आज का समय हिंदू धर्म और हमारे देश के अस्तित्व के लिए गंभीर चुनौतियाँ लेकर आया है, जिनका सामना हमें एकजुट होकर करना होगा। विपक्षी पार्टियाँ लंबे समय से हिंदू समाज को जाति, पंथ, और समुदाय के आधार पर विभाजित करने का प्रयास कर रही हैं। यह विभाजन स्वतंत्रता के बाद से चलता आ रहा है और अब उन्होंने इसे जाति आधारित जनगणना और यहां तक कि सेना तक फैलाना शुरू कर दिया है।
सेना का विभाजन: एक गंभीर खतरा
विपक्ष द्वारा जाति आधारित जनगणना की मांग अब भारतीय सेना तक पहुंच गई है, जो देश की एकता और सुरक्षा के लिए एक अत्यंत खतरनाक संकेत है। सेना हमारी राष्ट्र की सुरक्षा का गढ़ है, और यदि इसे भी विभाजित करने का प्रयास किया जाता है, तो देश गंभीर संकट में पड़ जाएगा। यह केवल देश के आंतरिक सुरक्षा को ही नहीं, बल्कि हमारे राष्ट्र की अखंडता को भी खतरे में डाल देगा।
अंतर्राष्ट्रीय समर्थन और अमेरिकी “डीप स्टेट”
यह भी महत्वपूर्ण है कि कांग्रेस और विपक्षी पार्टियाँ अकेली इस विभाजनकारी राजनीति में नहीं हैं। वे अमेरिकी डीप स्टेट और अन्य वैश्विक ताकतों का समर्थन प्राप्त कर रही हैं, जिनका उद्देश्य भारत को अस्थिर करना है। यह ताकतें चाहती हैं कि भारत कमजोर हो, जिससे वे अपने वैश्विक एजेंडा को पूरा कर सकें और भारतीय राजनीति पर अपना प्रभुत्व स्थापित कर सकें।
हिंदुओं की एकजुटता की आवश्यकता
हमें इस समय बेहद सतर्क और एकजुट रहने की आवश्यकता है। हमें जाति, समुदाय, पंथ या भाषा के आधार पर विभाजित नहीं होना चाहिए, जैसा कि विपक्षी पार्टियाँ चाहती हैं। इसके विपरीत, हम सभी हिंदुओं को एकजुट होकर अपने धर्म और राष्ट्र की रक्षा के लिए खड़ा होना होगा।
बांग्लादेश: एक खून से सना हुआ सबक
हमारे सामने एक ताजगी भरा उदाहरण बांग्लादेश का है, जहां हिंदुओं का नरसंहार किया गया था। वहां किसी ने नहीं पूछा कि मरने वाले किस जाति या पंथ के हैं। उन्हें केवल इसलिए मारा गया क्योंकि वे हिंदू थे। अगर हम अब भी नहीं चेते, तो इतिहास अपने आप को दोहरा सकता है। हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि बांग्लादेश जैसी स्थिति भारत में न हो।
इस्लामिक जिहाद: आतंकवाद की जड़
इस स्थिति की जड़ इस्लाम के उन कट्टरपंथी सिद्धांतों में है जो यह कहते हैं कि जो मुस्लिम नहीं है, वह काफिर है, और उसे या तो इस्लाम में परिवर्तित होना चाहिए या मारा जाना चाहिए। उनका सपना है कि एक दिन पूरी दुनिया इस्लामिक हो जाए। इस्लामिक जिहाद (धार्मिक युद्ध) के नाम पर हत्या, बलात्कार, और लूट को जायज ठहराया जाता है। यह स्पष्ट रूप से अमानवीय व्यवहार है। क्या आप ऐसी अमानवीय गतिविधियों का समर्थन करना चाहेंगे, सिर्फ इसलिए कि आप खुद को “धर्मनिरपेक्ष” मानते हैं?
