कांग्रेस का खतरनाक खेल
- लोकतंत्र भारत की जीवन रेखा है — यह सिर्फ़ वोट तक सीमित नहीं, बल्कि कांग्रेस सहित सभी दलों के लिए संस्थाओं व संवैधानिक मूल्यों का सम्मान ज़रूरी है।
- सात दशकों से अधिक समय से भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र बना हुआ है क्योंकि चुनाव आयोग, न्यायपालिका, UPSC, सशस्त्र बल और सार्वजनिक उपक्रम (PSUs) जैसी संस्थाओं पर जनता का गहरा भरोसा रहा है।
- लेकिन आज एक गंभीर खतरा मंडरा रहा है। लोकतंत्र को मज़बूत करने के बजाय कुछ राजनीतिक ताक़तें — कांग्रेस और उसका ठगबंधन — सुनियोजित ढंग से जनता का संस्थाओं पर भरोसा तोड़ने में जुटे हैं।
- यह झूठे प्रचार, बेबुनियाद आरोप और हर स्तंभ पर हमला करके लोकतंत्र की रक्षा नहीं बल्कि उसकी जड़ों को कमजोर करने का काम कर रहे हैं।
1. अविश्वास की राजनीति
कांग्रेस अब झूठ और भ्रम फैलाने वाली फैक्ट्री बन चुकी है। चुनावी हार या नीति संबंधी असफलता के बाद यह अपनी नाकामियों को स्वीकार करने के बजाय संस्थाओं को कटघरे में खड़ा करती है।
- चुनाव आयोग: बिहार से कर्नाटक तक, जब-जब कांग्रेस हारी, उसने चुनाव आयोग पर सवाल खड़े किए। कभी कहा वोटर लिस्ट से छेड़छाड़ हुई, कभी EVM को दोषी ठहराया।
- लेकिन जब वही EVM उन्हें जीत दिलाते हैं, तो अचानक सब “न्यायपूर्ण” हो जाता है। यह पाखंड असल में चुनाव नहीं, बल्कि चुनावी प्रक्रिया में ही अविश्वास पैदा करने का षड्यंत्र है।
- न्यायपालिका: जब फ़ैसले इनके पक्ष में नहीं आते तो जजों को “पक्षपाती” या “दबाव में” कह देते हैं। इससे आम नागरिकों का न्याय व्यवस्था से विश्वास डगमगाने लगता है।
- UPSC और युवा: अफवाह फैलाई जाती है कि परीक्षाएँ धांधली से भरी हैं। करोड़ों युवाओं की मेहनत और सपनों पर पानी फेरते हुए ये उन्हें निराशा और असुरक्षा की ओर धकेलते हैं।
- सशस्त्र बल: सर्जिकल स्ट्राइक और बालाकोट एयरस्ट्राइक के बाद कांग्रेस नेताओं ने “सबूत” मांगे। यह सीधा-सीधा सैनिकों की वीरता पर सवाल है। गलवान जैसी घटनाओं पर भी गलत प्रचार करके दुश्मनों को ताक़त दी गई।
- PSUs: कांग्रेस और ठगबंधन सरकार पर “देश बेचने” का आरोप लगाते हैं। जबकि हकीकत यह है कि जो PSUs कांग्रेस के समय में भ्रष्टाचार और घाटे में डूबे थे, आज वही रिकॉर्ड मुनाफ़ा कमा रहे हैं। लेकिन इसे स्वीकारने के बजाय झूठा प्रोपेगेंडा चलाया जाता है।
2. कांग्रेस राज की असलियत
जनता को यह याद रखना चाहिए कि दशकों तक कांग्रेस ने किस तरह शासन किया:
- विदेशी दबाव पर आधारित बाज़ार: कांग्रेस शासन में भारत के बाज़ार विदेशी देशों के लिए खोल दिए गए और आयात पर भारी निर्भरता बढ़ा दी गई। घरेलू उद्योग उपेक्षित रहे।
- विदेशी नीतियों का थोपना आसान: कमज़ोर सरकार होने के कारण विदेशी ताक़तें आसानी से अपने उत्पाद और नीतियाँ भारत पर थोप देती थीं।
- भ्रष्टाचार ही असली एजेंडा: घोटाले, कमीशन और रिश्वतखोरी सरकार की पहचान थे। जनता का भला कभी प्राथमिकता नहीं रहा।
- राष्ट्रीय सुरक्षा से खिलवाड़: पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद पर ढीला रुख़, डोकलाम संकट के दौरान चीनी दूत से गुपचुप मुलाकात — इन सबने कांग्रेस की राष्ट्रभक्ति पर गहरे सवाल खड़े किए।
