सहस्राब्दियों से भारत सनातन धर्म की जन्मभूमि रहा है
- भारतवर्ष सहस्रों वर्षों से सनातन धर्म का पवित्र पालना, शाश्वत सत्य का केंद्र और मानवता का मार्गदर्शक रहा है।
- इसने अनगिनत आक्रमण झेले, सैकड़ों वर्षों का उत्पीड़न सहा और फिर भी समृद्ध हुआ।
- पर आज का खतरा अलग है। अब यह केवल तलवारों या आक्रमणकारियों का नहीं, बल्कि वैचारिक युद्ध, जनसंख्या परिवर्तन, प्रोपेगेंडा और हमारे अपने धर्मगुरुओं की चुप्पी का है।
सनातन धर्म पर दोहरी मार
- बाहरी आक्रमण – जिहादी नेटवर्क, विदेशी फंडिंग वाले NGO, वैश्विक लॉबी और भारत-विरोधी ताक़तें।
- भीतरी उदासीनता – स्वयं हिन्दू, जो जातियों में बँटे हैं, भोग-विलास, मनोरंजन और कर्मकांडों में खोए हुए हैं।
- जो संत, संन्यासी, गुरु और आचार्य धर्म के रक्षक होने चाहिए थे, वे तटस्थ और मौन बने हुए हैं। परन्तु धर्मयुद्ध में तटस्थ रहना अधर्म है।
यह केवल राजनीति नहीं है। यह हमारे अस्तित्व और सभ्यता की रक्षा का युद्ध है।
इतिहास का सबक – जब चुप्पी बनी गुलामी
इतिहास गवाह है कि जब हिन्दू एकजुट नहीं हुए और संतों ने मार्गदर्शन नहीं दिया, तब सभ्यताएँ मिट गईं।
- 1947 में पाकिस्तान में हिन्दू 23% थे, आज 1.5% भी नहीं।
- बांग्लादेश में 30% से घटकर 7% रह गए।
- अफगानिस्तान से हिन्दू-बौद्ध संस्कृति पूरी तरह मिटा दी गई।
- कश्मीर की घाटी से एक रात में लाखों पंडितों को बेदखल कर दिया गया।
- हर जगह हिन्दुओं को केवल तीन विकल्प दिए गए – इस्लाम कबूल करो, भागो या मरो।
यदि भारत भी इसी राह पर चला, तो कहीं भी हिन्दुओं के लिए कोई शरणस्थल नहीं बचेगा।
इस्लामी एकता बनाम हिन्दू बिखराव
🔴 मुसलमान पूरी दुनिया में एकजुट होकर काम करते हैं –
- अवैध घुसपैठ (रोहिंग्या, बांग्लादेशी)
- लव जिहाद और धर्मांतरण माफिया
- वक्फ बोर्ड से ज़मीन कब्ज़ा
- मदरसों और पक्षपाती किताबों से मानसिक नियंत्रण
- मीडिया, न्यायालय और प्रोपेगेंडा से हिन्दुओं को बदनाम करना
🟡 जबकि हिन्दू धर्मगुरु व्यस्त हैं –
- भजन, पूजा और प्रवचनों में
- मंदिरों और आश्रमों का विस्तार करने में
- व्यक्तिगत ब्रांड और सोशल मीडिया अनुयायी बढ़ाने में
- “हम राजनीति से दूर हैं” कहकर तटस्थ बने रहने में
यह आत्मघाती चुप्पी घातक है। भारत को आध्यात्मिक सेलिब्रिटी नहीं, बल्कि धर्मयोद्धा संत चाहिए।
यदि भारत गिरा तो सनातन धर्म हमेशा के लिए मिट जाएगा
स्पष्ट है – यदि हिन्दुओं से राजनीतिक शक्ति छिन गई तो सनातन धर्म नहीं बचेगा।
- अदालतें “धर्मनिरपेक्षता” के नाम पर हिन्दू परंपराओं पर रोक लगा देंगी।
- वक्फ बोर्ड मंदिरों पर कब्ज़ा कर लेगा।
- धर्मांतरण माफिया खुलेआम हर हिन्दू परिवार को निशाना बनाएंगे।
- संतों का सम्मान नहीं होगा, वे जिहाद का शिकार बनेंगे।
भारत का बचना ही सनातन धर्म का बचना है।
क्यों संतों को मोदी और भाजपा का साथ देना चाहिए
पिछले 10 वर्षों में मोदी सरकार ने वह कर दिखाया जो किसी ने नहीं किया:
✅ 500 वर्षों बाद राम मंदिर का निर्माण
✅ अनुच्छेद 370 हटाकर कश्मीर को भारत से जोड़ना
✅ CAA से पीड़ित हिन्दुओं को सुरक्षा
✅ पाकिस्तान पर सर्जिकल और एयर स्ट्राइक
✅ घुसपैठ और आतंक नेटवर्क पर सख्ती
✅ काशी विश्वनाथ, महाकाल कॉरिडोर, केदारनाथ धाम का पुनर्निर्माण
✅ UCC और धर्मांतरण विरोधी कानूनों पर पहल
यह सब किसी संयोग से नहीं हुआ। यह केवल मज़बूत राष्ट्रवादी नेतृत्व की वजह से हुआ।
- अब कल्पना कीजिए – यदि कांग्रेस, समाजवादी, वामपंथी, तृणमूल, DMK या लेफ्ट सत्ता में आए तो क्या होगा?
