यह समय हमारी समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर, आत्मसम्मान, और अपने राष्ट्र की सुरक्षा के लिए जागरूक होने का है। भारत की गौरवशाली भूमि ने सदियों तक विदेशी आक्रांताओं, लुटेरों और अत्याचारियों का सामना किया, लेकिन फिर भी हमारी संस्कृति और आध्यात्मिकता अडिग रही। आज हमें यह समझने की आवश्यकता है कि हमारा इतिहास केवल हमारी धरोहर नहीं, बल्कि हमारी प्रेरणा भी है।
इतिहास से सीखें, भविष्य को सुरक्षित बनाएं
मुगल शासन: 315 वर्षों तक यह भूमि अत्याचार और धर्मांतरण के दौर से गुजरी। हमारे मंदिर टूटे, हमारे रीति-रिवाज दबाए गए।
ब्रिटिश शासन: 90 वर्षों तक अंग्रेजों ने हमारी अर्थव्यवस्था, समाज, और स्वाभिमान को चोट पहुंचाई।
आजाद भारत: 1947 में हमें स्वतंत्रता मिली, लेकिन क्या हम वास्तव में मानसिक और सांस्कृतिक रूप से स्वतंत्र हो पाए हैं?
आज का प्रश्न यह है:
क्या हम अब भी अपने इतिहास से सबक लेकर एक संगठित और स्वाभिमानी राष्ट्र बना पाए हैं?
हिंदुत्व और भारत की पहचान
आज, भारत में कई शहर और स्थान ऐसे नामों से पुकारे जाते हैं, जो हमें अपने ही संस्कृति-विद्वेषियों की याद दिलाते हैं।
उदाहरण:
अहमदाबाद, औरंगाबाद, इलाहाबाद—इन नामों के पीछे की कहानी हमारी संस्कृति के दमन की है। क्या यह उचित है कि हम अपने पूर्वजों की पीड़ा को भुला दें और उन अत्याचारियों के नाम अमर करें?
नायक और नेतृत्व
भारत को एक नई दिशा की आवश्यकता है, जहां नेतृत्व ईमानदार, साहसी और समाज को जोड़ने वाला हो।
योगी आदित्यनाथ जी और नरेंद्र मोदी जी: ये केवल नेता नहीं, बल्कि सांस्कृतिक जागरण के प्रतीक हैं। इनकी कार्यशैली ने समाज को सुरक्षा और सम्मान का भाव दिया है।
ईमानदारी का महत्व: जब नेतृत्व स्वच्छ और निःस्वार्थ होता है, तब समाज में विकास और खुशहाली का मार्ग प्रशस्त होता है।
युवाओं के लिए संदेश
अपना इतिहास जानें: यह जानना आवश्यक है कि हमारा इतिहास केवल संघर्षों की कहानी नहीं, बल्कि जीत और आत्मसम्मान की भी है।
सही नेतृत्व का चुनाव करें: जिनके हाथों में सत्ता दें, वे ईमानदार और राष्ट्रभक्त हों।
अपनी संस्कृति को बचाएं: अपने धर्म, रीति-रिवाज, और परंपराओं का सम्मान करें।
धर्म रक्षा और जागरूकता
आज हमें धर्म और संस्कृति की रक्षा के लिए एकजुट होने की आवश्यकता है। यह हर भारतीय का कर्तव्य है कि वह अपने राष्ट्र और धर्म की रक्षा के लिए योगदान करे।
शहरों और स्थानों के नाम: हमें उन नामों पर पुनर्विचार करना चाहिए, जो हमारी सांस्कृतिक विरासत के लिए अपमानजनक हैं।
जागरूकता फैलाएं: धर्म और राष्ट्रहित से जुड़े मुद्दों पर जागरूकता बढ़ाएं।
कार्य के लिए प्रेरणा
इस जानकारी को साझा करें।
इतिहास को समझें और दूसरों को भी प्रेरित करें।
सही निर्णय लें, जिससे राष्ट्र का भविष्य सुरक्षित और गौरवपूर्ण हो।
युवा शक्ति को ही भारत का निर्माण करना है।
“उठो, जागो, और तब तक मत रुको जब तक लक्ष्य प्राप्त न हो जाए।”
स्वामी विवेकानंद