- कबीरदास जी का प्रसिद्ध दोहा “पोथी पढ़ पढ़ जग मुआ, पंडित भया न कोय।
ढाई अक्षर प्रेम के, पढ़े सो पंडित होय॥” - हमारे लिए केवल एक काव्यात्मक उपदेश नहीं है, बल्कि जीवन दर्शन है। यह “ढाई अक्षर” सनातन धर्म की उस मूल आत्मा को प्रकट करता है, जिसने भारत को हजारों वर्षों से आक्रमणों, विदेशी षड्यंत्रों और विभाजनकारी नीतियों के बावजूद जीवित और अजेय बनाए रखा।
- लेकिन आज यह रहस्य फिर से प्रासंगिक हो गया है, क्योंकि हिंदू समाज एक बार फिर से विभाजन, भोगवाद, विदेशी षड्यंत्र और धार्मिक आक्रमणोंके संकट से जूझ रहा है।
1️⃣ ढाई अक्षर का प्रेम = हिंदू समाज का संगठन
सनातन धर्म का मूल आधार प्रेम, करुणा और सह-अस्तित्व है।
- जब हिंदू समाज जातियों, उपजातियों और भाषाओं में बंटता है, तो हमारी शक्ति क्षीण हो जाती है।
- लेकिन प्रेम और एकता हमें फिर से एक सूत्र में पिरोते हैं।
- यह “ढाई अक्षर” हमें याद दिलाता है कि कांग्रेस और विपक्ष के झूठे नैरेटिव तभी कामयाब होते हैं, जब हम प्रेम और एकता को छोड़कर आपस में उलझ जाते हैं।
👉 संदेश: यदि हम एकजुट रहें तो कोई बाहरी ताक़त हमें गुलाम नहीं बना सकती।
2️⃣ ढाई अक्षर का धर्म और कर्म = राष्ट्रधर्म
गीता का संदेश है – “स्वधर्मे निधनं श्रेयः, परधर्मो भयावहः।”
यानी धर्मानुसार कर्म ही श्रेष्ठ है।
- आज का सबसे बड़ा संकट यह है कि हिंदू समाज अपनी जड़ों से दूर हो गया है।
- धर्म और कर्म की बजाय हम केवल सत्ता, लालच और भोग में उलझ गए हैं।
- लेकिन याद रहे – धर्म और कर्म ही राष्ट्र को टिकाए रखते हैं।
👉 संदेश: हर हिंदू का कर्म राष्ट्रधर्म होना चाहिए – यानी सनातन धर्म और भारत की रक्षा।
3️⃣ ढाई अक्षर का त्याग और भक्ति = आत्मबल और सुरक्षा
त्याग और भक्ति केवल साधु-संतों के लिए नहीं, बल्कि सामाजिक और राजनीतिक जीवन के लिए भी आवश्यक हैं।
- त्याग का अर्थ है – स्वार्थ छोड़कर समाज और राष्ट्र के लिए काम करना।
- भक्ति का अर्थ है – ईश्वर और धर्म के प्रति निष्ठा।
- जब हिंदू समाज त्याग और भक्ति को छोड़ देता है, तभी विदेशी षड्यंत्र जैसे इस्लामी जिहाद और ईसाई कन्वर्ज़न सफल होते हैं।
👉 संदेश: यदि हम त्याग और भक्ति की शक्ति अपनाएँ, तो कोई “ब्रेक इंडिया” ताक़त हमें नहीं तोड़ सकती।
4️⃣ ढाई अक्षर का सत्य और असत्य = नैरेटिव की लड़ाई
आज सबसे बड़ा युद्ध नैरेटिव का है।
- विपक्ष और विदेशी ताक़तें झूठे प्रचार के जरिए हिंदुओं को आपस में बाँटने की कोशिश कर रही हैं।
- जातिगत जनगणना, भाषाई विभाजन, महंगाई और बेरोज़गारी के बढ़े-चढ़े आंकड़े – सब इसी झूठे नैरेटिव का हिस्सा हैं।
- लेकिन सत्य यह है कि मोदी सरकार के नेतृत्व में भारत दुनिया की सबसे तेज़ी से बढ़ती अर्थव्यवस्था है और हिंदू समाज फिर से विश्वगुरु बनने की राह पर है।
👉 संदेश: सत्य ही हमें बचाएगा, झूठे नैरेटिव हमें कमजोर करेंगे।
5️⃣ ढाई अक्षर का जन्म और मृत्यु = सनातन का अमरत्व
- जन्म और मृत्यु केवल शरीर के हैं, आत्मा अमर है।
- इसी प्रकार, सनातन धर्म पर कितने भी हमले हों, वह कभी नष्ट नहीं होगा।
- लेकिन यदि हम निष्क्रिय और विभाजित हो गए, तो हमारी पीढ़ियाँ विनाश का शिकार होंगी।
👉 संदेश: सनातन धर्म शाश्वत है, लेकिन उसे जीवित रखने की ज़िम्मेदारी हमारी है।
⚔️ आज की चुनौतियाँ – ढाई अक्षर का समाधान
आज हिंदू समाज के सामने तीन बड़ी चुनौतियाँ हैं:
- कांग्रेस और विपक्ष का झूठा नैरेटिव – हिंदुओं को जातियों और भाषाओं में बाँटना।
- इस्लामी जिहाद – जनसंख्या विस्फोट, आतंकवाद, लव जिहाद, धर्मांतरण।
- ईसाई मिशनरी कन्वर्ज़न – गरीबों और अशिक्षितों को लालच और प्रलोभन से धर्म परिवर्तन कराना।
👉 यह सब वैसा ही है जैसा अंग्रेज़ों ने “डिवाइड एंड रूल” नीति से किया था।
👉 लेकिन इन सबका उत्तर वही है – ढाई अक्षर का प्रेम, धर्म, सत्य और त्याग।
हमें यह समझना होगा कि:
- जब-जब कांग्रेस और विपक्ष मज़बूत हुए हैं, तब-तब हिंदू समाज कमजोर हुआ है।
- जब-जब हिंदू समाज एकजुट हुआ है, तब-तब भारत ने नई ऊँचाइयाँ छुई हैं।
- आज यदि हम ढाई अक्षर का सही अर्थ समझ लें और उसे जीवन में उतार लें, तो न इस्लामी जिहाद, न ईसाई कन्वर्ज़न और न विदेशी षड्यंत्र हमें रोक पाएँगे।
👉 यही सनातन धर्म का संदेश है।
👉 यही हिंदू समाज की रक्षा का मार्ग है।
👉 यही भारत को विश्वगुरु बनाने की कुंजी है।
🇮🇳 जय भारत, वन्देमातरम 🇮🇳
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