> आज जब भारत के पास एक मजबूत, ईमानदार और राष्ट्रवादी नेतृत्व है, विदेशी ताक़तें परेशान हैं क्योंकि उनकी पुरानी चालें अब काम नहीं कर रही हैं।
> यही वजह है कि टैरिफ़ वॉर से लेकर ट्रम्प जैसे नेताओं की नाराज़गी तक सामने आई।
3. क्यों ख़तरनाक है यह प्रवृत्ति
- अंदर से खोखला होना: भारत को कोई दुश्मन तब तक हरा नहीं सकता जब तक जनता संस्थाओं पर भरोसा रखती है। लेकिन विश्वास टूटते ही लोकतंत्र भीतर से ढह जाता है।
- विदेशी ताक़तों का लाभ: जब कांग्रेस EVM, वैक्सीन या PSUs पर झूठ फैलाती है, वही बातें विदेशी नेटवर्क amplified करके भारत को अस्थिर दिखाते हैं।
- युवा निराशा में: झूठी खबरें नौकरियों और परीक्षाओं को लेकर युवाओं को हताश करती हैं।
- राष्ट्रीय सुरक्षा पर आघात: सेना पर अविश्वास जताना भारत की वैश्विक स्थिति को कमजोर करता है और पाकिस्तान-चीन को प्रोत्साहित करता है।
4. जिम्मेदार राजनीति बनाम आरोपों की राजनीति
- लोकतंत्र रचनात्मक आलोचना पर फलता-फूलता है, लेकिन कांग्रेस ने नीतिगत बहस छोड़कर केवल आरोपों को चुना:
- राफेल पर “चौकीदार चोर है” का नारा — बाद में बेबुनियाद साबित हुआ।
- कोरोना काल में वैक्सीन को “मोदी वैक्सीन” कहकर डर फैलाना — जबकि वैक्सीनेशन ने लाखों जिंदगियाँ बचाईं।
- LIC और SBI को असुरक्षित बताना — जबकि सच्चाई इसके बिल्कुल विपरीत है।
सच्चा विपक्ष जनता को विकल्प देता है, लेकिन कांग्रेस संस्थाओं पर ही हमला करके लोकतंत्र की नींव हिला रही है।
5. जनता को क्या करना चाहिए
- झूठे प्रचार पर भरोसा न करें: जब कोई कहे “देश बिक रहा है,” तो तथ्य मांगें। सच यह है कि PSUs अब मुनाफ़े में हैं।
- फेक न्यूज़ से बचें: सोशल मीडिया पर कुछ भी शेयर करने से पहले जाँचें।
- ईमानदार नेतृत्व पर भरोसा करें: आज सरकार भारत को शीर्ष-3 वैश्विक शक्ति बनाने में लगी है। इसे कांग्रेस के उस एजेंडे से तुलना करें जिसमें भारत को विदेशी मदद पर आश्रित एक गरीब इस्लामिक राज्य बनाने का सपना है।
- संस्थाओं का सम्मान करें: फ़ैसलों की आलोचना करें लेकिन संस्थाओं की विश्वसनीयता न तोड़ें।
6. आगे का रास्ता
- भारत आज इतिहास के चौराहे पर खड़ा है। मजबूत नेतृत्व, तेज़ी से बढ़ती अर्थव्यवस्था और वैश्विक मान्यता हमें एक सभ्यतागत महाशक्ति बनने का अवसर दे रही है।
- लेकिन यह भविष्य तभी संभव है जब हम एकजुट रहें, संस्थाओं पर भरोसा करें और विभाजनकारी प्रोपेगेंडा को ठुकराएँ और एकजुट होकर देश और धर्म की रक्षा करेँ।
- राहुल गांधी और कांग्रेस खुद को “लोकतंत्र का रक्षक” बताते हैं, लेकिन उनकी हरकतें इसका उल्टा साबित करती हैं।
- संस्थाओं पर हमले, झूठ फैलाना और विदेशी हितों से मेल खाना लोकतंत्र की रक्षा नहीं बल्कि उसकी नींव खोदना है।
- भारत की जनता को अब सतर्क रहना होगा। लोकतंत्र तभी बच सकता है जब नागरिक सच का साथ दें, संस्थाओं पर भरोसा बनाए रखें और झूठे प्रचार को नकारें।
- एकजुट होकर हम सनातन धर्म की रक्षा करेंगे, राष्ट्रीय गौरव को ऊँचा उठाएँगे और एक मज़बूत, आत्मनिर्भर और विश्वगौरव भारत का निर्माण करेंगे।
🇮🇳जय भारत, वन्देमातरम 🇮
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