75 वर्षों की ऐतिहासिक भूलें, तुष्टिकरण, भ्रष्टाचार और राष्ट्रीय क्षति साक्षी हैं
- भारत की आधुनिक राजनीति में कांग्रेस सिर्फ एक पार्टी नहीं, बल्कि वह शक्ति रही जिसने लंबे समय तक सत्ता तो संभाली, पर राष्ट्रहित से ऊपर वोट–बैंक, विदेशी एजेंडा, तुष्टिकरण और सत्ता–सुरक्षा को रखा।
- आज देश को मजबूरी नहीं, बल्कि ऐतिहासिक स्मृति से जागृत होकर यह पहचानना होगा कि कांग्रेस को वोट देना केवल चुनावी निर्णय नहीं—राष्ट्र की आत्मा, सुरक्षा और सनातन की जड़ों पर प्रहार है।
🔥 1. सनातन, मंदिर, राम और हिंदू पहचान पर कांग्रेस का प्रहार
कांग्रेस की विचारधारा का मूल केंद्र कभी धर्मनिरपेक्षता नहीं रहा, बल्कि एकतरफा मुस्लिम तुष्टिकरण और हिंदू दमन रहा।
- भगवान राम को अदालत में “काल्पनिक” घोषित करना
- राम मंदिर केस में 22 वकीलों को खड़ा कर निर्माण रोकना
- रामलला को दशकों तक टेंट में रखने का पाप
- राम सेतु को नष्ट करने की आधिकारिक याचिका
- हिंदुओं को अपराधी सिद्ध करने वाला सांप्रदायिक हिंसा बिल की पेशकश
- मंदिरों के प्रबंधन पर राज्य नियंत्रण लेकिन वक्फ़ पर नहीं
ये सब साबित करते हैं कि कांग्रेस केवल हिंदू संस्कृति से असहज नहीं—वह उसे राजनीतिक रूप से समाप्त करना चाहती है।
🔥 2. आतंकवाद और राष्ट्र-सुरक्षा पर कांग्रेस का विरोधाभासी और ख़तरनाक रुख
26/11 के हमले के बाद पाकिस्तान को दोष देने की बजाय RSS पर भगवा आतंकवाद का आरोप
- आतंकी को बचाने के लिए आधी रात को अदालत खुलवाना
- कश्मीर में 70 वर्षों तक आतंकवाद को पोषण देने वाली नीतियाँ
- अलगाववादियों, Hurriyat और कट्टर इस्लामी नेटवर्क को अप्रत्यक्ष संरक्षण
- सेना के हाथ बाँध देना, AFSPA को कमजोर करना, आतंकियों पर नरमी
कांग्रेस की नीतियाँ देश को मजबूत नहीं—लाचार सुरक्षा संरचना की ओर ले गईं।
🔥 3. मुस्लिम तुष्टिकरण और घुसपैठ को वैधता देने का राजनीतिक खेल
कांग्रेस के लिए सुरक्षा नहीं, वोट–बैंक सर्वोपरि रहा।
- बांग्लादेशी घुसपैठियों को योजनाबद्ध तरीके से बसाना
- रोहिंग्याओं को वोट-बैंक में बदलना
- वक्फ़ बोर्ड को असीम शक्ति देकर हिन्दू भूमि के कब्जे को वैधता
- मुस्लिम पर्सनल लॉ और ड्यूल सिविल सिस्टम को संरक्षण
- NRC और CAA का विरोध क्योंकि अवैध मतदाता उजागर हो जाते
इसका परिणाम:
- त्रिपुरा में मूल जनजाति अल्पसंख्यक
- असम में सांस्कृतिक असंतुलन और हिंसक टकराव
- बंगाल में हिंदू पलायन
यह सिर्फ चुनाव नहीं, लोकसंख्या युद्ध (Population Jihad) का राजनीतिक समर्थन था।
🔥 4. कश्मीर—अस्थिरता और विभाजन का 70 साल लंबा अंधकार
कांग्रेस के शासन में:
- धारा 370 लगाकर कश्मीर को भारत से अलग दर्जा
- 35A से बाहरी भारतीयों को वहाँ बसने का अधिकार नहीं
- आतंकवाद के बीच हिंदुओं का पलायन, नरसंहार, मंदिरों का अपवित्रीकरण
