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कांग्रेस

कांग्रेस की नफ़रत, आरएसएस की निष्ठा और भारत की राष्ट्रीय एकता की पुकार

कांग्रेस की नफ़रत, आरएसएस की निष्ठा

⚔️ 1. कांग्रेस की पुरानी आदत आरएसएस पर प्रतिबंध और वैचारिक द्वेष

कांग्रेस की राजनीति में एक बात दशकों से स्थिर रही है —

  • आरएसएस को बदनाम करो, उस पर प्रतिबंध की मांग करो, और देश को वैचारिक रूप से बाँट दो।
  • 1948 में महात्मा गांधी की हत्या के बाद, बिना किसी ठोस सबूत के आरएसएस पर प्रतिबंध लगाया गया।
  • जाँच हुई, अदालत ने संघ को निर्दोष ठहराया, और प्रतिबंध हटा लिया।
    लेकिन कांग्रेस की मानसिकता नहीं बदली।
  • हर बार जब राष्ट्रवाद, हिंदू एकता या सनातन जागरण का प्रभाव बढ़ता है,
    कांग्रेस को “संघ” याद आ जाता है।
  • 1992 में अयोध्या आंदोलन के बाद, तत्कालीन प्रधानमंत्री नरसिंह राव ने चार भाजपा-शासित राज्यों की सरकारें गिरा दीं

यह साबित करता है कि कांग्रेस के लिए आरएसएस राजनीतिक प्रतिद्वंद्वी नहीं, बल्कि वैचारिक शत्रु है।

💣 2. प्रतिबंध की राजनीति कांग्रेस की हताशा का प्रतीक

आज भी वही पुरानी रट — मल्लिकार्जुन खड़गे, कार्ति चिदंबरम और उनके जैसे नेता फिर कह रहे हैं —

  • आरएसएस पर बैन लगाया जाए!”

पर सवाल यह है — किस आधार पर?

  • क्या आरएसएस ने देशविरोधी काम किया है?
  • क्या उसके खिलाफ कोई प्रमाण है?

नहीं! यह सिर्फ राजनीतिक असहिष्णुता और वैचारिक दिवालियापन का परिणाम है।

  • क्योंकि कांग्रेस और उसका तथाकथित “सेक्युलर इकोसिस्टम”
    एक ऐसे संगठन से डरता है

> जिसने समाज को संगठित किया,
> राष्ट्रभक्ति का भाव जगाया,
> और भारत को सांस्कृतिक रूप से एकजुट किया।

🌿 3. आरएसएस सेवा, संस्कृति और समाज का जीवंत संगठित रूप

आरएसएस कोई राजनीतिक संगठन नहीं — यह एक सांस्कृतिक आंदोलन है।
जिसने स्वतंत्रता के बाद से भारत के हर संकट में सेवा और समर्पण का परिचय दिया है।

  • चाहे भूकंप, बाढ़, दंगे, महामारी या आपातकाल — हर बार सबसे पहले संघ के स्वयंसेवक मैदान में उतरे।
  • 2001 का गुजरात भूकंप — राहत कार्यों में संघ अग्रणी।
  • 2013 की केदारनाथ त्रासदी — बचाव दलों के साथ संघ स्वयंसेवक कंधे से कंधा मिलाकर।
  • कोविड महामारी — लाखों स्वयंसेवकों ने घर-घर भोजन, दवाइयाँ और ऑक्सीजन पहुँचाई।

ऐसा जमीनी संपर्क और समर्पण शायद ही किसी संगठन में देखने को मिलता है।
आरएसएस का समाज से यह जुड़ाव विश्व इतिहास में अद्वितीय है।

🕉️ 4. आरएसएस का जनसंपर्क अभियान जनता के दिलों तक पहुँच

संघ का हालिया जनसंपर्क अभियान इस बात का प्रमाण है कि
समाज का विश्वास संघ में अटूट है।

  • स्वयंसेवक घर-घर जाकर संघ की विचारधारा, कार्य और सेवा गतिविधियों की जानकारी दे रहे हैं।

