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हमारी चुप्पी

हमारी चुप्पी, हमारी सबसे बड़ी हार बनती जा रही है!

हमारी चुप्पी, हमारी सबसे बड़ी हार

हम एक ऐसे दौर में जी रहे हैं जहाँ अन्याय, भेदभाव और असमानता हमारे सामने होते हुए भी हम अक्सर खामोश रहते हैं। यह चुप्पी कभी डर की वजह से होती है, तो कभी उदासीनता की वजह से। लेकिन क्या हम समझते हैं कि यही चुप्पी धीरे-धीरे हमारी सबसे बड़ी हार बनती जा रही है? जब हम बोलना बंद कर देते हैं, तो हम बदलाव की संभावना को भी खत्म कर देते हैं। यही समय है सोचने का—क्या हमारी चुप्पी सही है, या अब आवाज़ उठाना ज़रूरी हो गया है?l

एक अरब मुस्लिम लंदन की एक सार्वजनिक बस में चढ़ता है और बस ड्राइवर से कहता है –
बस में जो संगीत चल रहा है, वह बंद कर दीजिए। मेरे इस्लाम में यह हराम है, खासकर यह पश्चिमी संगीत। हमारे पैगंबर के समय संगीत नहीं था।

ड्राइवर शांत स्वर में कहता है, “ठीक है भाई।”
वह संगीत बंद करता है — लेकिन इसके साथ ही बस का दरवाज़ा खोलता है और कहता है,
अब आप कृपया नीचे उतर जाएँ।

मुस्लिम यात्री चौंक कर पूछता है, “क्यों?”

ड्राइवर कहता है –
क्योंकि पैगंबर के समय न बस थी, न मोबाइल, AK-47, न बम धमाके, न जिहाद, न हवाई जहाज अपहरण। तब ऊँट था, शांति थी।
तो आप कृपया उसी युग की सवारी करें।

यह केवल एक मज़ाक नहीं है — यह एक चेतावनी है, एक प्रतीक है उस मानसिकता का जो आज भारत और पूरी दुनिया में अपने कट्टर धार्मिक सिद्धांतों को आधुनिक समाज पर थोपना चाहती है।

हिंदू समाज क्या हम अब भी फूलों की घाटीमें सोए हैं?

  • हम सनातनी, एक ऐसे भ्रमजाल में जी रहे हैं जिसे हम अपना आरामदायक, शांत पर्सनल पैराडाइज़ मानते हैं।
  • हमें लगता है कि “सब कुछ ठीक है”,
  • हमें लगता है कि “हम तो सहिष्णु हैं”,
  • हमें लगता है कि “हम धर्म में हस्तक्षेप नहीं करते तो हमें कोई नहीं छेड़ेगा”…
  • लेकिन इसी बीच, हमारे शत्रु—
    वामपंथी, कट्टरपंथी मुसलमान, कथित सेक्युलर नेता, बिकाऊ मीडिया, और विदेशी फंड से पोषित एनजीओ
    हमारी चुप्पी का लाभ उठाकर हमारी संस्कृति, परंपरा, पहचान और अस्तित्व को मिटाने की साजिश में जुटे हैं।

आंतरिक गिरावट: धर्म के ठेकेदार, धन के व्यापारी बन चुके हैं!

  • आज हमारे धार्मिक गुरु, पीठाधीश्वर, मठों के महंत, सब अपने-अपने धनप्रसार, वैभव, और प्रसिद्धि में लीन हैं।
  • राजनीतिक दलों से समीकरण बैठाए जा रहे हैं,
  • मंदिरों में VIP दर्शन और करोड़ों की प्लानिंग,

लेकिन कोई नहीं बोलता जब:

  • बंगाल में हिंदू बेटियों पर जिहादी अत्याचार होते हैं,
  • काशी और मथुरा पर न्यायालय में झूठे मुकदमे चल रहे हैं,
  • कर्नाटक में हिंदू बच्चों को जबरन धर्मांतरित किया जाता है,
  • राम, कृष्ण और शिव के अस्तित्व पर कोर्ट में सवाल उठाए जाते हैं।

सनातन धर्म पंथ नहीं, अस्तित्व का विज्ञान है

क्या हम भूल गए कि:

  • मोहम्मद से पहले कोई मुसलमान नहीं था,
  • नानक से पहले कोई सिख नहीं था,
  • महावीर से पहले कोई जैन नहीं था,
  • बुद्ध से पहले कोई बौद्ध नहीं था,
  • कार्ल मार्क्स से पहले कोई वामपंथी नहीं था

लेकिन…

  • कृष्ण से पहले राम,
  • राम से पहले वशिष्ठ,
  • वशिष्ठ से पहले अत्रि,
  • अत्रि से पहले अगस्त्य,
  • अगस्त्य से पहले याज्ञवल्क्य, कणाद, पतंजलि

यह सब था हजारों वर्षों से, पीढ़ी दर पीढ़ी।

  • यह कोई मत नहीं है, यह हमारा जीवन तत्त्व, संस्कृति, और अस्तित्व की नींव है।
  • यह सनातन है अनादि, अनंत, अपरिवर्तनीय।

लेकिन क्या अब भी हम जागेंगे? या बहुत देर हो चुकी है?

आज हमें अपने आप से पूछना होगा:

  • क्या हमें आने वाली पीढ़ी के लिए एक गुलाम भारत छोड़ना है?
  • क्या हम उस दिन का इंतजार कर रहे हैं जब हमारे मंदिरों पर भी ताले लगा दिए जाएँगे?
  • क्या हम हिन्दू केवल त्योहारों और खानपान में ही सीमित होकर रह जाएँगे?

समाधान क्या है? रास्ता क्या है?

  • एकजुटता ही अस्त्र है:
    जात-पात, भाषा, क्षेत्र — सब भूलकर हिंदू पहले बनो
    केवल “मैं ब्राह्मण हूँ”, “मैं राजपूत हूँ”, “मैं बंगाली हूँ” — यह सोच अब विनाश का कारण बन रही है।
  • धर्म का सही ज्ञान लो:
  • अपने ग्रंथों को जानो,
  • अपने ऋषियों की वाणी समझो,
  • अपने बच्चों को धर्म की शिक्षा दो।

हर स्तर पर प्रतिकार करो:

मीडिया में, सोशल मीडिया में, जनसभा में —

  • जहाँ भी हिंदू धर्म पर आघात हो,
  • डटकर और समझदारी से उत्तर दो।
  • अपने धार्मिक नेताओं को जवाबदेह बनाओ:

जो केवल राजनीति में लगे हैं, जो केवल पैसा बना रहे हैं —

उन्हें सवालों का सामना करने दो।

  • एक सच्चा सनातनी योद्धाबनो:
  • यह समय पंडित, भक्त, व्यापारी या नेता बनने का नहीं,
  • यह समय संघर्ष करने वाले योद्धा बनने का है।

आज नहीं तो कभी नहीं समय का पहिया कभी नहीं रुकता!

या तो अब उठो, या आने वाली पीढ़ियाँ तुम्हें धिक्कारेंगी।
या तो अब बोलो, या तुम्हारे बच्चों को मौन गुलामी स्वीकारनी होगी।

धर्म केवल पूजा नहीं यह हमारी पहचान है, अस्तित्व है।

आख़िरी संदेश: इसे पढ़कर छोड़ो मत जागो और जगाओ!

यदि तुम गर्व से हिंदू हो,
तो चुप मत बैठो —
जागो, एक बनो,
और धर्म-राष्ट्र की रक्षा में लग जाओ!

जय श्रीराम | जय सनातन | जय भारत

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