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हेमंता बिस्वा सरमा

हेमंता बिस्वा सरमा: कानून, व्यवस्था और राष्ट्रीय सुरक्षा के दृढ़ नेता

आज के राजनीतिक परिदृश्य में, एक सशक्त नेतृत्व की आवश्यकता है जो राष्ट्र की सुरक्षा, सांस्कृतिक संरक्षण और कानून व्यवस्था को सर्वोच्च प्राथमिकता दे। असम के मुख्यमंत्री हेमंता बिस्वा सरमा ऐसे ही एक नेता के रूप में उभरकर आए हैं, जिन्होंने अवैध घुसपैठ और गैरकानूनी गतिविधियों के खिलाफ कठोर कार्रवाई करके राष्ट्रहित की रक्षा की है।

अवैध अतिक्रमण पर कड़ा प्रहार

मुख्यमंत्री हेमंता बिस्वा सरमा के नेतृत्व में असम सरकार ने अवैध भूमि कब्जे के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की। उन्होंने तीन गांवों को सरकारी जमीन से खाली करवाया, जहां अवैध रूप से बाजार (मंडी), मस्जिद, कब्रिस्तान और मदरसे बनाए गए थे।

इस कार्रवाई का उद्देश्य सरकारी भूमि को पुनः प्राप्त करना और अनधिकृत बस्तियों को हटाना था, जिससे स्थानीय प्रशासन और सुरक्षा सुनिश्चित हो सके।

हालांकि, इस कदम का विरोध करते हुए कांग्रेस पार्टी गुवाहाटी हाई कोर्ट पहुंच गई और उखाड़े गए लोगों को मुआवजा दिलाने की मांग करने लगी। लेकिन असम सरकार ने स्पष्ट शब्दों में जवाब दिया:

मुआवजा केवल उन्हीं को मिलेगा जो अपनी भारतीय नागरिकता सिद्ध कर सकते हैं। जो अवैध घुसपैठिए हैं, उन्हें उनके मूल देश वापस भेजा जाएगा।

सरकार का यह कड़ा रुख यह दर्शाता है कि वह भारत की संप्रभुता की रक्षा करने और सिर्फ वैध नागरिकों को ही सरकारी लाभ देने के लिए प्रतिबद्ध है।

अवैध घुसपैठ: भारत के लिए गंभीर खतरा

  • भारत, विशेष रूप से असम और अन्य पूर्वोत्तर राज्यों, बांग्लादेशी घुसपैठियों के कारण जनसांख्यिकीय असंतुलन, भूमि अतिक्रमण और सुरक्षा खतरों से जूझ रहा है। इस समस्या के कारण:
  • जनसंख्या में असंतुलन पैदा हो रहा है, जिससे सांस्कृतिक और धार्मिक संरचना प्रभावित हो रही है।
  • अवैध रूप से भूमि कब्जाई जा रही है, जिससे स्थानीय नागरिकों को कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है।
  • सुरक्षा पर खतरा बढ़ रहा है, क्योंकि कई घुसपैठिए आतंकवादी और राष्ट्रविरोधी गतिविधियों में शामिल पाए गए हैं।

असम सरकार की यह नीति दशकों की राजनीतिक लापरवाही को सुधारने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों पर अवैध घुसपैठियों को वोट बैंक के रूप में इस्तेमाल करने के आरोप लगते रहे हैं।

हेमंता बिस्वा सरमा के इस फैसले से यह साफ हो गया है कि अब भारत में केवल उन्हीं को अधिकार मिलेंगे जो वैध नागरिक हैं।

राष्ट्रवाद बनाम तुष्टीकरण की राजनीति

इस घटना ने एक बार फिर यह साबित किया कि भारत में राष्ट्रवादी सोच और वोट बैंक की राजनीति के बीच संघर्ष चल रहा है:

  • राष्ट्रवादी नेता जैसे हेमंता बिस्वा सरमा, जो राष्ट्र की सुरक्षा और कानून व्यवस्था को प्राथमिकता देते हैं।
  • तुष्टीकरण की राजनीति करने वाले दल, जो अवैध घुसपैठियों का समर्थन करते हैं और देश की सुरक्षा को खतरे में डालते हैं।

