GM फसलों पर भारत का स्पष्ट रुख दिखाता है कि देश अब खेती में विदेशी हस्तक्षेप नहीं चाहता। यह निर्णय किसानों की सुरक्षा और आत्मनिर्भर कृषि के लिए अहम है।
- “पीयूष गोयल बन गए हैं अमेरिका के लिए सिरदर्द।”
यह कोई अफवाह नहीं, वॉशिंगटन की गलियों में हो रही एक सच्ची चिंता है। - क्योंकि उन्हें लगा था कि भारत झुक जाएगा।
मगर इस बार सामने था एक नई सोच वाला भारत — - एक ऐसा भारत जो राष्ट्रवाद में विश्वास करता है,
जिसका नेतृत्व कर रही है एक ईमानदार, निर्भीक और जनहितैषी सरकार।
🇮🇳 BJP सरकार ने किया साफ इनकार — क्योंकि देश बिकाऊ नहीं है
- यदि आज सत्ता में कांग्रेस या UPA होती —
तो अमेरिका के लिए यह सौदा सिर्फ एक फोन कॉल की दूरी पर होता। - क्योंकि पिछली सरकारें बार-बार विदेशी दबाव में झुकीं —
उनके लिए सौदे का अर्थ होता था:
“कमीशन के बदले में समझौता।”
“कुर्सी बचाने के लिए भारत गिरवी रखना।” - मगर मोदी सरकार के लिए
भारत की मिट्टी की कीमत अनमोल है।
इसलिए जब अमेरिका ने Genetically Modified (GM) फसलों को सौदे में जोड़ा —
भारत ने साफ कहा:
❌ “भारत कोई प्रयोगशाला नहीं है।”
❌ “किसानों की आज़ादी पर सौदा नहीं होगा।”
🌱 यह सिर्फ बीज का सौदा नहीं था — यह भारत के भविष्य का प्रश्न था
- GM फसलें दिखती हैं जैसे आधुनिक समाधान,
मगर असल में हैं —
बीजों की गुलामी का जाल। - एक बार बोओ
- हर बार विदेशी कंपनी को लाइसेंस फीस दो
- बीज किसान का नहीं, कंपनी का हो जाता है
और भारत की लाखों एकड़ भूमि —
विदेशी पेटेंटेड बीजों की गिरवी बन जाती।
🛡️ कांग्रेस झुकती रही, मोदी सरकार ने spine दिखाया
याद कीजिए —
- जब 2008 में न्यूक्लियर डील पर अमेरिका ने दबाव डाला,
तो कांग्रेस ने संसद में बहुमत न होने पर भी सौदा किया,
अंदरखाने सौदेबाज़ियाँ चलीं, और निजी लाभ उठाया गया।
मगर आज भारत के पास है:
- भ्रष्टाचार-मुक्त सरकार
- राष्ट्रीय सुरक्षा और हित को सर्वोपरि रखने वाली सोच
- विदेशी दबाव के आगे झुकने से इंकार करने वाला नेतृत्व
💪 मोदी सरकार का स्पष्ट संदेश: भारत अब बिकने वाला बाजार नहीं, वैश्विक शक्ति है
अमेरिका का इरादा था —
- GM बीजों के जरिए भारत को वही रास्ता दिखाने का
जिससे मेक्सिको, ब्राजील, नाइजीरिया, और यहां तक कि पाकिस्तान बर्बाद हो गए।
मगर इस बार सामने था:
✅ “एक राष्ट्रवादी नेतृत्व”
✅ “जिसका उद्देश्य चुनावी चंदा नहीं, अगली पीढ़ी की सुरक्षा है”
✅ “जो सौदों में देश नहीं बेचता, देश बनाता है”
📢 यह सिर्फ एक इनकार नहीं था — यह भारत की ‘नई विदेश नीति’ की घोषणा थी
- जब ट्रंप ने ट्वीट किए,
- जब पश्चिमी मीडिया ने हमला बोला,
- जब विपक्ष ने “मोदी फेल” का झूठ फैलाया —
तब भारत अडिग रहा।
क्योंकि यह सरकार जानती है:
- “अगर आज झुक गए,
तो कल मिट्टी, किसान और खेती — सब विदेशी हो जाएंगे।”
🇮🇳 भारत बोलेगा — मगर अब अपने शब्दों में, अपनी शर्तों पर
- भारत संयुक्त राज्य अमेरिका का विरोधी नहीं है,
हम भारत के पक्ष में हैं। - “हम अमेरिका के साझेदार बन सकते हैं,
मगर गुलाम नहीं।”
✊ हमारा संदेश साफ है:
- न हमारे बीज बिकेंगे
- न हमारी मिट्टी बिकेगी
- न हमारी नीति बिकेगी
यह नया भारत है, मोदी का भारत है —
जहां देश पहले आता है, डॉलर बाद में।
📣 अब फैसला आपका है:
- क्या आप उस भारत के साथ हैं जो सौदे में कमीशन देखता है?
- या उस भारत के साथ
जो हर सौदे में राष्ट्र का सम्मान और किसान की सुरक्षा देखता है?
🇮🇳 जय भारत, वन्देमातरम 🇮🇳
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