विश्व रक्षा की दोहरी रणनीति
आज की दुनिया एक ऐसे मोड़ पर खड़ी है, जहाँ अगर हम समय रहते जिहाद और आतंकवाद की समस्या को जड़ से समाप्त नहीं करते, तो यह आग भारत ही नहीं बल्कि सम्पूर्ण विश्व को निगल सकती है। ऐसी स्थिति में एक प्रभावी दोहरी रणनीति—आतंकवाद का समूल विनाश और मुस्लिम समाज का मानवीकरण व सशक्तिकरण—ही विश्व को सुरक्षित मार्ग पर ले जा सकती है।
लेकिन, इसका हल सिर्फ सैन्य बल नहीं — बल्कि वैचारिक, सामाजिक और रणनीतिक स्तर पर एक व्यापक सुधार है।
🎯 उद्देश्य 1: आतंकवाद और जिहादी विचारधारा का समूल उन्मूलन
1.1 आतंकवाद का वास्तविक चेहरा:
- कट्टरपंथी और जिहादी संगठनों द्वारा धर्म के नाम पर अनपढ़ और गरीब मुसलमानों को ‘मकसद‘ (purpose) का झूठा सपना दिखाया जाता है।
- ये संगठन उन्हें धन, शरण, और तथाकथित ‘जन्नत‘ का लालच देकर मानव बम बना देते हैं।
1.2 वैश्विक पैटर्न:
- पाकिस्तान और उसके ISI का उपयोग कर भारत में घुसपैठ और हमले।
- सीरिया और अफगानिस्तान से निकलते आतंकवादी वैश्विक हमलों में शामिल।
- नाइजीरिया (बोको हरम), सोमालिया (अल–शबाब) जैसे संगठन बच्चों को बंदूक पकड़ा रहे हैं।
- फ्रांस, बेल्जियम, जर्मनी जैसे यूरोपीय देशों में मुस्लिम अप्रवासी समुदायों में अलगाववाद पनप रहा है।
1.3 समाधान:
- संयुक्त राष्ट्र के स्तर पर ‘ग्लोबल एंटी टेरर फोर्स‘ का गठन हो।
- कट्टरपंथी मदरसों, NGO, डिजिटल नेटवर्क की जांच और फंडिंग रोकना जरूरी है।
- राजनयिक, आर्थिक और साइबर स्तर पर अभियान चलाकर नेटवर्क तोड़ना होगा।
🎯 उद्देश्य 2: मुस्लिम समाज का पुनर्निर्माण – शिक्षा, मानवता और नैतिकता से
2.1 शिक्षा और सोच में परिवर्तन:
- मदरसों में दी जा रही कट्टर धार्मिक शिक्षा को नियंत्रित करना होगा।
- आधुनिक शिक्षा, तकनीकी कौशल, नागरिक अधिकार और कर्तव्यों की समझ ज़रूरी है।
- बच्चों को “मजहब से पहले इंसानियत“ का पाठ पढ़ाना होगा।
2.2 सामाजिक समस्याएं:
- बहुपत्नी प्रथा और अत्यधिक संतानोत्पत्ति की वजह से:
- गरीब परिवारों पर बोझ।
- बच्चों की परवरिश नहीं हो पाती।
- शिक्षा और मूल्यों का अभाव आतंक की जड़ों को मजबूत करता है।
2.3 समाधान:
- जनसंख्या नियंत्रण के लिए धार्मिक नेतृत्व से संवाद।
- मुस्लिम महिलाओं को शिक्षा, रोजगार और नेतृत्व में लाना।
- केंद्र व राज्य सरकारें योजनाओं के ज़रिये अल्पसंख्यकों के बीच उदार और शिक्षित वर्ग को प्रोत्साहित करें।
🏛️ वक्फ संशोधन विधेयक: बदलते मुस्लिम मानस का संकेत
- संसद में जब वक्फ संपत्तियों के दुरुपयोग और संशोधन पर चर्चा हुई, तो कई मुस्लिम विद्वानों ने खुलकर कट्टरता के खिलाफ आवाज़ उठाई।
- यह एक संकेत है कि नई पीढ़ी और शिक्षित मुस्लिम वर्ग यह समझ रहा है कि जिहादी सोच से दूर होकर ही वे:
- विकास की धारा में आ सकते हैं।
- भारत और दुनिया के साथ आत्मसात हो सकते हैं।
➡️ प्रधानमंत्री मोदी का विकास मॉडल, जो “सबका साथ, सबका विकास” पर आधारित है, युवाओं को नई दिशा दे सकता है।
➡️ मुस्लिम युवाओं को यह भरोसा दिलाना होगा कि भारत उनका विरोधी नहीं, बल्कि संभावनाओं की धरती है।
🤝 उदार मुस्लिमों के साथ सहयोग
यह लड़ाई किसी धर्म के खिलाफ नहीं है, बल्कि मानवता के शत्रुओं के खिलाफ है।
इसलिए दुनिया के हर हिस्से में जो मुसलमान:
- जिहाद और हिंसा के खिलाफ हैं,
- मानवीय मूल्यों को मानते हैं,
- शांति और सौहार्द के पक्षधर हैं — उन्हें साथ जोड़ना अनिवार्य है।
उदाहरण:
- अमेरिका, UAE, सऊदी अरब, इंडोनेशिया और बांग्लादेश में कई मुसलमान जिहाद के खिलाफ बोलते हैं।
- UAE ने मदरसों में सुधार कर आधुनिक शिक्षा लागू की।
- इंडोनेशिया ने इस्लामी कट्टरता के खिलाफ कानून बनाए।
🌍 वैश्विक अभियान की आवश्यकता:
- जैसे ISIS को समाप्त करने के लिए वैश्विक गठबंधन बना,
- वैसे ही अब समय है कि पूरी दुनिया:
- जिहादी आतंकवाद की विचारधारा को जड़ से खत्म करने के लिए एकजुट हो,
- सैन्य, कूटनीतिक, वैचारिक और डिजिटल स्तर पर संयुक्त अभियान चलाए।
लेकिन साथ में ध्यान रखें:
- निर्दोष और शांति प्रिय मुसलमान इस प्रक्रिया में अन्याय का शिकार न हों।
- मानवता, इंसाफ और विवेक के साथ ही यह लड़ाई जीती जा सकती है।
🔚 निष्कर्ष:
- यह केवल आतंकवाद का संकट नहीं है, बल्कि मानव सभ्यता की परीक्षा है।
- हमें न केवल कट्टरपंथ का सिर कुचलना है, बल्कि एक नई मुस्लिम पीढ़ी को:
- शिक्षा, रोजगार, नैतिकता और मानवता से जोड़ना है।
भारत और विश्व को Modi Model of Development की राह पर चलकर:
- आतंकवाद से मुक्त,
- और मुस्लिम समाज को सशक्त बनाना होगा।
यही संतुलित, प्रभावशाली और स्थायी समाधान है।
🇮🇳जय भारत, वन्देमातरम 🇮🇳
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