देश के अंदरूनी गद्दार
- जब देश के तीर्थयात्री पहलगाम जैसी घटनाओं में निशाना बनते हैं, तब सवाल केवल आतंकवाद का नहीं होता — सवाल ये भी उठता है कि हमारे ही देश के अंदरूनी गद्दार आतंकियों की ढाल क्यों बन जाते हैं?
- हाल ही में संयुक्त राष्ट्र में पहलगाम आतंकी हमले की निंदा के लिए एक प्रस्ताव पेश किया गया। इस प्रस्ताव में एक महत्वपूर्ण क्लॉज था कि आतंकियों ने हिंदू यात्रियों को धर्म पूछकर मारा — जिससे ये स्पष्ट होता कि यह हमला विशुद्ध रूप से सांप्रदायिक और जिहादी मानसिकता से प्रेरित था।
- लेकिन पाकिस्तान ने इस क्लॉज को हटवाने की पूरी कोशिश की — और कामयाब हुआ।
क्यों और कैसे?
पाकिस्तान ने संयुक्त राष्ट्र में यह दिखाया कि भारत के विपक्षी नेता खुद इस बात से इनकार कर रहे हैं कि हमला मजहब देखकर हुआ। उन्होंने भारत के ही नेताओं — जैसे:
- कांग्रेस प्रवक्ता पवन खेड़ा
- कांग्रेस नेता सुप्रिया श्रीनेत
- अखिलेश यादव (समाजवादी पार्टी)
- सिद्धारमैया (कांग्रेस, कर्नाटक के मुख्यमंत्री)
- और अन्य वामपंथी नेता
इन लोगों के बयान, ट्वीट और वीडियो चीन के सामने पेश किए। परिणामस्वरूप, चीन ने वीटो पावर का प्रयोग करके यह क्लॉज हटवा दिया।
अब सोचिए, जब देश के बाहर बैठा दुश्मन भारत पर हमला करता है, और देश के अंदर बैठे लोग उसकी बात को साबित करने में मदद करते हैं, तो क्या वह सिर्फ राजनीतिक विरोध है? नहीं — यह खुला गद्दारी है।
राष्ट्रद्रोहियों पर अब कार्रवाई जरूरी है
- इन तथाकथित नेताओं ने:
- आतंकियों के अपराध को छिपाने में मदद की,
- भारत की आवाज़ को संयुक्त राष्ट्र जैसे वैश्विक मंच पर कमजोर किया,
- और भारतीय जनमानस को धोखा दिया।
अब समय है कि ऐसे लोगों को देशद्रोही घोषित किया जाए।
सिफारिशें:
- ऐसे नेताओं के खिलाफ NSA, UAPA और देशद्रोह की धाराओं में मुकदमा चलाया जाए।
- राजनीतिक दलों को मजबूर किया जाए कि वे आतंकवाद और राष्ट्रविरोधी गतिविधियों के समर्थन पर स्पष्ट स्टैंड लें।
- जनता को जागरूक किया जाए कि इन नेताओं का समर्थन करके वह देश को कमजोर कर रहे हैं।
लेकिन हमें यह भी याद रखना होगा…
इस पूरे आतंकवादी नैरेटिव में केवल आतंकियों को खत्म करना काफी नहीं है। हमें दो स्तरों पर लड़ाई लड़नी होगी:
1. जिहाद और आतंकवाद का समूल नाश — भारत और पूरी दुनिया में।
- संयुक्त ऑपरेशनों, ग्लोबल इंटेलिजेंस साझेदारी और सख्त कानूनों से
- पाकिस्तान, अफगानिस्तान, सीरिया, लीबिया जैसे देशों में पल रहे जिहादी अड्डों को नेस्तनाबूद करना होगा
2. मुस्लिम समाज में शिक्षा, नैतिकता और मानवीयता की जागरूकता फैलाना।
- गरीब, वंचित और अशिक्षित मुस्लिमों को जिहादी संगठनों द्वारा इस्तेमाल किया जाता है
- इन्हें मदरसों और कट्टरपंथी मस्जिदों से निकालकर आधुनिक, वैज्ञानिक, मानवतावादी शिक्षा दी जानी चाहिए
- उन्हें यह बताया जाना चाहिए कि इस्लाम का सच्चा रूप शांति, करुणा और सेवा है — न कि जिहाद और आतंकवाद
उदाहरण:
- यूरोप में फ्रांस और बेल्जियम में मुस्लिम बहुल इलाकों इलाकों में जिहाद पनपा क्योंकि वहां के युवाओं को रोजगार, शिक्षा और सामाजिक समावेश नहीं मिला।
- पाकिस्तान में हजारों मदरसों में गरीब बच्चों को जिहादी बनाया गया — जिन्हें बाद में तालिबान और लश्कर जैसे आतंकी संगठनों में झोंक दिया गया।
- भारत के सीमावर्ती और पिछड़े क्षेत्रों में भी यही कोशिश चल रही है — बंगाल, केरल, और कुछ हिस्सों में।
उम्मीद की किरण: मुस्लिम युवाओं में बदलाव की शुरुआत
हाल के घटनाक्रमों जैसे Waqf Amendment Bill पर संसद में लंबी बहस और इसके पास होने के बाद, कई शिक्षित मुस्लिम युवाओं और विद्वानों ने यह कहना शुरू किया है:
“हमें अपनी सोच बदलनी होगी। जिहादी और अलगाववादी मानसिकता से बाहर निकलकर हमें भारत और वैश्विक समाज के साथ कदम मिलाकर चलना होगा।”
यह सकारात्मक संकेत हैं। यही वह चेतना है जिसे हमें समर्थन और प्रेरणा देनी होगी — ताकि मुस्लिम युवा विकास, मानवता और भारत के गौरव से जुड़ सकें।
राष्ट्र को मजबूत करना है, राष्ट्रविरोधियों को उजागर भी करना है
अब यह स्पष्ट है — देश के दुश्मन केवल सीमा पार नहीं, सीमा के भीतर भी बैठे हैं।
हमें अब चुनना होगा:
- क्या हम मौन रहेंगे और इन गद्दारों को देश के मंच पर फलने-फूलने देंगे?
- या एकजुट होकर इनका सामाजिक बहिष्कार, राजनीतिक विरोध और कानूनी दंड सुनिश्चित करेंगे?
राष्ट्र की एकता, हिंदू समाज की रक्षा, और भारत की सांस्कृतिक आत्मा की सुरक्षा — अब हमारी सामूहिक ज़िम्मेदारी है।
अधिक ब्लॉग्स के लिए कृपया www.saveindia108.in पर जाएं।
👉Join Our Channels👈
➡Facebook Group: https://www.facebook.com/groups/820191950130756
➡Telegram Group: https://t.me/+T2nsHyG7NA83Yzdl
➡WhatsApp Group: https://chat.whatsapp.com/HxGZvlycYPlFvBO17O3eGW