- अगर किसी को भारत में संविधान और लोकतंत्र की रक्षाके नाम पर सबसे बड़ा छल देखना हो, तो उसे 1947 से 2014 तक के कांग्रेस शासन का इतिहास देखना चाहिए।
- यही वह पार्टी है जिसने संविधान की आत्मा को बार-बार छलनी किया, लोकतंत्र की जड़ों को खोखला किया और मुस्लिम तुष्टिकरण के लिए हिंदू समाज को अपमानित किया।
1. संविधान से छेड़छाड़ – अपने फायदे के लिए संशोधन
1947 से 2014 के बीच कांग्रेस के शासन में 64 संवैधानिक संशोधन किए गए।
- नेहरू – 16 संशोधन
- इंदिरा गांधी – 31 संशोधन
- राजीव गांधी – 11 संशोधन
- मनमोहन/सोनिया – 6 संशोधन
> इनमें से कई संशोधन जनता के अधिकार घटाने, केंद्र में सत्ता केंद्रीकृत करने और मुस्लिम तुष्टिकरण को संस्थागत रूप देने के लिए किए गए।
> इंदिरा गांधी ने आपातकाल के दौरान ऐसे संशोधन करवाए जिनसे उनके खिलाफ न्यायपालिका और चुनाव आयोग की ताकत कमजोर हो गई।
> राजीव गांधी ने शाह बानो केस में सुप्रीम कोर्ट का फैसला पलटकर मुस्लिम पर्सनल लॉ को संविधान से ऊपर रखा, जो भारतीय न्याय व्यवस्था पर सीधा प्रहार था।
2. लोकतंत्र की राजनीतिक हत्याएँ
कांग्रेस के इतिहास में लोकतंत्र को बार-बार कुचला गया —
गांधी बनाम नेताजी प्रकरण (1939) – सुभाष चंद्र बोस को कांग्रेस अध्यक्ष चुने जाने के बावजूद गांधीजी ने स्वीकार नहीं किया, और मजबूरन नेताजी को इस्तीफा देना पड़ा।
- नेहरू बनाम पटेल (1947) – बहुमत से चुने गए सरदार पटेल की जगह पंडित नेहरू को प्रधानमंत्री बनाना, लोकतंत्र की पहली बड़ी संस्थागत हत्या थी।
- आपातकाल (1975) – इंदिरा गांधी ने सत्ता बचाने के लिए देश को जेल बना दिया, प्रेस पर सेंसरशिप लगा दी और लाखों लोगों को बिना मुकदमे के कैद कर लिया।
- संजय गांधी की जबरन नसबंदी – जनता की इच्छा और अधिकारों को कुचलकर लाखों लोगों की ज़िंदगी तबाह की।
3. पार्टी के भीतर तानाशाही और अपमान की परंपरा
कांग्रेस ने न केवल देश में, बल्कि अपनी ही पार्टी में लोकतंत्र को कुचला।
- सोनिया गांधी द्वारा सीताराम केसरी का अपमान – उन्हें पार्टी अध्यक्ष पद से हटाने के लिए बाथरूम में बंद किया गया और बाद में अंडरवियर में ही पार्टी कार्यालय से बाहर फेंक दिया गया।
- नरसिंह राव का अपमान – पूर्व प्रधानमंत्री को निधन के बाद कांग्रेस मुख्यालय में प्रवेश तक नहीं दिया गया और दिल्ली में उनका अंतिम संस्कार नहीं होने दिया, ताकि उनका स्मारक न बन सके।
- मनमोहन सिंह का अपमान – प्रधानमंत्री होते हुए भी, उनके लाए अध्यादेश को राहुल गांधी ने मंच पर फाड़कर कैबिनेट की सामूहिक जिम्मेदारी की धज्जियाँ उड़ाईं।
4. तुष्टिकरण की पराकाष्ठा – संविधान को ‘शरिया संविधान’ की दिशा में मोड़ना
- कांग्रेस के कई फैसले और संशोधन ऐसे थे जिनका उद्देश्य केवल मुस्लिम वोट बैंक को साधना था:
- शाह बानो केस का फैसला पलटना
- वक्फ बोर्ड को असंवैधानिक रूप से अत्यधिक अधिकार और संसाधन देना
- हिंदू मंदिरों पर सरकारी नियंत्रण जबकि मस्जिदों-मदरसे को छूट
- पाकिस्तान और बांग्लादेश से आने वाले गैर-कानूनी मुस्लिम घुसपैठियों को शरण और मताधिकार देना
आज वही कांग्रेस और उसके वंशज लोकतंत्र बचाने के नारे लगा रहे हैं। सात दशकों में लोकतंत्र की सबसे ज्यादा हत्याएँ इसी ने की हैं। संविधान का सबसे बड़ा अपमान भी इसी ने किया है।
उनके हाथ में संविधान और लोकतंत्र की बात सुनना वैसा ही है जैसे भेड़िए के मुंह से बकरी की सुरक्षा का वादा सुनना।
🇮🇳 जय भारत, वन्देमातरम 🇮🇳
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