही — वह विदेशी विचारधाराओं और आंतरिक तानाशाही की कठपुतली बन चुकी है।
- हर राष्ट्रभक्त का यह पवित्र कर्तव्य है कि वह इस खेल को पहचाने बीजेपी को पूर्ण रूप से समर्थन देकर और भारत की एकता और अखंडता की रक्षा करे।
🇮🇳जय भारत, वन्देमातरम 🇮
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