हमारे देश ने कई अडिग संघर्षों का सामना किया है, लेकिन इन संघर्षों का अधिकांश हिस्सा अनदेखा रहा है, और उनके परिणामों को भी नजरअंदाज किया गया है। आइए, एक पल के लिए रुककर इन चुप्पी साधे हुए घावों पर विचार करें:
1947 में देश का विभाजन – एक घाव जो हमारे पूरे देश में गूंजना चाहिए था, लेकिन कहीं से कोई आवाज नहीं आई।
कश्मीर का आधा हिस्सा विदेशियों के हाथों में चला गया – कहीं से कोई विरोध नहीं हुआ।
तिब्बत का विलय – कोई विद्रोह नहीं हुआ, कोई आवाज नहीं उठी।
आपातकाल, ताशकंद समझौता, शिमला समझौता, सिंधु नदी समझौता – ये सब घाव हैं, लेकिन किसी ने उफ्फ तक नहीं की।
2जी स्पेक्ट्रम, कोयला घोटाला, राष्ट्रमंडल खेल, ऑगस्ता वेस्टलैंड, बोफोर्स जैसे कलंक – ये सब हमारे देश की ईमानदारी पर धब्बे हैं, लेकिन फिर भी चुप्पी रही।
चीन को वीटो पावर दे दिया गया – न कोई ट्रेन रोकी, न कोई विरोध हुआ।
और इन सब के बीच क्या हुआ?
लाल बहादुर शास्त्री जैसा नेता हमें छोड़कर चला गया – न कोई मोमबत्ती जलायी, न सीबीआई जांच की मांग की।
माधवराव जैसे नेताओं की हत्या कर दी गई – फिर भी कोई फर्क नहीं पड़ा।
लेकिन जैसे ही गौमांस पर रोक लगाई गई, जैसे ही राष्ट्रगान अनिवार्य किया गया, एक नया बवाल खड़ा हो गया।
वंदे मातरम्, भारत माता की जय बोलने के लिए कहा गया, तो लोगों की जुबानें सिल गईं।
नोटबंदी और जीएसटी पर तांडव मच गया।
आधार को निराधार करने की होड़ मच गई।
और कश्मीरी पंडितों की बात करें तो:
जब उन्हें कश्मीर से जबरन भगाया गया, तो किसी को कोई फर्क नहीं पड़ा।
लेकिन जैसे ही रोहिंग्या मुसलमानों के बारे में बात की जाने लगी, तो दर्द की लहर उठने लगी।
यह सब हमें क्या बताता है?
जैसा कि किसी ने कहा था, “जहरीले नागों ने देश को डस लिया,
घर के चिरागों ने घर में आग लगा दी।”
अब यह समय है कि हम गंभीरता से विचार करें कि हमारा देश किस दिशा में जा रहा है।
कांग्रेस और उसकी धरोहर
कांग्रेस ने अपने निर्णयों के माध्यम से हिंदू समुदाय को कमजोर, चुप और अपने इतिहास से अनभिज्ञ बना दिया। जब किसी चर्च की खिड़की पर पत्थर फेंका जाता है या मस्जिद पर रंग डाला जाता है, तो मीडिया उसे घंटों तक बताता है, लेकिन जम्मू-कश्मीर में 50,000 हिंदू मंदिरों को बंद किया गया और किसी को भी इसकी भनक तक नहीं लगी। 50,000 मंदिर बंद हो गए, मिटा दिए गए। क्या किसी ने इसके बारे में सुना? क्या किसी ने इसका विरोध किया?
सच्चाई यह है कि हिंदुओं को कश्मीर से जबरन बाहर किया गया, और उनके धर्म और पहचान को घाटी से पूरी तरह मिटा दिया गया। यह एक बड़ी साजिश थी, पूरी घाटी से एक धर्म को जड़ से खत्म करने की, और फिर भी हममें से अधिकांश को इसकी जानकारी नहीं थी।
अगर मोदी सरकार न आती, तो शायद यह बात कभी सामने ही नहीं आती।
क्यों वामपंथी पत्रकारों, मुस्लिम बुद्धिजीवियों और कांग्रेस ने कभी इस मुद्दे को देश के सामने नहीं रखा?
यह है कांग्रेस की उपलब्धि, और वामपंथी पत्रकारों और मुस्लिम बुद्धिजीवियों की चतुराई कि सामान्य हिंदू को उसके इतिहास से अनभिज्ञ रखा गया।
एक जागरूकता का आह्वान
ऐसा लगता है कि पूरी कायनात ने इतनी चुपचाप साजिशें की हैं कि हमें पता भी नहीं चला। हमारे इतिहास, संस्कृति और धर्म पर हमला हुआ, लेकिन हमें इसकी भनक तक नहीं लगी।
समय आ गया है कि हम अपनी विरासत, अपनी आवाज़ और अपने देश को फिर से सशक्त बनाएं। हमें अपनी सच्चाई को स्वीकार करना होगा और भविष्य में होने वाले संकटों से बचने के लिए एकजुट होना होगा।
हमारे इतिहास, हमारी संस्कृति और हमारे भविष्य की रक्षा करना हमारी जिम्मेदारी है।
जय हिंद! भारत माता की जय!
अधिक ब्लॉग्स के लिए कृपया www.saveindia108.in पर जाएं। हमारे व्हाट्सएप ग्रुप में जुड़ने के लिए कृपया इस लिंक पर क्लिक करें: https://chat.whatsapp.com/HxGZvlycYPlFvBO17O3eGW