कांग्रेस द्वारा घुसपैठियों के लिए मुआवजे की मांग करना उसी तुष्टीकरण की राजनीति का हिस्सा था, लेकिन सरकार के नागरिकता प्रमाणित करने के फैसले से कांग्रेस का झूठ उजागर हो गया।

यह घटना अन्य राज्यों के लिए भी एक सबक है कि यदि अवैध कब्जे और घुसपैठ को समय रहते नहीं रोका गया, तो इससे पूरे देश की सुरक्षा और स्थिरता को खतरा हो सकता है।

धर्म, राष्ट्रीय कर्तव्य और आध्यात्मिक जिम्मेदारी

सनातन धर्म के अनुसार, अपनी भूमि, संस्कृति और जनता की रक्षा करना केवल राजनीतिक नहीं, बल्कि आध्यात्मिक कर्तव्य भी है।

भारतीय इतिहास में, महान योद्धाओं और अवतारों ने अधर्म के खिलाफ संघर्ष किया है।

हिंदुओं का कर्तव्य: भारत की रक्षा करें

  • जागरूक बनें: हिंदुओं को अवैध घुसपैठ और जनसांख्यिकीय असंतुलन के खतरों को समझना होगा।
  • एकजुट रहें: हिंदू समाज को जाति और क्षेत्रवाद से ऊपर उठकर एकता दिखानी होगी
  • राजनीतिक भागीदारी: केवल उन नेताओं को समर्थन दें जो राष्ट्र की सुरक्षा और हिंदू समाज के हितों की रक्षा करें।
  • कानूनी कार्रवाई करें: अवैध बस्तियों और घुसपैठियों के खिलाफ सख्त कानूनों की मांग करें।

हेमंता बिस्वा सरमा जैसे नेता धर्मयुद्ध की परंपरा को आगे बढ़ा रहे हैं—वे राष्ट्र, संस्कृति और सनातन धर्म की रक्षा के लिए संघर्ष कर रहे हैं।

आगे की राह: भारत की रक्षा के लिए कदम उठाएं

यह मुद्दा केवल असम का नहीं, बल्कि पूरे भारत का भविष्य दांव पर है। अगर अवैध घुसपैठ और जनसांख्यिकीय असंतुलन को समय रहते नहीं रोका गया, तो इसका सांस्कृतिक और राजनीतिक प्रभाव आने वाली पीढ़ियों तक दिखेगा। अब समय आ गया है कि सभी राष्ट्रवादी और धर्मनिष्ठ भारतीय मिलकर इन खतरों का सामना करें:

राष्ट्रवादी नेतृत्व का समर्थन करें, जो भारत की सुरक्षा को सर्वोपरि रखता है।
तुष्टीकरण की राजनीति को अस्वीकार करें, जो भारत के भविष्य के साथ खिलवाड़ कर रही है।
हिंदू समाज में एकता बढ़ाएं, जिससे राष्ट्रविरोधी ताकतें कमजोर हों।
अवैध घुसपैठ रोकने के लिए सख्त कानूनों की मांग करें।

सच्चे राष्ट्रभक्त को सलाम

वाह हेमंता दादा! आपने धर्म और राष्ट्र की रक्षा को सर्वोपरि रखा और अवैध घुसपैठियों को उनके अंजाम तक पहुँचाने का साहसिक निर्णय लिया। यह सच्ची राष्ट्रभक्ति और धर्म रक्षा है!”

भारत को और अधिक हेमंता बिस्वा सरमा जैसे दृढ़ नेताओं की आवश्यकता है, जो राष्ट्रहित को सर्वोपरि रखते हैं। यह हम सभी के लिए एक जागृति का आह्वान है कि हम एकजुट होकर भारत को सुरक्षित, शक्तिशाली और धर्ममय बनाएं।

राष्ट्र रक्षा के लिए जुड़ें!

अगर आप इस मिशन में विश्वास रखते हैं, तो आगे बढ़ें:
अवैध घुसपैठ के खतरों को उजागर करें।
राष्ट्रवादी नेतृत्व को मजबूत करें।
एकजुट होकर भारत की रक्षा करें।

भारत माता की जय! 🚩

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