जिहाद: आतंकवाद का कारण
यह जिहाद ही आतंकवाद का प्रमुख कारण है, क्योंकि इसका उद्देश्य काफिरों को मारना है। इस्लामी कट्टरपंथी भारत में योजनाबद्ध तरीके से अपनी जड़ें जमाने की कोशिश कर रहे हैं, ताकि अपने उद्देश्य को पूरा कर सकें। उनकी सबसे बड़ी और एकमात्र हथियार है उनकी बढ़ती जनसंख्या।
जनसंख्या विस्फोट और घुसपैठ
इस्लामिक कट्टरपंथी अपनी जनसंख्या बढ़ाने के लिए सिर्फ जन्म दर पर ही निर्भर नहीं हैं, बल्कि बांग्लादेश, पाकिस्तान, और अफगानिस्तान के सीमावर्ती इलाकों से अवैध घुसपैठ भी एक तरीका है। हम, धर्मनिरपेक्ष युवा भारतीय, उनकी इस योजना को नहीं समझ पा रहे हैं, जो कि कांग्रेस द्वारा स्वतंत्रता के बाद से ही प्रायोजित और पोषित की जा रही है।
विपक्षियों और विधर्मियों का खेल और साजिश
आज पूरा विपक्ष इस खेल को खेल रहा है। ये लोग भारत की परवाह नहीं करते; वे केवल अपनी राजनीति की रोटियां सेंक रहे हैं। वे इस देश को आग में जलाकर अपनी राजनीतिक रोटियां सेंक रहे हैं। अब समय आ गया है कि हम धर्मनिरपेक्ष भारतीय उनकी योजना को समझें और समय रहते खुद को सुरक्षित करें, जबकि अभी भी हमारे पास थोड़ा समय बाकी है।
मोदी, योगी और भागवत: एक नई शुरुआत
मोदी जी, योगी जी, और भागवत जी ने एक मंच पर आकर हिंदू राष्ट्र बनाने के लिए एक संयुक्त प्रयास की शुरुआत की है। यह शुरुआत सराहनीय है, लेकिन अब बारी हमारी है। हमें एकजुट होकर उनका पूरा समर्थन करना होगा। अगर हम पूरी एकता के साथ आगामी चुनावों में उन्हें समर्थन दे सके, तो ही वे अपने मिशन और उद्देश्यों में सफल हो पाएंगे।
इस्राइली संदेश: आतंकवाद के खिलाफ सख्त कदम
इस्राइल के चीफ का एक हालिया संदेश पूरी दुनिया के लिए एक चेतावनी है: “अब और नहीं सहेंगे!”। दुनिया को अब धार्मिक आतंकवाद के खिलाफ खड़ा होना होगा और इसे समाप्त करना होगा। भारत के लिए भी समय आ रहा है जब हमें इस आतंकवाद के खिलाफ उसी सख्ती से कदम उठाने होंगे, जैसे इस्राइल ने अपने आतंकवादियों के खिलाफ किए।
विपक्ष का आक्रामक रुख और हमारी रणनीति
आज विपक्षी दल और विधर्मी लोग होकर सिर्फ एक लक्ष्य पर केंद्रित हैं: मोदी, बीजेपी और एनडीए को सत्ता से हटाना। इसके लिए वे कट्टरपंथी भाषणों और आक्रामक रणनीतियों का सहारा ले रहे हैं। दूसरी ओर, हिंदू समर्थक समूहों में एकता का अभाव है। वे अनेक मुद्दों पर बंटे हुए हैं और उनका ध्यान मुख्य उद्देश्य से हट चुका है।
युद्ध: नैतिकता या अस्तित्व?
