धर्मगुरुओं की निष्क्रियता: एक गंभीर चिंता
SECTION 1: संकट बाहर का नहीं, भीतर का है
- आज सनातन धर्म जिस विभाजन, अविश्वास और अस्तित्व-संघर्ष के दौर से गुजर रहा है,
उसका कारण विरोधियों की शक्ति नहीं बल्कि हमारे अपने रक्षकों का मौन और समाज की गहरी उदासीनता है।
- धर्मांतरण नेटवर्क सक्रिय हैं
- अभियानों के लिए विदेशी फंडिंग है
- जिहादी विचारधाराएँ संगठित हैं
- सोशल इंजीनियरिंग 24×7 चल रही है
लेकिन इसके मुकाबले:
- सनातनी नेतृत्व मौन, सीमित और निरुत्साहित है।
- सनातन आज शत्रु-प्रहार से नहीं, अपने संरक्षकों की नींद से घायल है।
SECTION 2: धर्म नेतृत्व की विफलता — मौन की मार
जो महंत, जो शंकराचार्य, जो मठाधीश धर्म की रक्षा, समाज-मार्गदर्शन और संगठन के लिए स्थापित किए गए
- आज वे संघर्ष से दूर, वैभव में सुरक्षित, और जनता के दर्द से अलग हैं।
आज दृश्य क्या है?
- प्रवचन, महाकथा और दीपोत्सव
- दान और ट्रस्ट विस्तार
- आश्रमों का वैभव
- मीडिया छवि और प्रचार
- भव्य आयोजन और तीर्थ पर्यटन
पर अनुपस्थित क्या है?
- धर्मांतरण विरोधी राष्ट्रीय तंत्र
- घर-वापसी योजना
- बेटियों की सुरक्षा ढांचा
- सांस्कृतिक युद्ध रणनीति
- जमीनी नेतृत्व
- देश और धर्म की रक्षा के लिए प्रयास
> शत्रु सड़क पर है,
> नेतृत्व सिंहासन पर।
SECTION 3: हिंदू समाज की लापरवाही — दूसरी आधी विफलता
धर्मगुरुओं की तरह हिंदू समाज भी स्वयं:
- आत्म-केन्द्रित
- उत्सव-प्रधान
- आध्यात्मिक उपभोक्ता
- राजनीतिक रूप से भ्रमित
- सांस्कृतिक रूप से निष्क्रिय हो चुका है।
जो दृश्य दिखता है:
- पूजा है, पर संरक्षण नहीं
- दीपावली है, पर दिशा नहीं
- मंदिर यात्रा है, पर मिशन नहीं
- धर्म गर्व है, पर धर्म रक्षा नहीं
> जब समाज अपने धर्म की रक्षा करना भूल जाता है,
> तो धर्म स्मृति, कहानी और फोटो फ्रेम बनकर रह जाता है।
SECTION 4: आध्यात्मिक विलास बनाम जमीनी विनाश
धार्मिक संस्थाएँ आज:
- वातानुकूलित आश्रमों में सुरक्षित
- लाखों-करोड़ों के ट्रस्ट संचालित
- मंचों और सम्मेलनों में सम्मानित
- सोशल मीडिया महिमा से प्रकाशित
जबकि दूसरी ओर:
- सीमावर्ती जिलों में बेटियाँ गायब
- कॉलेजों में लक्ष्यित धर्मांतरण
- गाँवों में जनसांख्यिक विस्थापन
- कस्बों में लव जिहाद नेटवर्क
- सोशल स्पेस में नफरत का विचार-युद्ध
जिन्हें मोर्चे पर होना चाहिए था, वे मंच पर हैं।
SECTION 5: राष्ट्र की सुरक्षा के बिना धर्म की सुरक्षा असंभव
- धार्मिक, आर्थिक, सांस्कृतिक वैभव चाहे जितना हो
