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महाभारत से आज तक का संघर्ष

धर्म और राष्ट्र की रक्षा : महाभारत से आज तक का संघर्ष

महाभारत से आज तक का संघर्ष

संवाद पिता और पुत्र का

यह कथा एक पिता और पुत्र के बीच का संवाद है, जिसमें पिता महाभारत के प्रसंग के माध्यम से युद्ध और संघर्ष की अनिवार्यता समझा रहे हैं।

बेटा चाहता है कि संघर्ष से बचा जाए, लेकिन पिता कृष्ण का दुर्योधन के दरबार में शांति प्रस्ताव लेकर जाना, और उसका खारिज हो जाना बताकर समझाते हैं कि कई बार युद्ध अपरिहार्य होता है।

यह संवाद केवल एक कहानी है, बल्कि जीवन के बड़े सत्य और देश की वर्तमान परिस्थिति का गहन प्रतिबिंब भी है।

कृष्ण का प्रस्ताव और दुर्योधन का अस्वीकार

कृष्ण ने प्रस्ताव रखा था: में पूरा राज्य तुम्हें दे देता हूँ, पांडवों को पाँच गाँव दे दो, वे चैन से रहेंगे, तुम्हें कोई खतरा नहीं होगा।

दुर्योधन ने जानबूझकर इसे ठुकरा दिया क्योंकि यह उसके स्वभाव और अहंकार के खिलाफ था।

कृष्ण का उद्देश्य यह दिखाना था कि दुर्योधन कितना अनुचित और अन्यायी है, और संघर्ष अनिवार्य होगा। अपवाद नहीं।

अर्जुन की शंका और अधिक बुद्धि का बोझ

अर्जुन, जो पांडवों के सबसे महान योद्धा थे, को भी कई बार लड़ाई पर संदेह होता रहा।

कृष्ण ने सत्रह अध्यायों का ज्ञान दिया पर फिर भी शंका बनी रही।

यह दर्शाता है कि बुद्धिमान और जागरूक लोगों को ही गहरी चिंताएं होती हैं, जबकि कौरवों को संघर्ष की कोई शंका नहीं थी।

आज की स्थिति : भारत में महाभारत का पुनरावर्तन

आज भारत की परिस्थिति वैसी ही है जैसे महाभारत का युद्धभूमि था।

– *पांडव हैं वह देशभक्त हिंदू जो अपने धर्म, संस्कृति और राष्ट्र की रक्षा में जुटे हैं।*

– *कौरव हैं वह संपूर्ण अर्दार्मिक, देशद्रोही और अंतिहिंदू ताकतों का समूह जो देश को हथियाकर उसे तबाह करने पर तुला है।

कौरवों की ताकत और पांडवों का मार्गदर्शन

कौरवों के पास रणनीति, संसाधन और बड़ेबड़े समर्थन हैं, वैसे ही जैसे वे महाभारत में बड़े थे।

पांडवों के पास प्रभु कृष्ण का मार्गदर्शन था, जो हर कदम पर राह दिखाता रहा और शक्ति के साथ बुद्धि का मेल कर उनकी विजय सुनिश्चित की।

आज हमें भी एक आधुनिक कृष्ण चाहिए, जो पांडवोंदेशभक्तोंको प्रकाश दे, राह दिखाए और विजय का मार्ग साफ़ करे।

हमें क्यों जागना होगा? अहिंसा का दायरा और उसकी सीमा

अहिंसा और परोपकार जैसे सिद्धांत केवल नैतिक, तार्किक और सहनशील लोगों के लिए हैं।

जो शक्तिशाली अर्दार्मिक तत्व हैं, वे ऐसे मूल्य नहीं मानते, बलपूर्वक अपने इरादे थोपते हैं।

पांडवों को अपने शैथिल्य और भय के खोल से बाहर आना होगा और समझना होगा कि अब संघर्ष अनिवार्य है।