इस संघर्ष में कोई नैतिकता नहीं होती, यह एक अस्तित्व की लड़ाई है। हमें यह समझना होगा कि यह धर्म और राष्ट्र की रक्षा की लड़ाई है। हमें नैतिकता और कानून से परे जाकर यह युद्ध जीतना होगा, और एक बार जब हम जीत जाएंगे, तभी हम नैतिकता और कानून की बात कर सकते हैं।
एकता और आक्रामकता: सफलता की कुंजी
हमें एकजुट होकर एक ही लक्ष्य पर केंद्रित होना होगा: विपक्ष और भारत विरोधी तत्वों की सफलता को रोकना। इसके लिए हमें अधिक आक्रामक, प्रत्यक्ष, और जोरदार होने की आवश्यकता है। हमें यह लड़ाई जीतनी होगी, चाहे इसके लिए हमें नैतिक हो या अनैतिक, सही हो या गलत। बस, हमें अमानवीय कार्यों से बचना होगा, क्योंकि विपक्ष इन अमानवीय कदमों को अपनाने से नहीं हिचकिचाएगा।
यह संघर्ष हिंदू धर्म, भारत, और संस्कृति की रक्षा का है, और इसे जीतने के लिए हमें हर संभव कदम उठाना होगा।
उदाहरण और केस स्टडीज
- जाति आधारित राजनीति: कांग्रेस और विपक्ष
केस स्टडी: मंडल कमीशन 1980 के दशक के अंत में, कांग्रेस के नेतृत्व वाली सरकार द्वारा लागू मंडल कमीशन रिपोर्ट जातियों के बीच विभाजन का एक उपकरण बन गई। यह कदम ओबीसी (अन्य पिछड़ा वर्ग) के लिए आरक्षण प्रदान करने के उद्देश्य से था, जिसने भारत में जातीय राजनीति को और बढ़ावा दिया। जाति विभाजन बढ़ा, जिससे विभिन्न हिंदू समुदायों के बीच तनाव उत्पन्न हुआ। आज भी, कांग्रेस और विपक्षी पार्टियाँ चुनावी लाभ के लिए जाति का शोषण कर रही हैं, अब यह दृष्टिकोण जाति आधारित जनगणना की मांग के रूप में बढ़ता जा रहा है, जो राष्ट्रीय एकता के लिए खतरनाक है। - बांग्लादेश: हिंदू जनसंहार
केस स्टडी: 1971 बांग्लादेश युद्ध और स्वतंत्रता के बाद की निरंतरता 1971 बांग्लादेश मुक्ति युद्ध के दौरान हिंदुओं को व्यवस्थित रूप से लक्षित किया गया, जिससे लाखों की मृत्यु हुई। बांग्लादेश के स्वतंत्र होने के बाद भी, हिंदू अल्पसंख्यक धार्मिक उत्पीड़न का सामना करते रहे, जहां उनके घरों, मंदिरों और संपत्तियों पर हमले किए गए। ये अत्याचार उनके जाति, समुदाय या सम्प्रदाय के आधार पर नहीं किए गए, बल्कि केवल इसलिए किए गए क्योंकि वे हिंदू थे। यह एक भयानक अनुस्मारक है कि अगर हिंदू भारत में एकजुट नहीं होते, तो इतिहास दोबारा अपने को दोहरा सकता है। - बांग्लादेश से अवैध प्रवासन
केस स्टडी: असम और पश्चिम बंगाल बांग्लादेश से अवैध प्रवासन ने असम और पश्चिम बंगाल जैसे राज्यों में महत्वपूर्ण जनसांख्यिकीय परिवर्तन किए हैं। इन क्षेत्रों में तनाव बढ़ गया है क्योंकि अवैध प्रवासी स्थानीय जनसंख्या की तुलना में तेजी से बढ़ रहे हैं, जिससे सांस्कृतिक, आर्थिक, और धार्मिक संघर्ष उत्पन्न हो रहे हैं। असम आंदोलन 1970 के दशक के अंत में और इसके बाद NRC (राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर) का कार्यान्वयन इस पर प्रतिक्रिया थी, लेकिन राजनीतिक स्वार्थों के कारण यह समस्या अभी भी largely unresolved है। - कांग्रेस का कट्टर इस्लाम का समर्थन
