Skip to content Skip to sidebar Skip to footer

एक मुस्लिम व्यापारी का बयान

गुड़गांव के सेक्टर 7 की एक भीड़भाड़ वाली मार्केट में, मेरी मुलाकात एक मुस्लिम फल विक्रेता से हुई। मैंने उससे यह जानने की कोशिश की कि वह क्यों अपनी दुकान पर ‘मुस्लिम’ नाम लिखने के आदेश का विरोध नहीं कर रहा, जबकि कुछ अन्य व्यापारी इसका विरोध कर रहे थे। उसका जवाब सुनकर मैं हैरान रह गया और जैसे ही उसने अपनी बात रखी, मेरे दिमाग में एक गहरी बेचैनी और असंतोष पैदा हो गया।

उसने कहा, “लाला जी, नाम लिखने से क्या फर्क पड़ता है? फर्क तब पड़ता जब हिंदू और सिख अपने ही हितों की रक्षा करते। लेकिन देखिए, यह दोनों समुदाय हमेशा उन्हीं का समर्थन करते हैं, जो उनके खिलाफ खड़े होते हैं।”

  1. ख्वाजा मोईनुद्दीन चिश्ती का उदाहरण:
    “आप हमारे ख्वाजा मोईनुद्दीन चिश्ती साहब को ही देख लो,” उसने कहा। “यह वही चिश्ती साहब हैं, जिन्होंने पृथ्वीराज चौहान की बेटियों के साथ सार्वजनिक रूप से बलात्कार कराया था। और आज देखिए, वही हिंदू लोग उनकी मजार पर फूल चढ़ाने और सजदा करने के लिए बेकरार रहते हैं।” यह बयान उन हिंदुओं की आलोचना करता है, जो इतिहास में अपने पूर्वजों पर हुए अत्याचारों को भूल कर उन्हीं का सम्मान करने में लगे हैं, जिन्होंने उन पर अत्याचार किए।
  2. राम मंदिर विवाद:
    “राम मंदिर के मसले को ही देख लो,” उसने आगे कहा। “यदि तुम्हारे हिंदू ही मंदिर के विरोध में न खड़े होते, तो क्या किसी मुसलमान की हिम्मत थी कि वह बाबरी मस्जिद के पक्ष में खड़ा हो जाता? ये तो अपने ही लोग हैं, जो हमारी लड़ाई लड़ते हैं।” उसने स्पष्ट किया कि कैसे हिंदू समाज के भीतर के विभाजन और राजनीतिक स्वार्थ ने उनके ऐतिहासिक और धार्मिक अधिकारों को कमजोर किया है।
  3. सिखों के प्रति रवैया:
    “हमारे पूर्वजों ने गुरु गोविंद सिंह जी की हत्या की, उनके बच्चों को दीवार में जिंदा चुनवा दिया,” उसने बड़ी ठंडक से कहा। “लेकिन आज देखिए, वही सिख हमारी सेवा में तत्पर हैं। अपने गुरुद्वारों में हमें नमाज पढ़ने के लिए बुलाते हैं, रोज़ा इफ्तार करवाते हैं। क्या इससे बड़ा विडंबना हो सकता है?” उसने उन घटनाओं का उल्लेख किया, जब सिख समुदाय ने मुस्लिमों के साथ सहयोग किया, भले ही इतिहास में उन पर अत्याचार हुआ था।
  4. सिख समुदाय का राजनीतिक व्यवहार:
    “आपने सन 1984 के दंगों में कांग्रेस के हाथों सिखों का कत्लेआम देखा होगा। और आज, वही सिख समुदाय कांग्रेस के साथ खड़ा है, और मुसलमानों के साथ मिलकर काम करने को तत्पर है,” उसने कहा। “लोग अपनी याददाश्त और स्वाभिमान इतनी जल्दी भूल जाते हैं कि आश्चर्य होता है।”
  5. मुलायम सिंह यादव का उदाहरण:
    “मुलायम सिंह ने अयोध्या में कारसेवकों पर गोलियां चलवाईं,” उसने याद दिलाया। “और आज देखो, हिंदू उसके बेटे अखिलेश यादव की तारीफ करते नहीं थकते, उसके लिए दरी बिछाने को तैयार रहते हैं। क्या इससे बड़ी विडंबना हो सकती है?”
  6. हिंदू समाज का लालच और व्यापारिक व्यवहार:
    “लाला जी,” उसने मुस्कुराते हुए कहा, “यदि हमारी दुकान पर ‘मुसलमान’ का नेम प्लेट भी हो और हिंदू ग्राहक को यहाँ ₹5 सस्ता फल मिल जाए, तो वह हमसे ही खरीदेगा। हिंदू का व्यवहार ऐसा है कि ₹5 की बचत के लिए वह सब कुछ भूल जाता है—किसने थूका, किसने मूता—सब भूल जाएगा, और हमारा ही सामान खरीदेगा। यही तो उसकी सबसे बड़ी कमजोरी है।”

मेरी प्रतिक्रिया और विचार:
उसकी बातें सुनकर मैं स्तब्ध रह गया। मेरे मन में बार-बार यही सवाल उठ रहा था कि हिंदू समाज की बर्बादी का असली कारण खुद हिंदू हैं या फिर मुसलमान? क्या वास्तव में हिंदू अपने स्वार्थ और विभाजन के कारण ही अपनी सांस्कृतिक और धार्मिक पहचान खोते जा रहे हैं? क्या हिंदुओं का लालच और आपसी मतभेद उन्हें अपनी ही जड़ों से दूर कर रहा है?

विश्लेषण और निष्कर्ष:
यह बयान केवल एक व्यापारी की सोच को नहीं दर्शाता, बल्कि एक गहरी सच्चाई को उजागर करता है कि हिंदू समाज का कमजोर होता एकता का धागा, अपने ही मूल्यों और इतिहास को भूलने की प्रवृत्ति, और स्वार्थपूर्ण राजनीतिक व्यवहार उनके अस्तित्व और पहचान के लिए एक गंभीर खतरा बनता जा रहा है। यदि हिंदू समाज समय रहते अपनी गलतियों को नहीं समझता, तो भविष्य में और अधिक चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है

Share Post

Leave a comment

from the blog

Latest Posts and Articles

We have undertaken a focused initiative to raise awareness among Hindus regarding the challenges currently confronting us as a community, our Hindu religion, and our Hindu nation, and to deeply understand the potential consequences of these issues. Through this awareness, Hindus will come to realize the underlying causes of these problems, identify the factors and entities contributing to them, and explore the solutions available. Equally essential, they will learn the critical role they can play in actively addressing these challenges

SaveIndia © 2025. All Rights Reserved.