1947 में अपने गठन के बाद से, पाकिस्तान ने एक घातक फार्मूला गढ़ा है:
“आतंकवादियों को ट्रेन करो। भारत पर हमला करो। खुद को पीड़ित बताओ। वैश्विक सहायता पाओ। आतंकी फैक्ट्रियां फिर से बनाओ। और दोहराओ।” असल में, दुनिया ने पाकिस्तान की जिहादी मशीन को फंड किया है। जिसे “विदेशी सहायता” कहा जाता है, वह कूटनीति की आड़ में दी गई आर्थिक मदद है, जो सीधे जिहादी आतंक के रणनीतिक वित्तपोषण के रूप में काम करती है।
पाकिस्तान के आतंक उद्योग के लिए वैश्विक फंडिंग
1947 से अब तक, पाकिस्तान को वर्ल्ड बैंक, IMF, अमेरिका, ब्रिटेन, यूरोपीय संघ और अन्य पश्चिमी देशों से 100 अरब डॉलर से अधिक की सहायता, ऋण और अनुदान मिल चुके हैं। विडंबना यह है कि यह वित्तीय सहायता अक्सर पाकिस्तान द्वारा आतंकी गतिविधियों, युद्धों और दक्षिण एशिया में अस्थिरता फैलाने के बाद दी गई।
⏳ प्रमुख घटनाएं और फंडिंग
- 1947–1971: भारत से युद्ध और बांग्लादेश में नरसंहार के बाद $25,000 से $84 मिलियन तक की शुरुआती सहायता।
- 1974–1990s: परमाणु हथियारों के विकास और खालिस्तानी आतंक को बढ़ावा देने के साथ सहायता अरबों डॉलर तक बढ़ी।
- 1993–2008: मुंबई धमाकों, कारगिल युद्ध और 26/11 के बावजूद $10 अरब डॉलर से अधिक की सहायता।
- 2013–2020: सीमा पार आतंकवाद, पुलवामा हमला और CAA विरोधों के दौरान $14 अरब डॉलर से अधिक मिले।
- 2023–2025: चुनाव हस्तक्षेप, ड्रोन हमले और पहलगाम नरसंहार के बावजूद वर्ल्ड बैंक ने $40 अरब और स्वीकृत किए — $20B अनुदान व $20B ऋण के रूप में।
🧠 वैश्विक भ्रांति: शत्रु को ही फंड देना?
दुनिया किस सोच से अपने ही दुश्मन को पैसा देती है?
पाकिस्तान, जो अल–कायदा, तालिबान, हक्कानी नेटवर्क, लश्कर-ए-तैयबा, जैश-ए-मोहम्मद और ISI-प्रायोजित संगठनों का अड्डा है, को अभी भी पश्चिमी देश भारी फंडिंग दे रहे हैं। क्यों?
- रणनीतिक ब्लैकमेल: पाकिस्तान खुद को अस्थिर देश बताकर भय पैदा करता है—दुनिया को मजबूर करता है फंडिंग देने को।
- भूराजनीतिक हथियार: पश्चिमी देश पाकिस्तान को भारत, ईरान या चीन के खिलाफ इस्तेमाल करते हैं, जबकि इसके गंभीर परिणाम जानते हैं।
- शांति का झूठा नैरेटिव: “स्थिरता” और “पुनर्वास” के नाम पर सहायता भेजी जाती है, जो सीधे आतंकी ढांचे में जाती है।
🌍 इस बीच, भारत और इज़राइल अकेले वैश्विक आतंकवाद से लड़ रहे हैं, जान, सैनिक और शांति की बलि चढ़ाते हुए, जबकि बाकी दुनिया तालियाँ बजा रही है—बिलकुल अंधी हो चुकी है उस आग से जो अब उनके दरवाजे तक पहुँच चुकी है।
🧨 जिहादी अर्थव्यवस्था: पाकिस्तान की सबसे बड़ी एक्सपोर्ट
- जिहाद अब पाकिस्तान की GDP का हिस्सा बन चुका है।
- हर बम विस्फोट से और डॉलर मिलते हैं – प्रतिबंध नहीं, इनाम मिलता है।
- नैतिक दिवालियापन – चुप्पी, पैसा और तुष्टीकरण ने आतंकवाद को काबुल से लेकर कश्मीर, ब्रुसेल्स से लेकर बॉस्टन तक फैलाया है।
⚔️ दुनिया के लिए चेतावनी
🔊 “तुम जिहाद को फंड करके शांति नहीं पा सकते। आतंक को तुष्ट कर के सुरक्षा नहीं मिल सकती।“
पाकिस्तान को दिया हर डॉलर सभ्यता के हृदय में छुरा है। यह अब सिर्फ भारत या इज़राइल की लड़ाई नहीं रही। यह पूरी मानवता के अस्तित्व की लड़ाई है। अगर अब भी वैश्विक नेता एकजुट नहीं हुए और वैश्विक एंटी–जिहाद गठबंधन नहीं बना, तो पाकिस्तान की आतंकी आग यूरोप के शहरों, अमेरिका के स्कूलों और पूरी दुनिया की स्वतंत्रता को भस्म कर देगी।
🛡️ भारत का रुख – एक वैश्विक उदाहरण
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत अब आतंकवाद को सहन नहीं कर रहा है।
सर्जिकल स्ट्राइक, कूटनीति और सख्ती के ज़रिए भारत ने आतंक के खिलाफ नए नियम बनाए हैं।
लेकिन याद रखें, दुनिया ने पाकिस्तान की जिहादी मशीन को फंड किया है। इसलिए अब समय आ गया है कि पूरी दुनिया सिर्फ बातें करने के बजाय भारत और इज़राइल के साथ मिलकर काम करे।
आतंकी ठिकानों को खत्म करें, फंडिंग रोकें, और उन देशों को सजा दें जो जिहाद फैलाते हैं।
“हर आतंकवादी बंदूक नहीं उठाता — कुछ चेकबुक भी उठाते हैं।”
पश्चिम को समझना होगा कि पाकिस्तान को पैसा देना अपनी ही बर्बादी है।
“वसुधैव कुटुम्बकम” के भाषण का समय खत्म हो चुका है।
अब “रक्षा धर्म” का समय है — मानवता की रक्षा करने का।
🇮🇳जय भारत, वन्देमातरम 🇮🇳
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