पद्मश्री वैज्ञानिक डॉ. अजय कुमार सोनकर ने प्रयोगशाला में किया सिद्ध, गंगा जल है विश्व का सबसे शुद्ध जल
गंगा जल की शुद्धता पर सवाल उठाने वालों को दी खुली चुनौती – कोई भी वैज्ञानिक आकर प्रयोगशाला में कर सकता है परीक्षण
📌 महाकुंभ में अब तक 57 करोड़ श्रद्धालुओं ने गंगा स्नान किया, फिर भी जल की शुद्धता बनी हुई है
महाकुंभ के पावन अवसर पर करोड़ों श्रद्धालु गंगा स्नान कर चुके हैं। लेकिन आश्चर्यजनक रूप से गंगा जल की शुद्धता में कोई गिरावट नहीं आई। यह कोई चमत्कार नहीं, बल्कि गंगा जल की अद्भुत स्वच्छता क्षमता का प्रमाण है।
देश के प्रसिद्ध वैज्ञानिक डॉ. अजय कुमार सोनकर ने प्रयोगशाला में यह सिद्ध कर दिया कि गंगा का जल न केवल स्नान योग्य है, बल्कि अल्कलाइन वाटर से भी शुद्ध और स्वास्थ्यवर्धक है। उन्होंने संगम, अरैल और पांच प्रमुख घाटों से जल के नमूने एकत्र कर प्रयोगशाला में परीक्षण किया और पाया कि गंगा जल में न तो बैक्टीरिया का विकास हुआ, न ही जल के पीएच स्तर में कोई गिरावट आई।
डॉ. सोनकर ने गंगा जल की शुद्धता पर सवाल उठाने वालों को चुनौती देते हुए कहा,
“जिसे भी संदेह है, वह मेरे साथ गंगा जल लेकर आए और प्रयोगशाला में जांच कर खुद सत्यापन करे।“
📌 वैज्ञानिक शोध में गंगा जल की शुद्धता साबित
➡ 1100 प्रकार के बैक्टीरियोफेज, जो हानिकारक जीवाणुओं को नष्ट करते हैं
शोध में यह स्पष्ट हुआ कि गंगा जल में 1100 प्रकार के बैक्टीरियोफेज (विशेष प्रकार के वायरस) मौजूद होते हैं, जो हानिकारक बैक्टीरिया को नष्ट कर देते हैं। यही कारण है कि करोड़ों लोगों के स्नान के बावजूद गंगा जल दूषित नहीं होता।
➡ 8.4 से 8.6 पीएच स्तर, जो इसे अत्यधिक शुद्ध बनाता है
गंगा जल के पांच अलग-अलग घाटों से लिए गए नमूनों की पीएच वैल्यू 8.4 से 8.6 पाई गई, जो इसे स्वस्थ्यवर्धक और उच्च गुणवत्ता वाला जल बनाती है।
➡ 37°C पर 14 घंटे इन्क्यूबेशन के बावजूद बैक्टीरिया का विकास नहीं
परीक्षण में जल के नमूनों को 37°C तापमान पर 14 घंटे तक रखा गया, लेकिन उनमें किसी भी प्रकार के हानिकारक बैक्टीरिया का विकास नहीं हुआ।
➡ गंगा जल में स्नान से त्वचा रोगों का खतरा नहीं
डॉ. सोनकर के अनुसार, गंगा जल में नहाने से किसी भी प्रकार का त्वचा संक्रमण नहीं होता, बल्कि यह त्वचा को सुरक्षित और स्वस्थ रखता है।
📌 गंगा जल को लेकर फैलाई जा रही भ्रांतियों का खंडन
कुछ संस्थाओं और मीडिया रिपोर्ट्स में गंगा जल को दूषित और हानिकारक बताने का दुष्प्रचार किया गया। लेकिन डॉ. सोनकर के वैज्ञानिक शोध ने इन सभी दावों को गलत साबित कर दिया।
“यदि गंगा जल वास्तव में प्रदूषित होता, तो महाकुंभ में स्नान करने वाले 57 करोड़ श्रद्धालुओं में से हजारों लोग बीमार पड़ते। लेकिन ऐसा नहीं हुआ। यह स्वयं सिद्ध करता है कि गंगा जल किसी भी प्रकार से दूषित नहीं है।“
उन्होंने कहा कि गंगा जल की प्राकृतिक शुद्धिकरण शक्ति अद्भुत है और इसके वैज्ञानिक प्रमाण भी अब सबके सामने हैं।
📌 गंगा जल की स्वच्छता पर शोध करने वाले वैज्ञानिक कौन हैं?
डॉ. अजय कुमार सोनकर भारत के शीर्ष वैज्ञानिकों में से एक हैं। वे मिसाइल मैन डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम के साथ वैज्ञानिक चर्चाएं कर चुके हैं। मोती उगाने की जापानी तकनीक को चुनौती देने वाले इस वैज्ञानिक ने अब गंगा जल की शुद्धता पर प्रयोगशाला में शोध करके एक बड़ा खुलासा किया है।
📌 गंगा जल की शुद्धता का रहस्य
गंगा जल की शुद्धता का सबसे बड़ा कारण है इसमें मौजूद बैक्टीरियोफेज। ये सूक्ष्मजीव हानिकारक बैक्टीरिया और रोगाणुओं को स्वतः नष्ट कर देते हैं। यही कारण है कि गंगा का जल लंबे समय तक सड़ता नहीं और इसे वर्षों तक सुरक्षित रखा जा सकता है।
📌 वैज्ञानिक सत्यापन के बाद अब कोई संदेह नहीं
गंगा जल को लेकर फैलाए गए भ्रम और दुष्प्रचार का पर्दाफाश हो चुका है। महाकुंभ में स्नान के बावजूद गंगा जल की शुद्धता पर वैज्ञानिक मुहर लग गई है।
✦ गंगा जल स्नान योग्य है।
✦ गंगा जल स्वास्थ्यवर्धक है।
✦ गंगा जल कभी सड़ता नहीं।
✦ गंगा जल की प्राकृतिक शुद्धिकरण शक्ति अद्भुत है।
अब समय आ गया है कि हम वैज्ञानिक प्रमाणों को अपनाएं और मां गंगा की वास्तविक शक्ति को समझें।
🚩 हर हर गंगे! जय माँ गंगा! 🚩
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