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वक्फ बोर्ड और हल्दीघाटी का ऐतिहासिक संदेश

एक दुःखद सत्यकथा – वक्फ बोर्ड और हल्दीघाटी का ऐतिहासिक संदेश

इतिहास सिर्फ विजयों और वीरताओं की कहानियाँ नहीं कहता, बल्कि उन सच्चाइयों को भी छुपाए बैठा है जो समय के साथ दबा दी गईं। वक्फ बोर्ड और हल्दीघाटी से जुड़ी यह कहानी एक ऐसा ही दुखद सत्य है, जो हमें हमारे अतीत को नए दृष्टिकोण से देखने पर मजबूर करती है।

“जो इतिहास नहीं सीखते, वे उसे दोहराने को अभिशप्त होते हैं”

हल्दीघाटी का युद्ध एक चेतावनी जो आज भी प्रासंगिक है

मुगल दरबार के इतिहासकार अब्दअलक़ादिर बदायूंनी ने हल्दीघाटी युद्ध का आंखों देखा वर्णन अपनी किताब मुंतख़बउलतवारीख़ में किया है।
इस ऐतिहासिक युद्ध में दोनों ओर से 90% हिन्दू राजपूत ही लड़ रहे थे।

एक तरफ महाराणा प्रताप और उनके देशभक्त हिन्दू योद्धा थे,

दूसरी ओर अकबर की सेना का नेतृत्व कर रहे थे राजा मानसिंह और अन्य हिन्दू राजा।

जब अकबर का सेनापति अबुल फजल उलझ गया कि केसरिया साफा पहने राजपूतों में कौन मित्र है और कौन शत्रु, तो बदायूंनी ने जवाब दिया:

फिक्र मत करो, बस तीर चलाते रहो जो भी मरेगा, वो काफिर ही होगा। चाहे वो हमारे साथ हो या विरोधी के साथ इस्लाम की ही जीत होगी।

यह कथन आज भी हमारे लिए एक करारा तमाचा है। क्योंकि इतिहास गवाह है कि हिंदुओं के भीतर के गद्दारों ने ही देश को सबसे ज्यादा नुकसान पहुँचाया है।

गद्दारी का परिणाम – 800 साल की ग़ुलामी

हम क्यों 800 वर्षों तक मुस्लिम आक्रांताओं की ग़ुलामी में रहे?

  • क्योंकि जयचंद जैसे गद्दारों ने मोहम्मद गौरी को आमंत्रित किया।
  • क्योंकि मानसिंह जैसे योद्धा धर्म नहीं, सत्ता की भक्ति करने लगे।
  • क्योंकि हिन्दू कभी एकजुट नहीं हो सके बाहरी हमलावरों से अधिक अंदरूनी गद्दारी ने हमारी जड़ें काटीं।

अगर हम आज भी न संभले, तो इतिहास खुद को दोहराएगा और इस बार शायद हमारी संस्कृति का अस्तित्व ही मिट जाएगा।

आज की हल्दीघाटी वक्फ बोर्ड और कानूनी आक्रांताएं

वक्फ बोर्ड आधुनिक कानूनी जिहादका हथियार

  • वक्फ एक्ट के तहत वक्फ बोर्ड को किसी भी ज़मीन को “वक्फ संपत्ति” घोषित करने का अधिकार है – बिना सुनवाई के, बिना सूचना के।
  • पूरे भारत में 6 लाख एकड़ से अधिक भूमि वक्फ बोर्ड के नाम दर्ज है – यह रेलवे और रक्षा मंत्रालय से भी अधिक है!
  • कई मंदिरों, आश्रमों और हिन्दू ट्रस्ट की ज़मीनें भी इसमें आ गई हैं।

संसद का सत्य हिन्दुओं की आत्मघाती भूमिका

  • 2023 में वक्फ बिल के पक्ष में 288 सांसदों ने वोट दिया – जिनमें से केवल 24 मुस्लिम और 208 हिन्दू सांसद शामिल थे।

यह आज के मानसिंह और जयचंद हैं, जो वोट और पद के लिए संस्कृति और धर्म को बेच रहे हैं।

हम अगर न जागे, तो क्या होगा?

  • हम सिर्फ इतिहास के पन्नों में रह जाएंगे।
  • हमारे मंदिर, संस्कृति और संस्कार सब मिटा दिए जाएंगे।

हमारे बच्चों को किताबों में एक धर्म था सनातनपढ़ाया जाएगा जैसा हम आज रोमन या यूनानी सभ्यता के बारे में पढ़ते हैं।

अब समय है संकल्प का ठोस कदम उठाने का

1. वक्फ कानून का विरोध और कानूनी चुनौती

  • सुप्रीम कोर्ट में PIL दाखिल की जाए – वक्फ बोर्ड संविधान की धर्मनिरपेक्षता के खिलाफ है।
  • सोशल मीडिया और जनसभाओं में जागरूकता फैलाई जाए।

2. देशद्रोही हिन्दू नेताओं की जवाबदेही तय करें

  • उन 208 हिन्दू सांसदों की सूची सार्वजनिक करें जिन्होंने वक्फ कानून का समर्थन किया।
  • जनता को जागरूक करें – अगली बार वोट उन्हीं को दें जो सनातन धर्म के रक्षक हों।

3. समान नागरिक सम्पत्ति कानून की मांग करें

सभी धर्मों के लिए एक जैसे कानून लागू हों – विशेषाधिकार समाप्त हों।

4. हिन्दू लीगल डिफेंस संगठन बनाएं

हर जिले में हिन्दू लीगल हेल्प सेल बनाई जाए जो ज़मीन कब्जों और वक्फ बोर्ड की अतिक्रमण नीतियों से लड़े।

समापन संदेश:

हल्दीघाटी में यदि मानसिंह नहीं होते, तो इतिहास अलग होता। आज अगर वक्फ बिल के समर्थन में 208 हिन्दू सांसद नहीं होते, तो हमारी भूमि सुरक्षित होती।

हमें तय करना है हम महाराणा प्रताप बनेंगे या फिर जयचंद और मानसिंह?”

संघर्ष करो, संगठित रहो, और सनातन धर्म को बचाओ। नहीं तो आने वाली पीढ़ियां सिर्फ इतिहास में हमें ढूंढेंगी।

🇳🇪 जय भारत, वन्देमातरम🇳🇪

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