केस स्टडी: शाह बानो मामला 1985 में, जब भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने एक मुस्लिम महिला, शाह बानो, के पक्ष में भरण-पोषण का फैसला दिया, तो कांग्रेस सरकार ने मुस्लिम कट्टरपंथियों के दबाव में निर्णय को पलट दिया, जिसके तहत मुस्लिम महिला (तलाक पर अधिकारों का संरक्षण) अधिनियम, 1986 लाया गया। यह एक स्पष्ट उदाहरण है कि कांग्रेस ने अल्पसंख्यक के लिए अपनी साख को बनाए रखने के लिए संवैधानिक सिद्धांतों की अनदेखी की और धार्मिक कट्टरवाद को बढ़ावा दिया। इसने कट्टरपंथी तत्वों को और अधिक सशक्त किया। - जिहाद और आतंकवाद: एक वैश्विक और राष्ट्रीय समस्या
केस स्टडी: 2008 मुंबई हमले 26/11 मुंबई आतंकवादी हमले जो पाकिस्तान से इस्लामी आतंकवादियों द्वारा योजनाबद्ध किए गए, आतंकवाद के खतरे का एक भयानक अनुस्मारक हैं। आतंकवादियों ने केवल प्रमुख स्थलों को लक्षित नहीं किया, बल्कि निर्दोष नागरिकों की भी बेतरतीब तरीके से हत्या की। ये आतंकवादी हमले जिहाद के बहाने किए गए, जहां “काफिरों” को मारने के विचार को बढ़ावा दिया गया। ऐसे घटनाएँ यह दर्शाती हैं कि भारत और अन्य देशों को इस्लामी कट्टरवाद से कितनी गंभीर चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है।
अगले कदम: हिंदुओं और राष्ट्रवादी ताकतों को क्या करना चाहिए - जाति, धर्म, और समुदाय से परे एकता
हिंदुओं को जाति, सम्प्रदाय, क्षेत्र, या भाषा के सभी विभाजनों को पार करते हुए एकजुट होना चाहिए। विपक्षी पार्टियाँ जाति आधारित जनगणना और सेना में विभाजन का उपयोग कर रही हैं। यदि हम एकजुट नहीं होते, तो यह हमारे राष्ट्र की मूल शक्ति, एकता, के लिए खतरनाक हो सकता है।
क्रियाशील कदम:
जागरूकता अभियान: स्कूलों, कॉलेजों, सोशल मीडिया, और सार्वजनिक मंचों पर हिंदुओं को एकजुटता के महत्व के बारे में जागरूक करने के लिए बड़े अभियान चलाना।
हिंदू नेतृत्व मंच: ऐसे प्लेटफार्म बनाना जहाँ विभिन्न जातियों और समुदायों के नेता एक साथ आकर एकता को बढ़ावा दें।
सामाजिक संरचना में सुधार: हिंदू धर्म में आंतरिक जाति आधारित भेदभाव को शिक्षा और सामाजिक सुधारों के माध्यम से सक्रिय रूप से सामना करना। - भारतीय सेना और राष्ट्रीय संस्थानों का समर्थन
सेना में जाति आधारित जनगणना की मांग खतरनाक है। विभाजित सेना से राष्ट्रीय सुरक्षा खतरे में पड़ सकती है। यह आवश्यक है कि हम अपनी सशस्त्र बलों और अन्य राष्ट्रीय संस्थानों की अखंडता की रक्षा करें।
क्रियाशील कदम:
जाति आधारित जनगणना का विरोध करें: सार्वजनिक राय और कानूनी संघर्षों के माध्यम से राष्ट्रीय संस्थानों में जाति आधारित जनगणना को रोकने के लिए प्रयास करें, विशेष रूप से सेना में।
राष्ट्रीय सुरक्षा को मजबूत करें: मेरिट, अनुशासन, और एकता पर केंद्रित नीतियों का समर्थन करें। - अवैध प्रवासन का मुकाबला
बांग्लादेश से अवैध प्रवासन ने सीमावर्ती राज्यों में सांस्कृतिक और आर्थिक तनाव पैदा किया है। CAA (नागरिकता संशोधन अधिनियम) और NRC जैसी नीतियों का समर्थन करना आवश्यक है।
क्रियाशील कदम:
सीमाओं को मजबूत करें: कड़ी सीमा नियंत्रण और सुरक्षा उपायों की मांग करें।
NRC को देशभर में लागू करें: अवैध प्रवासियों की पहचान और निर्वासन के लिए NRC को विस्तारित करें।
