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मूक गृहयुद्ध

एक मूक गृहयुद्ध की आहट: तूफान के पहले शांति?

हमारे चारों ओर सब कुछ सामान्य दिखता है—शांति, व्यस्तता और रोजमर्रा की जिंदगी। लेकिन क्या यह सच में शांति है, या तूफान से पहले की खामोशी? समाज में बढ़ता असंतोष, विचारधारा का टकराव और अंदर ही अंदर खौलते हालात इस ओर संकेत कर रहे हैं कि देश एक मूक गृहयुद्ध की ओर बढ़ रहा है। यह समय है सतर्क होने का, सच को पहचानने का और आने वाले संकट के लिए तैयार रहने का।

1. पहलगाम हमले के बाद की चुप्पी क्या यह तूफ़ान से पहले की शांति है?

पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद, भारतीय मुस्लिम नेताओं की आवाज़ें अचानक गायब हो गईं।
जो ओवैसी, मदनी जैसे नेता हमेशा भारत सरकार और राष्ट्रवाद के विरोधी बयान देते थे, वही अब “पाकिस्तान मुर्दाबाद” बोल रहे हैं।

क्या यह परिवर्तन है? नहीं। यह एक बड़ी साज़िश का हिस्सा है।

जब दुश्मन अचानक शांत हो जाए, तो समझिए वह कुछ बड़ा करने की तैयारी में है। यह स्थिति उस मूक गृहयुद्ध की ओर इशारा करती है, जो धीरे-धीरे हमारे समाज को अंदर से खोखला कर रहा है।

2. इतिहास ने हमें सिखाया है मुस्लिम विश्वासघात बारबार होता है

क्या हम भूल गए?

  • 1947 में मुसलमानों ने अलग देश की माँग की, पाकिस्तान लिया और फिर भी भारत में रह गए।
  • कश्मीर में इन्हें अधिकार मिले, विशेष दर्जा मिला, फिर भी 1990 में हिंदुओं को मारकर भगा दिया।
  • हर बार जब भी उन्हें मौका मिला, उन्होंने भारत और हिंदुओं के साथ विश्वासघात किया।
  • इतिहास यही सिखाता है जैसे ही शक्ति मिलेगी, वे फिर से वार करेंगे।

3. निकाह जिहाद घर के अंदर छुपा खतरनाक जाल

पिछले 25-30 वर्षों में, लाखों भारतीय मुस्लिम महिलाओं की शादियाँ पाकिस्तानी पुरुषों से हुई हैं।

इससे क्या हुआ?

  • जिहादी खून वाली नई पीढ़ी पैदा हुई
  • सरहद पार से वफादारी निभाने वाला नेटवर्क बना
  • भारत में पाकिस्तान का स्थायी एजेंट तैयार हो गया

इन 1 करोड़ से अधिक “हाइब्रिड जिहादियों” ने भारत के शहरों, गाँवों, सरकारी तंत्र में गहरी घुसपैठ कर ली है।

अगर भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध हुआ, तो ये सभी भीतर से हमला करेंगे।

4. उन्हें पता है कि हिंदू अभी भी सो रहे हैं और सेकुलर हिंदू सबसे आसान शिकार हैं

  • दुश्मन हमारी कमजोरी जानता है:
  • हम जाति, क्षेत्र, भाषा और दलों में बँटे हुए हैं।
  • हम आज भी तुष्टीकरण की राजनीति में विश्वास करते हैं।
  • हम अहिंसा को कायरता बनाकर जीते हैं।
  • हमारे मंदिर, संत और संगठन मूकदर्शक बन चुके हैं।

यही कारण है कि वे अब शांत हैं ताकि सही समय आने पर जब वे हमला करें, तो हमें संभलने का मौका भी न मिले।

5. अहिंसा महान है लेकिन केवल मानवों के लिए

हम सनातन धर्म के अनुयायी हैं, जहाँ अहिंसा परम धर्म है।
लेकिन अहिंसा कायरता नहीं है।

महाभारत में श्रीकृष्ण ने कहा –
जब अधर्म बढ़े, तो उसका विनाश ही धर्म है।

यदि आप शांति के नाम पर पाप को जीवित रखें, तो आप धर्म से विमुख हो जाते हैं।

अधर्म के विनाश के बिना धर्म की स्थापना संभव नहीं।

6. अब क्या करना चाहिए तुरंत और सख्ती से

हमें चाहिए कि:

  • पाकिस्तानी निकाह करने वाले सभी मुस्लिम परिवारों की नागरिक सुविधाएं समाप्त हों
  • उनके वोटिंग अधिकार रद्द किए जाएं
  • उनके राशन कार्ड, पासपोर्ट और अन्य सरकारी लाभ वापस लिए जाएं
  • इनकी निगरानी (surveillance) की जाए कॉल, नेटवर्क, फंडिंग, संवाद
  • पाकिस्तानी रिश्तेदारों को भारत से निकाला जाए
  • सख्त कानून बने जो निकाह जिहाद जैसे खतरे को समाप्त करें

अगर हम अब नहीं जागे, तो भविष्य में यह आग हमारे मंदिरों, बहनों, और अस्तित्व को जला देगी।

7. मानसिक, आध्यात्मिक और राजनीतिक रूप से तैयार हों

हिंदुओं को चाहिए कि:

  • जाति, भाषा, क्षेत्र के भेद को त्यागकर एक हों
  • देशद्रोहियों और गद्दारों को बेनकाब करें
  • सरकार का साथ दें जब वह कड़े फैसले ले
  • हिंदू संगठनों को मज़बूत करें और जवाबदेही तय करें
  • धर्म की रक्षा में संकोच न करें

8. ये अपने रिश्तेदारों को मरने नहीं देंगे

युद्ध की स्थिति में:

  • ये पाकिस्तान का साथ देंगे
  • ये भारत के खिलाफ हथियार उठाएँगे
  • ये हिंदू खून बहाएँगे, दुकानें जलाएँगे, बहनों को निशाना बनाएँगे

क्योंकि इनके दामाद, नाती, भांजे, और आका पाकिस्तान में बैठे हैं।
वे उन्हें बचाने के लिए हिंदुस्तान को आग में झोंक देंगे।

9. कर्म का समय आ गया है धर्म के लिए उठो

हमें किसी से नफ़रत नहीं है,
लेकिन हम अपने धर्म, भारत, और संस्कृति से प्रेम करते हैं – और इसके लिए सब कुछ कर सकते हैं।

अगर हमने समय रहते हालात को नहीं समझा, तो यह मूक गृहयुद्ध एक बड़े संकट का रूप ले सकता है। विचारों की लड़ाई जब सीमाएं पार करती है, तो समाज भीतर से टूटने लगता है। हमें जागरूक होना होगा, संवाद कायम रखना होगा और राष्ट्र की एकता के लिए ठोस कदम उठाने होंगे। यह शांति स्थायी नहीं, शायद मूक गृहयुद्ध से पहले की खामोशी है—अब भी समय है संभलने का

जैसे श्रीकृष्ण ने अर्जुन से कहा अधर्म के विनाश के बिना धर्म की स्थापना संभव नहीं।

अब हमें वही करना होगा।

जो हिंदू आज चुप रहेगा, कल उसके बच्चे पूछेंगे आपने कुछ किया क्यों नहीं?

जय सनातन धर्म| जय भारत |

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