यह सचमुच आश्चर्यजनक और चिंताजनक है कि कांग्रेस पार्टी और उसके प्रवक्ता अब खुले तौर पर भारतीय राज्य (Indian State) के खिलाफ लड़ाई की बात कर रहे हैं। जब राहुल गांधी ने सार्वजनिक मंच से यह बयान दिया कि उनकी लड़ाई न केवल बीजेपी, आरएसएस और मोदी से है, बल्कि भारतीय राज्य (Indian State) से भी है, तो यह सुनकर ऐसा लगा जैसे कांग्रेस पार्टी ने एक नई और खतरनाक राह पर कदम रख दिया है।
संभावित बचाव की उम्मीद और वास्तविकता
कई लोगों को उम्मीद थी कि कांग्रेस प्रवक्ता राहुल गांधी के बयान पर सफाई देंगे। वे कहेंगे कि:
1.राहुल गांधी ने अपने शब्दों का गलत चुनाव किया।
2.कांग्रेस की भारतीय राज्य से कोई लड़ाई नहीं है।
3.कांग्रेस देशभक्ति में विश्वास रखती है और देश के खिलाफ कभी नहीं खड़ी हो सकती।
लेकिन वास्तविकता बिल्कुल अलग निकली।
हर टीवी चैनल पर कांग्रेस प्रवक्ताओं ने राहुल गांधी के बयान को सही ठहराया और यह स्वीकार किया कि कांग्रेस की लड़ाई भारतीय राज्य के खिलाफ है। यह प्रतिक्रिया न केवल चौंकाने वाली है, बल्कि यह कांग्रेस की नीयत और विचारधारा पर गहरे सवाल खड़े करती है।
कांग्रेस के बयान की गंभीरता
यह समझना जरूरी है कि भारतीय राज्य का विरोध करना महज किसी राजनीतिक दल का विरोध करने तक सीमित नहीं है। इसका मतलब है:
1.संविधान का विरोध करना।
2.भारतीय संस्थानों का विरोध करना।
3.देश की एकता और अखंडता पर सवाल उठाना।
4.देश की संप्रभुता के खिलाफ खड़े होना।
जब राहुल गांधी और कांग्रेस प्रवक्ता खुलेआम यह स्वीकार करते हैं कि उनकी लड़ाई भारतीय राज्य से है, तो यह न केवल चिंताजनक है, बल्कि यह देशद्रोह (Treason) के समान है।
एक देशभक्त जनता के लिए सवाल
कांग्रेस और उसके नेताओं ने पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का विरोध किया—यह एक लोकतंत्र में स्वीकार्य है।
उन्होंने बीजेपी का विरोध किया—यह भी राजनीतिक प्रक्रियाओं का हिस्सा है।
उन्होंने आरएसएस का विरोध किया—यह उनके वैचारिक मतभेद हो सकते हैं।
उन्होंने हिंदू धर्म का विरोध किया—इस पर भी विचारधारा की बात कहकर अनदेखी की जा सकती है।
लेकिन अब जब वे खुले तौर पर भारतीय राज्य के खिलाफ खड़े हैं, तो यह साबित हो गया है कि उनका उद्देश्य देश की प्रगति और संप्रभुता को नुकसान पहुँचाना है।
कांग्रेस का चरित्र: क्या यह देशभक्ति है या गद्दारी?
आज कांग्रेस के नेता और प्रवक्ता जिस तरह से भारतीय राज्य के खिलाफ अपनी लड़ाई को सही ठहरा रहे हैं, वह यह सिद्ध करता है कि:
1.वे सत्ता के लिए देश के मूलभूत ढांचे को कमजोर करने से भी पीछे नहीं हटते।
2.वे भारत की प्रगति और अखंडता के लिए एक गंभीर खतरा बन गए हैं।
3.उनकी राजनीति अब देशहित के बजाय देशविरोध पर आधारित हो गई है।
यह स्थिति कांग्रेस को केवल एक विपक्षी पार्टी के रूप में नहीं, बल्कि एक गद्दार संगठन (Traitorous Organization) के रूप में प्रस्तुत करती है।
जनता का दायित्व
जब ये लोग आपके दरवाजे पर वोट मांगने आएं, तो आपसे अनुरोध है कि इनसे सीधे सवाल करें:
क्या भारतीय राज्य के खिलाफ उनकी लड़ाई वास्तव में देशहित में है?
क्या उनकी राजनीति सत्ता के लिए देश की कीमत पर होनी चाहिए?
यदि उनका उत्तर संतोषजनक न हो, तो उनके गाल पर उनका चुनाव चिह्न छापकर उन्हें यह एहसास कराएँ कि देश विरोधी मानसिकता को अब जनता सहन नहीं करेगी।
देश के लिए एक आह्वान
आज का भारत जागरूक है।
देश के लोग यह समझते हैं कि राजनीतिक मतभेद और देश के खिलाफ षड्यंत्र दो अलग चीजें हैं।
यह समय है कि हर भारतीय यह सुनिश्चित करे कि जो नेता और पार्टी देशद्रोह की राह पर चल रहे हैं, उन्हें सख्त संदेश मिले कि भारत की अखंडता से कोई समझौता नहीं होगा।
जय हिंद!
भारत माता की जय!