यह अर्द्ध सैन्य बल युद्ध लड़ने नहीं जा रहा है, बल्कि उत्तर प्रदेश के एक संवेदनशील इलाके में स्मार्ट मीटर लगाने जा रहा है ताकि बिजली की चोरी रोकी जा सके। मगर यह घटना एक व्यापक संदर्भ में देखने की जरूरत है, क्योंकि आजकल दुनिया भर में संवेदनशील इलाकों की एक परिभाषा बन चुकी है—जहां मुसलमानों की आबादी गैर-मुसलमानों से सिर्फ एक व्यक्ति ज्यादा हो। फिर चाहे उस इलाके में एक दो मिनट पहले जन्मा बच्चा भी क्यों न हो।
हिंदू के दृष्टिकोण से राजनीति और उसका असल रूप
आप सोचिए, यदि यह हिंदू सरकार है तो इसे गुंडागर्दी माना जाता है, लेकिन अगर मुसलमानों की सरकार होती तो क्या होता? अगर अखिलेश यादव की सरकार होती तो क्या होता? यह तो वही बात है, जैसे कुछ हिंदू उत्तर प्रदेश के लोकसभा परिणामों पर बीजेपी पर हंस रहे थे—क्या आप सचमुच बीजेपी पर हंस रहे थे, या फिर आपकी अज्ञानता पर मुसलमान हंस रहे थे?
मुसलमानों की जड़ें और हिंदू समाज की जिम्मेदारी
मुसलमान कभी दोषी नहीं था—1400 वर्षों से उसे यह स्पष्ट था कि उसे आपके गले को काटना है क्योंकि आप उसके अल्लाह की पूजा नहीं करते। इसलिए, दोष आपका है क्योंकि आप उनमें इंसान ढूंढते रहे।
मुसलमान घोड़े पर बैठकर हिंदुस्तान आया, आपके असंख्य मंदिरों को तोड़ा, 1771 में उसे देश से बाहर खदेड़ दिया लेकिन जब वह फिर से शरणार्थी बनकर वापस आया, तो आपने उसकी पुरानी गलती भूलकर उसका स्वागत किया।
जब तक उसका घाव सही नहीं हुआ था, वह आपसे दूध पीकर चुप बैठा रहा, और जैसे ही उसमें ताकत आई, उसने आपको काटना शुरू कर दिया। कभी खिलाफत के नाम पर, कभी पाकिस्तान के नाम पर।
आज एक बड़ी ज़मीन को वह कब्ज़े में कर चुका है, और जो भूभाग आपका बचा है, उस पर भी उसका क्लेम है। उसका दुश्मन इजरायल है, और दोस्ती तुर्की से है, फिर भी आप उसे केवल सामाजिक अंतर मान रहे हैं। वो 1400 वर्षों से अपने तरीके से शिक्षित है, जबकि आप अभी भी अज्ञानी हैं।
2014 और 2024: हिंदू समाज का जागरण
2014 में हिंदू ने पहली बार वह खेल समझा, लेकिन यह 10 साल की समझ, 1400 वर्षों की कट्टरता पर भारी पड़ने में समय लेगी। फिर भी, हम उसे सफल नहीं होने देंगे, हम भारत को फिर से विभाजित नहीं होने देंगे। इसके लिए हमें सजग और जागरूक रहना होगा।
हिंदू को अब यह समझना होगा कि मुसलमानों के साथ उनका बैर सामाजिक नहीं, बल्कि सभ्यता का है। हमारे यहाँ, हम कभी भी दूरी के रिश्तेदार से भी शारीरिक संबंध बनाने का ख्याल नहीं लाते, जबकि दूसरी तरफ, मुसलमानों ने लाहौर और कराची में राखी बांधने वाली हिंदू बहनों का बलात्कार किया।
यह धर्मयुद्ध सभ्यताओं के बीच है
यह धर्मयुद्ध दो सभ्यताओं का है। आपको इसे हर स्तर पर लड़ना होगा। हिंदू–मुसलमान का खेल खेलने से कुछ नहीं होगा। आप इस सच्चाई से नहीं भाग सकते, यह युद्ध हिंदुओं ने नहीं शुरू किया। हिंदुओं ने तो कई बार सुधरने के मौके दिए, फिर देश तक दिया, लेकिन हमें क्या मिला?
वे आपको केवल देश नहीं, बल्कि आपकी खून की आखिरी बूँद चाहते हैं। जो कुछ भी पैगंबर से पहले का था, वह जिहालत है, चाहे वह भारतीय सभ्यता हो या यूरोपीय। जब तक वे इस जिहालत को समाप्त नहीं करेंगे, वे आपके बीच रहेंगे।
वे ट्रेन की पटरियों पर दरगाहें बनाएंगे, और आपके मंदिरों के बगल में अतिक्रमण करेंगे, ताकि जब जिहाद की घोषणा हो, तो आपको घेरकर मार सकें।
सच्चाई: मुसलमानों की कमजोरियत और हिंदू की विजय
हालांकि यह डरपोक कौम कुछ नहीं कर सकती, वे बम बांधकर महिलाओं और बच्चों को मरवा सकते हैं, लेकिन असल में सारा दारोमदार आप पर है कि आप इसे कैसे समाप्त करेंगे।
हिंदू की विजय सुनिश्चित है, क्योंकि आज 120 करोड़ हिंदुओं में से 50 करोड़ कट्टर हैं, और बाकी 70 करोड़ को अगर मुसलमान आज काटेंगे, तो कल काटें—हिंदू का इतिहास यही कहता है कि हिंदू सिर्फ कटकर ही जीते हैं।
विजय और अंतिम परिणाम
परंतु अंतिम पराजय इस्लाम की होगी। हिंदू वह संस्कृति है जिसे विधाता ने कभी मत्स्य बनकर बचाया, कभी वराह बनकर। प्रलय से लेकर हिरण्याक्ष जैसे राक्षसों ने इसे नहीं डुबोया, और रावण जैसे महाज्ञानी भी इस संस्कृति को नष्ट नहीं कर सके।
जब आपने 1400 वर्षों में जो बनकर किया, हम वेदों के लिखे जाने से पहले वही बन चुके थे। आप झगड़े और दंगे सीखकर जेहादी हो गए, जबकि हम 5000 साल पहले वह रण लड़कर जीत चुके हैं।
अगर आपके पास लादेन और बगदादी के हथियार हैं, तो हमारे पास ज्ञान की शक्ति है, वह शक्ति जो पहाड़ों को काटकर मंदिर बना देती है।
इस सभ्यता के युद्ध में आप जितना चाहे ढोल पीट लें, अंततः नगाड़े आपके ही बजेंगे।
आज सेना स्मार्ट मीटर लगाने आ रही है, लेकिन यदि यह हालात रहे, तो यही सेना एक दिन भारत से बाहर फेंक दी जाएगी, जैसे मक्खी को चाय से बाहर फेंक दिया जाता है, और उस समय सेक्युलर और वामपंथी, बेताल की तरह उल्टे लटके केवल तमाशा देखेंगे।
जय भारत! जय हिन्द!!
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