जहाँ-जहाँ वे पहुँचे, लोगों ने उनका स्वागत किया, सहयोग दिया, और गर्व से कहा —

  • “हम संघ को जानते हैं, विश्वास करते हैं।”
  • किसी ने पुस्तिका लेने से इनकार नहीं किया,
  • किसी ने फोन नंबर देने में हिचक नहीं दिखाई।
  • बल्कि कई घरों ने स्वयंसेवकों को आदरपूर्वक चायनाश्ता कराकर आशीर्वाद दिया।

यह बताता है कि आरएसएस का नाम अब घरघर में श्रद्धा का प्रतीक बन चुका है।

🇧🇷 5. समाज का सच्चा प्रहरी आरएसएस की भूमिका

संघ केवल शाखाओं तक सीमित नहीं है। यह समाज का नैतिक और सांस्कृतिक संरक्षक है।

  • यह समाज में अनुशासन और आत्मबल का संचार करता है।
  • यह लोगों को जाति, धर्म, भाषा से ऊपर उठकर राष्ट्रहित में एक करता है।
  • और सबसे महत्वपूर्ण — यह सनातन संस्कृति की जड़ें मजबूत करता है,
    ताकि विदेशी प्रभाव और विभाजनकारी ताकतें भारत को कमजोर न कर सकें।

संघ ने हमेशा कहा है — हम राजनीति नहीं, राष्ट्रनीति करते हैं।

🧠 6. आज की चुनौती देशविरोधी तंत्र और झूठ का खेल

  • आज भारत के सामने सबसे बड़ा खतरा बाहरी नहीं, बल्कि आंतरिक वैचारिक युद्ध है।
  • कुछ तथाकथित सेक्युलर, लेफ्टिस्ट और विदेशी प्रायोजित एजेंसियाँ
    देश को बाँटने, हिंदू समाज को कमजोर करने और भारत की प्रगति रोकने में लगी हैं।
  • वे सोशल मीडिया, मीडिया, और राजनीति — हर मंच पर झूठ फैलाते हैं कि “संघ सांप्रदायिक है, संघ विभाजन करता है।”
  • जबकि सच्चाई इसका उल्टा है — संघ ही वह शक्ति है जो भारत को जोड़ती है, एक करती है और आगे बढ़ाती है।

🏛️ 7. भारत की सुरक्षा और एकता के लिए आरएसएस और भाजपा का समन्वय

आज की आवश्यकता है कि आरएसएस और भाजपा एक ही तरंग पर चलें।

  • मोदी जी की वैश्विक दृष्टि और नीतिगत नेतृत्व,
  • योगी जी की प्रशासनिक कठोरता और राष्ट्ररक्षा का संकल्प,
  • और आरएसएस की जमीनी पकड़ और वैचारिक दिशा —
  • इन तीनों की एकता ही भारत की शक्ति है।

जब संघ और भाजपा एक स्वर में काम करेंगे, तो कोई भी शक्ति भारत की संप्रभुता को चुनौती नहीं दे सकती।

🌅 8. जनता की भूमिका जागरूक बनो, एकजुट रहो

हर नागरिक को अब यह समझना होगा कि यह लड़ाई किसी दल की नहीं, भारत के भविष्य की है।

  • सच और झूठ में फर्क पहचानो,
  • सोशल मीडिया पर फैलाए जा रहे भ्रम का विरोध करो,
  • और संघ जैसे राष्ट्रसेवी संगठनों का समर्थन करो।
  • हमें राजनीति से ऊपर उठकर राष्ट्र, धर्म और संस्कृति की रक्षा के लिए एकजुट होना होगा।

🔱 9. आरएसएस भारत की आत्मा है

  • कांग्रेस चाहें जितनी बार प्रतिबंध की बात करे, संघ को कोई मिटा नहीं सकता
  • क्योंकि यह किसी व्यक्ति या दल का नहीं, भारत की आत्मा और सनातन धर्म की चेतना का आंदोलन है।
  • जितना इसे दबाने की कोशिश होगी, यह उतनी ही शक्ति और तेजस्विता से उभरेगा।

🇮🇳जय भारत, वन्देमातरम 🇮

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