देशभक्ति: हर संकट में निभाने का संकल्प
- देशभक्ति सिर्फ़ सीमा पर बंदूक थामकर लड़ने का नाम नहीं है।
देशभक्ति वह अडिग संकल्प है जो हर बार संकट आने पर भारत को झुकने नहीं देता। - यह वह ज्वाला है, जो हमें हर मोर्चे पर — चाहे वह युद्ध हो, महामारी हो, प्राकृतिक आपदा हो या आर्थिक हमला — विजयी बनाती है।
- जब अमेरिका हमारे उत्पादों पर टैरिफ़ लगाता है,
जब वैश्विक ताकतें भारत को आर्थिक रूप से दबाने की साजिश करती हैं, - तो हमें भी अपने इतिहास की वीर गाथाओं से प्रेरणा लेकर सीना तानकर खड़ा होना पड़ता है।
1943 — नेताजी की पुकार
अंग्रेज़ी साम्राज्य का आतंक चरम पर था।
कई लोग सोच चुके थे कि भारत अब कभी आज़ाद नहीं होगा।
तभी नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने एक गर्जन की तरह आवाज़ लगाई —
- “तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हें आज़ादी दूँगा“
उस एक वाक्य ने पूरे भारत में बिजली-सी दौड़ा दी।
किसी ने खेत छोड़े, किसी ने दुकान, किसी ने पढ़ाई —
लेकिन देश के लिए सब कुछ न्योछावर कर दिया।
आज़ादी की ज्वाला को कोई रोक नहीं पाया।
1965 — शास्त्री जी का आह्वान
पड़ोसी देश पाकिस्तान ने हमला किया था।
देश आर्थिक रूप से कमजोर था, लेकिन इरादों में इस्पात-सा मज़बूत।
लाल बहादुर शास्त्री जी ने देश से एक साधारण-सा लेकिन ऐतिहासिक आग्रह किया —
- “सप्ताह में एक दिन उपवास रखो“
देश ने बिना शिकायत इसे अपना लिया।
माएँ अपने बच्चों को समझातीं — “आज का भूख, कल की जीत है”।
भारत भूखा रह सकता था, लेकिन अपना आत्मसम्मान नहीं बेच सकता था।
2020 — कोरोना की चुनौती
एक अदृश्य वायरस ने दुनिया को घुटनों पर ला दिया।
बड़े-बड़े देश हिल गए, अस्पताल ढह गए, अर्थव्यवस्थाएँ बिखर गईं।
लेकिन भारत ने कहा —
- “जान भी, जहान भी — और अब आत्मनिर्भर भी!”
वेंटिलेटर से लेकर पीपीई किट, दवा से लेकर वैक्सीन —
हमने अपने दम पर बनाए।
लाखों लोगों ने लोकल बिज़नेस को अपनाया,
ताकि किसी का चूल्हा न बुझे, किसी का रोजगार न छिने।
भारत ने दुनिया को दिखाया — हम किसी से कम नहीं।
और अब — 2025 की पुकार
आज फिर एक नई अस्तित्व की लड़ाई हमारे सामने खड़ी है।
- हमारे हथियार अब टैंक और तोप नहीं,
बल्कि हमारा खरीदने का निर्णय और अपनी धरती के उत्पादों पर भरोसा है।
🔹 स्वदेशी अपनाओ
🔹 लोकल बिज़नेस को समर्थन दो
🔹 ‘मेड इन इंडिया’ पर गर्व करो
🔹 सरकार के फैसलों में सहयोग करो
क्योंकि आज हमारे पास ऐसा नेतृत्व है…
- जो संकट को अवसर में बदलने की दृष्टि रखता है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बार-बार साबित किया है —
- जब कोई भारत को झुकाने की कोशिश करता है,
तो भारत आत्मबल, आत्मविश्वास और आत्मनिर्भरता से जवाब देता है।
लेकिन याद रखिए —
- केवल एक नेता काफी नहीं होता।
उसके साथ खड़ा पूरा राष्ट्र ही उसकी असली ताकत होता है।
🚩 जब देश पुकारे,
तो हर नागरिक को सैनिक बनना पड़ता है।
- “राष्ट्र पहले“ — यह सिर्फ़ एक नारा नहीं,
बल्कि हमारे जीवन का सिद्धांत बनना चाहिए।
🇮🇳जय भारत, वन्देमातरम 🇮
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