Skip to content Skip to sidebar Skip to footer
धर्म संकट और हिंदू आत्मगौरव की पुकार

धर्म संकट और हिंदू आत्मगौरव की पुकार: अब नहीं जागे तो देर हो जाएगी


आज भारत एक गहरे धर्म संकट से गुजर रहा है—ऐसा संकट जो केवल आस्था पर नहीं, बल्कि हमारे अस्तित्व, आत्मगौरव और सांस्कृतिक पहचान पर सीधा हमला है। बांग्लादेश, पश्चिम बंगाल और अन्य क्षेत्रों में हिंदू समाज पर हो रहे अत्याचार केवल समाचार नहीं हैं, ये उस सुनामी के पहले के झटके हैं जो हमारी जड़ों को हिला सकती है। सवाल यह नहीं कि अत्याचार कौन कर रहा है—सवाल यह है कि क्या हम इस धर्म संकट में भी मौन रहेंगे? अब समय है आत्ममंथन का, जागरण का और साहसिक कदम उठाने का—वरना इतिहास हमें कायर और निष्क्रिय समाज के रूप में याद रखेगा।

एक आत्ममंथन और राष्ट्रधर्म की पुकार

आज जब हम बांग्लादेश, पश्चिम बंगाल और अन्य क्षेत्रों में हिंदू समाज पर हो रहे अमानवीय अत्याचारों की खबरें सुनते हैं, तो भीतर कहीं कुछ टूटता है, कुछ जलता है—लेकिन फिर भी हम चुप रहते हैं। सवाल यह नहीं कि अत्याचार कौन कर रहा है, असली सवाल यह है कि हम कुछ कर क्यों नहीं रहे?

बहुत लोग दोष देंगे—

  • “वो विधर्मी हैं, हिंसक हैं, जिहादी मानसिकता रखते हैं।”
  • कुछ कहेंगे, “सरकार असफल है, कुछ नहीं कर रही।”
  • और कुछ कहेंगे, “हमारे ही समाज के सेकुलर जयचंद इसकी जड़ हैं।”

परन्तु सत्य इससे कहीं गहरा है।
इस षड्यंत्र के असली अपराधी हम स्वयं हैंहिंदू समाज के वे लोग जो धर्म के नाम पर भावुक तो हैं, पर कर्म के नाम पर शून्य हैं।

हम अपराधी कैसे?

यह प्रश्न खुद से पूछिए।
हमने किसी का घर नहीं जलाया, किसी को मारा नहीं, किसी की आस्था का अपमान नहीं किया—तो फिर हम दोषी कैसे?

हम दोषी हैं अपने कायर मौन के, अपने निष्क्रिय समर्थन के, अपने खोखले आदर्शवाद के।

क्या एक पागल कुत्ता हमारे घर में घुस आए और हमारे बच्चों पर हमला करे, तो हम कहेंगे “हम अहिंसक हैं”, और कुछ न करें?
क्या हमारे धर्मग्रंथ हमें नहीं सिखाते कि धर्म की रक्षा के लिए युद्ध ही पूजा है?

कृष्ण ने कहा था – “जब अधर्म बढ़े, तो शस्त्र उठाना ही धर्म है।

तो फिर हम आज अत्याचार क्यों सह रहे हैं? क्यों आज हम केवल पोस्ट, व्हाट्सएप, ट्वीट और व्लॉग तक सीमित हो गए हैं?

क्यों नहीं हम संगठित, साहसी, और संयमित प्रतिकार के लिए आगे आते?

अब समय नहीं बचा है।

जब कोई कहता है – “यह अत्याचार हमारे राज्य में नहीं हो रहा, तो हम क्या करें?”
तो वो यह भूल रहा है कि यह आग सीमाओं की मोहताज नहीं होती।

आज बंगाल जल रहा है, कल काशी, अयोध्या, या आपके गाँव की बारी है।

यदि हम आज खड़े नहीं हुए, तो हमारी अगली पीढ़ी हमसे सवाल पूछेगी कि

“पिता, जब धर्म संकट में था, तब आपने क्या किया?”

क्या हमारे पास जवाब होगा?

जैसे को तैसा‘ – यह आज की जरूरत है।

यह नफरत फैलाने की बात नहीं है, यह धर्मरक्षा की बात है।
आज हर वह इलाका जहाँ विधर्मी बहुसंख्या में हैं, वहां हिंदू समाज को दबाया जा रहा है।
क्यों?

क्योंकि हम डरपोक साबित हुए हैं।

अब हमें भी सीखना होगा कि जहां हम बहुसंख्या में हैं, वहां हम अपने आत्म-सम्मान, धर्म, और संस्कृति की रक्षा में संकोच न करें।

हमारी सहिष्णुता अब हमारी कमजोरी बन चुकी है।

अगर हम भी वहां प्रतिकार करें, जहां उनकी संख्या कम है,
तो दो ही दिन में वे खुद शांतिपूर्ण रहने की मांग करेंगे।
तब सरकार को भी कठोर कानून बनाने का नैतिक और राजनीतिक आधार मिलेगा।

 वोट की ताकत – एक भ्रम!

हमें लगता है कि हमारी ताकत वोट में है।
परंतु जनसंख्या का समीकरण बदल रहा है।
अगर यही हाल रहा, तो अगले 10–15 वर्षों में उनका वोट बैंक इतना बड़ा हो जाएगा कि वे खुद सरकार बनाएंगे, और फिर संविधान भी उनके हिसाब से चलेगा।

क्या हम तब भी यूँ ही फेसबुक पर पोस्ट डालेंगे?

अब क्या करें?

  • संगठित हों: धर्मनिष्ठ, राष्ट्रवादी संगठनों को मज़बूत करें।
  • बोलना शुरू करें: सच कहें, डरें नहीं, शर्मिंदा न हों।
  • अपनी पीढ़ी को योद्धा बनाएं: सिर्फ इंजीनियर, डॉक्टर नहीं—वीर, बुद्धिमान, संस्कारी सैनिक भी चाहिए।
  • जैसे को तैसा: जहां अन्याय हो, वहीं प्रतिकार करें।
  • राजनीतिक रूप से जागरूक रहें: केवल वोट देने तक सीमित न रहें—अपने प्रतिनिधियों पर दबाव बनाएं।

मित्रों, आज हम जिस दोराहे पर खड़े हैं, वह केवल एक राजनीतिक या सामाजिक संकट नहीं है—यह अस्तित्व का संकट है, धर्म और आत्मगौरव का संकट है।

अब समय आ गया है कि हम केवल शांति की याचना न करें, बल्कि शक्ति का प्रदर्शन करें—न्याय के लिए, संस्कृति की रक्षा के लिए।

जो आज उठेगा, वही कल के इतिहास में पूज्य होगा।
जो आज चूका, वह भविष्य में केवल उपहास का पात्र बनेगा।

जय श्रीराम। जय सनातन। जय भारत।

धिक ब्लॉग्स के लिए कृपया www.saveindia108.in पर जाएं।

👉Join Our Channels👈

Share Post

Leave a comment

from the blog

Latest Posts and Articles

We have undertaken a focused initiative to raise awareness among Hindus regarding the challenges currently confronting us as a community, our Hindu religion, and our Hindu nation, and to deeply understand the potential consequences of these issues. Through this awareness, Hindus will come to realize the underlying causes of these problems, identify the factors and entities contributing to them, and explore the solutions available. Equally essential, they will learn the critical role they can play in actively addressing these challenges

SaveIndia © 2025. All Rights Reserved.