क्या आप जानते हैं कि मरे हुए लोग भी हमारे देश में वोट डालते रहे हैं?
जी हाँ, बिल्कुल सही पढ़ा आपने।
बिहार में हाल ही में चुनाव आयोग ने 56 लाख से अधिक फर्जी नामों को मतदाता सूची से हटा दिया है।
लेकिन यह तो सिर्फ सतह पर दिखाई देने वाला हिस्साहै।
इनमें शामिल थे:
- 20 लाख से अधिक मृत व्यक्ति, जो वर्षों पहले मर चुके हैं, लेकिन हर चुनाव में “वोट” डालते रहे।
- 28 लाख लोग, जो राज्य या देश छोड़ चुके हैं – लेकिन अभी भी सूची में मौजूद हैं।
- 7 लाख डुप्लीकेट नाम – एक ही व्यक्ति कई बार दर्ज।
- और 1 लाख से अधिक ऐसे नाम, जिनके पास कोई वैध दस्तावेज नहीं।
और चौंकाने वाली बात यह है कि— किसी ने विरोध नहीं किया, कोई रिश्तेदार नहीं आया यह कहने कि उसका नाम गलत हटा दिया गया।
🔍 तो फिर कौन घबरा गया?
- कौन इसे मुद्दा बना रहा है?
वो पार्टियाँजो इन फर्जी वोटरों की बदौलत वर्षों से सत्ता का मजा लूट रही थीं।
जिनके लिए यह वोट लोकतांत्रिक अधिकार नहीं, बल्कि राजनीतिक धंधा था।
⚠️ दशकों पुरानी साजिश
- यह फर्जी वोटर आज अचानक नहीं पैदा हुए।
- ये तो दशकों से इस सिस्टम का हिस्सा रहे हैं — उन पार्टियों की शह पर, जिन्हें इनसे सत्ता मिलती रही।
- बिहार में वर्षों से यह खेल चलता रहा। और हर बार जब मतदाता सूची को शुद्ध करने की कोशिश होती है, यही पार्टियाँ विरोध में कूद पड़ती हैं — क्योंकि उनका सत्ता का ताज छिन रहा होता है।
लेकिन केवल बिहार ही क्यों?
- यह समस्या पूरे देश में फैली हुई है —
पश्चिम बंगाल, असम, दिल्ली, राजस्थान, उत्तर प्रदेश और पाकिस्तान और बांग्लादेश से सटे कई राज्यों में यह फर्जीवाड़ा पूरी ताकत से चल रहा है।
👉 लाखों की संख्या में बांग्लादेशी और रोहिंग्या घुसपैठिए,
आधार कार्ड, पैन कार्ड, राशन कार्ड और वोटर आईडी बनवा चुके हैं —
वो भी झूठे दस्तावेज़ों और भ्रष्ट अफसरों की मदद से।
और अब ये भारत की संसद और सरकारें तय कर रहे हैं —
ये कैसा लोकतंत्र है?
🚨 यह सिर्फ चुनावी सफाई नहीं, एक राष्ट्रीय युद्ध है
- अब जो हो रहा है, वह केवल वोटर लिस्ट की सफाई नहीं है —
यह एक राष्ट्रीय जागरण है।
सड़ी-गली व्यवस्था, तुष्टिकरण की राजनीति और देशद्रोही मानसिकता का उन्मूलन है। - उत्तर प्रदेश, असम, दिल्ली जैसे राज्यों में जो अवैध कब्जों पर कार्रवाई चल रही है, उसके दौरान भी हजारों घुसपैठिए पकड़े और देश से बाहर किए गए —
जिनके पास भी पूरी “वैध” भारतीय पहचान थी।
लेकिन असली सवाल यह है —
- क्या हमारे वोटिंग सिस्टम को साफ किए बिना भारत सुरक्षित है?
- क्या ऐसे देश में “जनता का फैसला” सच में “जनता” का है?
🙏 सनातनी समाज की जिम्मेदारी
- दुर्भाग्य से, हम हिन्दू वर्षों से चुप रहे।
हमने उस व्यवस्था का विरोध नहीं किया जिसने हमारे खिलाफ षड्यंत्र रचे। - आज समय है जागने का, संगठित होने का, और भारत को फिर से धर्म आधारित राष्ट्र बनाने का।
👉 यदि सभी हिन्दू एकजुट हों, तो यह संभव है।
नहीं तो एक दिन हम भी पाकिस्तान-बांग्लादेश के हिंदुओं की तरह
अपने ही देश में अल्पसंख्यक बनकर रह जाएंगे।
✊ अब समय है निर्णायक युद्ध का
- हर एक फर्जी वोटर का हटना, धर्म की जीत है।
- हर घुसपैठिए की वापसी, राष्ट्र की रक्षा है।
- हर वोटर लिस्ट की शुद्धि, लोकतंत्र की असली पहचान है।
जिसे डर है, वही शोर मचा रहा है।
जिसकी सत्ता फर्जीवाड़े पर टिकी थी, वही बिलबिला रहा है।
यह सिर्फ चुनाव की सफाई नहीं —
यह भारत की आत्मा को शुद्ध करने का यज्ञ है।
🔱 जय श्रीराम! 🇮🇳 वंदे मातरम्!
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