सीमावर्ती क्षेत्रों में आर्थिक विकास: अवैध प्रवासन से प्रभावित स्थानीय जनसंख्या के लिए आर्थिक अवसरों को बढ़ावा दें। - कट्टर इस्लाम और जिहाद का विरोध
कट्टर इस्लाम और जिहाद वैश्विक आतंकवाद के प्राथमिक स्रोत बने हुए हैं। इस विचारधारा का मुकाबला न केवल सैन्य बल के साथ बल्कि राष्ट्रीय नीतियों के माध्यम से भी किया जाना चाहिए।
क्रियाशील कदम:
विरोधी कट्टरपंथी कार्यक्रमों को बढ़ावा दें: ऐसे कार्यक्रमों का समर्थन करें जो देश में कट्टरपंथीकरण को रोकने में मदद करें, विशेषकर युवा वर्ग के बीच।
आतंकवाद विरोधी कानूनों को मजबूत करें: आतंकवादी संगठनों के खिलाफ मजबूत आतंकवाद विरोधी कानूनों की मांग करें। - मोदी, योगी, और भागवत के दृष्टिकोण का समर्थन
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, योगी आदित्यनाथ, और मोहन भागवत ने हिंदुओं को एकजुट करने और राष्ट्र की अखंडता की रक्षा के लिए महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं। अब जनता की बारी है कि वे इस दृष्टिकोण का पूर्ण समर्थन करें।
क्रियाशील कदम:
चुनावी एकजुटता: सुनिश्चित करें कि सभी हिंदू, जाति या क्षेत्र की परवाह किए बिना, उन नेताओं के लिए मतदान करें जो एकजुट हिंदू राष्ट्र के दृष्टिकोण को बनाए रखते हैं।
ग्रासरूट आंदोलनों का समर्थन: भाजपा, आरएसएस और अन्य राष्ट्रीयतावादी संगठनों को उनके मिशन में समर्थन देने के लिए grassroots आंदोलनों का आयोजन करें। - जनसंख्या जिहाद का मुकाबला
मुस्लिम जनसंख्या में तेजी से वृद्धि और अवैध प्रवासन जनसंख्या युद्ध का एक उपकरण है। हिंदुओं को इसके प्रति जागरूक होना चाहिए और जनसंख्या संतुलन सुनिश्चित करने के लिए कार्य करना चाहिए।
क्रियाशील कदम:
जिम्मेदार जनसंख्या नीतियों को प्रोत्साहित करें: ऐसे जनसंख्या नियंत्रण उपायों की वकालत करें जो सभी समुदायों में संतुलन सुनिश्चित करें।
शैक्षिक और आर्थिक सशक्तिकरण: हिंदू समुदाय में शैक्षिक और आर्थिक सशक्तिकरण को बढ़ावा दें ताकि सामाजिक शक्ति बनी रहे। - विपक्ष के एंटी-नेशनल एजेंडे का मुकाबला
कांग्रेस और विपक्षी पार्टियाँ भारत को अस्थिर करने के लिए अमेरिकी गहरे राज्य जैसे विदेशी शक्तियों का समर्थन प्राप्त कर रही हैं। इस एजेंडे को उजागर करना और इसका मुकाबला करना आवश्यक है।
क्रियाशील कदम:
विपक्ष के विदेशी शक्तियों से जुड़ाव का खुलासा करें: मीडिया, सामाजिक प्लेटफार्मों, और सार्वजनिक संवाद का उपयोग करके विपक्ष के एंटी-नेशनल विदेशी तत्वों के साथ संबंधों को उजागर करें।
राष्ट्रीयतावादी नरेटिव को मजबूत करें: ऐसे राष्ट्रीयतावादी नरेटिव का समर्थन करें जो भारत की संप्रभुता, एकता, और सांस्कृतिक विरासत पर केंद्रित हो।
निष्कर्ष
विपक्ष का हिंदुओं को विभाजित करने और राष्ट्र को अस्थिर करने का खतरनाक खेल अनदेखा नहीं किया जा सकता। अब सभी हिंदुओं का समय है कि वे एकजुट हों, आंतरिक मतभेदों को पार करें, और हिंदू धर्म और राष्ट्र की रक्षा करें। केवल मजबूत, प्रत्यक्ष, और आक्रामक कार्रवाई के माध्यम से ही हम कट्टर इस्लाम, अवैध प्रवासन, और विभाजनकारी राजनीतिक बलों के बढ़ते खतरों का मुकाबला कर सकते हैं।