- मुस्लिम तुष्टिकरण, घुसपैठियों को सुरक्षा, हिन्दू विरोधी नीतियाँ और भारत का पाकिस्तान की ओर फिसलना।
इसलिए यह भाजपा बनाम विपक्ष का सवाल नहीं, बल्कि धर्म बनाम अधर्म का प्रश्न है।
धर्मगुरुओं का कर्तव्य – आज ही जागो
- धर्मगुरु करोड़ों हिन्दुओं के मार्गदर्शक हैं। उनकी वाणी प्रेरणा देती है, उनकी चुप्पी उदासीनता फैलाती है। यदि वे असफल रहे, तो सम्पूर्ण हिन्दू समाज असफल होगा।
संतों को तुरंत करना चाहिए:
- प्रवचन और कथाओं के माध्यम से हिन्दुओं को जागरूक करना।
- 90% से अधिक हिन्दू मतदान सुनिश्चित करना।
- RSS, VHP, बजरंग दल जैसी संस्थाओं को समर्थन देना।
- हिन्दुओं को जिहादी बाज़ार से बहिष्कार कर स्वदेशी अपनाने को प्रेरित करना।
- युवाओं को धर्मांतरण माफिया से बचाना।
- शिक्षा में सच्चा हिन्दू इतिहास शामिल करने की माँग।
- सम्प्रदायों से ऊपर उठकर संत परिषद बनाना।
- चुनावों तक राष्ट्रवादी एजेंडे को साधना।
- डिजिटल मंचों से जागरण फैलाना।
खुलकर खड़ा होना – तटस्थता = विश्वासघात।
चेतावनी और आह्वान
- हे संतों, गुरुओं, आचार्यों, योगियों – अब समय आ गया है कि आप केवल मार्गदर्शक नहीं, बल्कि धर्मयोद्धा बनें।
- यदि आप मौन रहे तो कल मंदिर मस्जिद बनेंगे, शिष्य धर्मांतरित होंगे, शास्त्रों पर पाबंदी लगेगी और इतिहास आपको दोषी ठहराएगा।
भविष्य की पीढ़ियाँ पूछेंगी:
👉 जब धर्म संकट में था तो संत कहाँ थे?
👉 उन्होंने तटस्थ रहकर क्यों भारत को डुबोया?
👉 उन्होंने मार्गदर्शन क्यों नहीं दिया?
इतिहास यह न लिखे कि 21वीं सदी के संतों ने आराम को साहस पर तरजीह दी।
सनातन को अमर बनाइए
यह आख़िरी अवसर है। संत जागरण का नेतृत्व करें। हर हिन्दू उठ खड़ा हो।
✊🏼 2029 में भाजपा/एनडीए को पूर्ण बहुमत दें।
✊🏼 हर हिन्दू-विरोधी ताक़त को उखाड़ फेंकें।
✊🏼 अपने मंदिरों और परंपराओं की रक्षा करें।
✊🏼 जाति-भाषा से ऊपर उठकर सनातनी परिवार बनें।
✊🏼 भारत को विश्व का धर्मप्रदीप बनाएं।
यह राजनीति नहीं है। यह है – धर्म रक्षा, राष्ट्र रक्षा, संस्कृति रक्षा।
🇮🇳 जय भारत, वन्देमातरम 🇮🇳
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