- सेना सीमित, आतंकी स्वतंत्र
और दुखद सत्य:
- यासीन मलिक, बुरहान वानी जैसे आतंकी “राजनीतिक प्रतिनिधि” के रूप में उभरे
यदि कांग्रेस नीतियाँ जारी रहतीं, तो आज कश्मीर पूरी तरह पाकिस्तान–नियंत्रित इस्लामी क्षेत्र बन चुका होता।
🔥 5. भ्रष्टाचार और लूट—भारतीय प्रगति के 60 वर्षों का अवरोध
कांग्रेस शासन का हर दशक एक घोटाले से पहचाना गया:
- रक्षा खरीद से टेलीकॉम तक भ्रष्टाचार
- करोड़ों-लाखों नहीं, लाखों करोड़ का लूट तंत्र
- राष्ट्र की संपत्ति निजी, विदेशी और दलाली नेटवर्क के द्वारा लूटी गई
परिणाम:
- सेना के पास पर्याप्त हथियार नहीं
- अनुसंधान, रक्षा निर्माण, इंफ्रास्ट्रक्चर सब कमजोर
- देश हमेशा “सुरक्षा भीख” की मानसिकता में रहा
मुक्ति तब मिली जब 2014 के बाद लूट रुकने से धन राष्ट्र रक्षा पर लगा।
🔥 6. नेहरूवादी विदेश नीति—चीन और पाकिस्तान को अवसर देना
- कश्मीर मुद्दा UN में भेजना — भारत की सबसे बड़ी रणनीतिक भूल
- “हिंद-चीनी भाई-भाई” के भ्रम में आधा लद्दाख खोना
- PoK बचाने का मौका छूटना
- 1962 का अपमान, सेना साधनहीन
और आज:
- कांग्रेस नेतृत्व चीन और पश्चिमी लॉबी का प्रिय
- अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भारत की छवि को क्षति पहुँचाने के अभियान में शामिल
🔥 7. इतिहास, शिक्षा और सांस्कृतिक चेतना का विध्वंस
- कांग्रेस ने तीन स्तरों पर सनातन इतिहास मिटाने का प्रयास किया:
- मुगल शासन को “उदार सांस्कृतिक काल” कहना
- आक्रमण, बलात्कार, मंदिर विध्वंस को सही ठहराना
- हिंदू नायकों को छाया में डालना, वामपंथी इतिहासकारों से ब्रेनवॉश
इसका उद्देश्य था:
- हिंदू पीढ़ी को शर्म, अपराधबोध और भ्रम में रखकर राजनीतिक रूप से संवेदनहीन बनाना।
🔥 कांग्रेस को वोट देना = भारत को फिर से कमजोर, विभाजित और लहूलुहान करना
कांग्रेस का DNA है:
- तुष्टिकरण
- सांस्कृतिक विभाजन
- आतंक के प्रति नरमी
- भ्रष्टाचार का बोलबाला
- घुसपैठ संरक्षण
- सांस्कृतिक विनाश
- सेना पर संदेह
- हिंदू दमन
>इसलिए कांग्रेस को वोट देना केवल राजनीतिक निर्णय नहीं— सनातन, राष्ट्र, सीमाओं, मंदिरों, सेना और भविष्य के विरुद्ध निर्णय है।
- यह समय है इस सच्चाई स्वीकारने का और उन्हें स्थायी रूप से राजनीति से बाहर करना और राष्ट्रवादी सरकार का पूर्ण समर्थन करना।
भारत को अब इतिहास के दर्द से सीख लेनी चाहिए। त्रुटि दोहराना सबसे बड़ा अपराध होता है।
- यदि सनातन चाहिए → कांग्रेस नहीं
- यदि सुरक्षा चाहिए → कांग्रेस नहीं
- यदि कश्मीर चाहिए → कांग्रेस नहीं
- यदि संस्कृति चाहिए → कांग्रेस नहीं
- यदि राष्ट्र चाहिए → कांग्रेस नहीं
अब निर्णय केवल चुनाव नहीं— राष्ट्रनिर्माण और धरोहर संरक्षण का निर्णय है।
🇮🇳जय भारत, वन्देमातरम 🇮
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