संघर्ष का समग्र हथियार: साम, दाम, दंड, भेद और चाल

कृष्ण की शिक्षा के अनुसार हमें इस युद्ध के हर पहलू का उपयोग करना होगा:

साम: शिक्षित करना, संवाद स्थापित करना, समझाना

दाम: प्रलोभन, समझौता, राजनीतिक या आर्थिक उपकरण

दंड: सख्त कार्रवाई, कानूनी और सामाजिक दमन

भेद: दुश्मन के भीतर मतभेद पैदा करना, रणनीतिक विघटन

चाल: जब अन्य सब बंद हो, तब बुद्धिमत्तापूर्ण असूचिता (स्ट्रेटेजिक चाल)

इन सबका समुचित संयोजन धर्म की जीत सुनिश्चित कर सकता है।

वर्तमान संकट और इतिहास का प्रतिबिंब

– 30 वर्ष पूर्व कश्मीरी हिंदुओं से सब छिन गया पर वे आतंकवादी नहीं बने।

वहीं, कश्मीरी मुसलमानों को कई सुविधाएँ दी गईं, पर वे आतंकवादी बनकर देश के लिए खतरा बने।

हालिया बाढ़ के दौरान सेना ने अनेकों की जान बचाई, पर वही लोग आज जवानों पर पत्थरबाज़ी कर रहे हैं।

अस्तित्व की लड़ाई : गाय, मंदिर, बहनबेटियां

सिर्फ धार्मिक प्रतीकों का मुद्दा नहीं, बल्कि हिंदुओं और देश की अस्मिता का सवाल है।

गौमाता की हत्या, प्राचीन मंदिरों को तोड़ कर मस्जिदें बनाना, पूजापंडालों की आवाज़ रोकना, ये संकेत हैं गहरी सांस्कृतिक लड़ाई के।

– आगे यह लड़ाई घरों और बेटियों तक पहुंचेगी, यह खतरा और गंभीर है

धर्म और मज़हब का विवेचन

    धर्म संस्कार है, आचरण है, जीवन का सही मार्ग है।

    मज़हब केवल आस्तिकता और कर्मकांड का समूह है जो कभी कभी खतरनाक हो जाता है।

    – हमें यह समझने की जरूरत है कि संस्कार और धर्म का पालन ही समाज को मजबूती देता है

    देशभक्ति और एकजुटता की आवश्यकता

      देशभक्तों को अपनी नींद से जागना होगा, केवल विरोध से काम नहीं चलेगा।

      देश की सुरक्षा और धर्म की रक्षा के लिए कड़ा संगठन और सक्रिय रणनीति बनानी होगी।

      पहचान और गर्व के साथ संगठित होना आज की जरूरत है।

      जूठी धर्मनिरपेक्षता का पर्दाफाश

        हिन्दुओं पर असामंजस्य और असहिष्णुता के आरोप लगाना धर्मनिरपेक्षता नहीं, बल्कि छद्मता है।

        अमरनाथ यात्रा और हिंदू त्योहारों पर हुए व्यवधानों को झुक कर सहन करना समझौता नहीं, बल्कि दुर्भाग्य है।

        निर्णायक निर्णय: संघर्ष की राह

          आज का भारत महाभारत युद्धभूमि है।

          कौरव पूरी तरह से तैयार हैं, पांडव हिचक रहे हैं।

          अब कोई विकल्प नहीं, संघर्ष स्वीकार करो, धर्म की विजय सुनिश्चित करो।

          जय श्री राम, गर्व से हिन्दू बनो

            संकल्प करोहम हिंदू हैं, हम अपने धर्म और देश के रक्षक हैं।

            सांस्कृतिक, राजनीतिक और सामाजिक मोर्चों पर संगठित हो लो।

            जय श्री राम कहो, और पूरे जोश के साथ अपने अधिकारों की रक्षा करो।

            🇮🇳Jai Bharat, Vandematram 🇮🇳

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