यदि राष्ट्र सुरक्षित नहीं,mतो मंदिर, तीर्थ, गुरुकुल, आश्रम—सब धूल बन जाते हैं।
इतिहास का ज्वलंत स्मरण: लाहौर, कराची, रावलपिंडी, ढाका
- समृद्ध हिंदू
- विशाल हवेलियाँ
- गहने, प्रतिष्ठा, मंदिर
लेकिन एक रात में:
- पलायन
- नरसंहार
- बेटियाँ लापता
- घर जलाए गए
- परिवार मिटा दिए गए
धन, महल, वैभव—कुछ भी रक्षा नहीं कर पाया क्योंकि राष्ट्र रक्षा अनुपस्थित थी।
SECTION 6: इतिहास भूलने का परिणाम — अस्तित्व समाप्त होना
हम बार-बार कहते हैं:
- “सब ठीक हो जाएगा”
- “धर्म महान है”
- “भगवान रक्षा करेंगे”
- पर ईश्वर भी कर्मवीरों को संरक्षण देते हैं, तटस्थ दर्शकों को नहीं।
जब राष्ट्र गिरता है:
- मंदिर बंद हो जाते हैं
- मूर्तियाँ टूट जाती हैं
- भाषा बदल दी जाती है
- स्मृति मिटा दी जाती है
इतिहास दया नहीं करता— वह मिटा देता है।
SECTION 7: धर्म के पास अनुष्ठान हैं, पर सेनानी नहीं
आज सनातन में:
- कथावाचक हैं
- भव्य आयोजन हैं
- सोशल मीडिया प्रचार है
- तीर्थ पर्यटन है
लेकिन कमी है:
- रणनीतिक नेतृत्व
- जमीनी कार्यकर्ता
- वैचारिक प्रतिरोध
- सांस्कृतिक सुरक्षा तंत्र
- जनसांख्यिक योजना
धर्मरक्षा भक्ति से नहीं, दिशा से सुरक्षित होता है।
SECTION 8: निष्क्रियता = विनाश का मुख्य कारण
- मौन, तटस्थता, निष्क्रियता— ये तटस्थ नहीं, विनाशकारी हैं।
- जब रक्षक चुप रहता है, तो वही विनाश का मार्ग प्रशस्त करता है।
- जब समाज मौन होता है, तो वही अपने ही पतन में सहभागी बनता है।
- सभ्यताएँ शत्रु के कारण नहीं, अपने मौन के कारण नष्ट होती हैं।
SECTION 9: अभी क्या बदलना होगा
धर्म नेतृत्व को:
- मंचों से उतरकर ज़मीन पर आना होगा
- संघर्ष को अपनाना होगा
- मिशनवादी सोच अपनानी होगी
- राष्ट्र को सर्वोच्च रखना होगा
समाज को:
उत्सव से आगे बढ़ना होगा
- सुरक्षा-संरक्षण प्राथमिक करना होगा
- व्यक्तिगत से सामूहिक चेतना तक पहुँचना होगा
- धर्म गर्व से धर्म रक्षा तक यात्रा करनी होगी
राष्ट्र और धर्म दोनों को:
- सांस्कृतिक कानूनी तंत्र
- घर-वापसी सुरक्षा ढांचा
- जनसांख्यिक संतुलन योजना
- मीडिया-नैरेटिव रक्षा
की आवश्यकता है।
SECTION 10: निर्णायक क्षण — अब या कभी नहीं
- यदि धर्मगुरु नेतृत्व नहीं करेंगे, तो हिंदू युवाओं को करना होगा।
- यदि धार्मिक संस्थाएँ मौन रहीं, तो समाज को आगे बढ़ना होगा।
- यदि यह निष्क्रियता नहीं टूटी, तो सनातन का विनाश हो जाएगा।
सभ्यताएँ अचानक नहीं मिटतीं— वे मौन, भ्रम और निष्क्रियता से समाप्त होती हैं।
🇮🇳 जय भारत, वन्देमातरम 🇮🇳
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