इतिहास का सच यह है कि भारत पर कभी भी संपूर्ण रूप से मुगलों का शासन नहीं था। उनकी सत्ता सिर्फ कुछ क्षेत्रों तक सीमित थी, और जिन इलाकों में वे शासन कर रहे थे, वहां भी हिंदू राजाओं का जबरदस्त प्रतिरोध जारी था। लेकिन इतिहासकारों ने सिर्फ 100 वर्षों के मुगल शासन को इतना बढ़ा-चढ़ाकर पेश किया कि मानो पूरा मध्यकाल इन्हीं का रहा हो।
जब औरंगजेब ने मथुरा का श्रीनाथ मंदिर तोड़ा, तब मेवाड़ के राजा राज सिंह ने 100 मस्जिदें तुड़वा दीं। उन्होंने अपने पुत्र भीम सिंह को गुजरात भेजा और कहा – ‘सब मस्जिदें तोड़ दो।’ भीम सिंह ने 300 मस्जिदें तुड़वा दीं। यह प्रतिशोध केवल एक आक्रोश नहीं था, बल्कि यह उस कालखंड का न्याय था।
वीर दुर्गादास राठौड़ – राजस्थान का हिंदू शेर
वीर दुर्गादास राठौड़, जिन्हें इतिहास में उतनी प्रसिद्धि नहीं मिली जितनी मिलनी चाहिए थी, उन्होंने औरंगजेब के खिलाफ जंग लड़ी और महाराज अजीत सिंह को राजा बनाकर ही दम लिया। कहा जाता है कि दुर्गादास का जीवन घोड़े की पीठ पर ही बीता। राजस्थान के लोकगीतों में आज भी गाया जाता है –
“यदि दुर्गादास न होते, तो राजस्थान में सुन्नत हो जाती!”
वे छापामार युद्ध की कला में शिवाजी महाराज के समान विशेषज्ञ थे और औरंगजेब के लिए एक भयानक सपना बन गए थे।
हिंदू संगठित नहीं हुए, वरना मुगलों का अस्तित्व ही न रहता
मध्यकाल में सबसे बड़ा दुर्भाग्य यह था कि हिंदू संगठित होकर एक संघ के अंतर्गत नहीं लड़े। लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि हिंदू झुके। भारत के हर कोने में प्रतिरोध हुआ:
- दक्षिण में छत्रपति शिवाजी महाराज
- राजस्थान में वीर दुर्गादास राठौड़
- पंजाब में गुरु गोबिंद सिंह जी
- पूर्व में लचित बोरफुकन
- बुंदेलखंड में राजा छत्रसाल
इनके प्रतिरोध का ही परिणाम था कि औरंगजेब के मरते ही मुगल साम्राज्य का पतन हो गया।
इतिहास को विकृत करने की साजिश
इतिहास में हमें पढ़ाया गया कि मुगलों का शासन बहुत ही स्थिर और शक्तिशाली था। लेकिन हकीकत यह है कि –
- बाबर मुश्किल से 4 साल तक राज कर पाया।
- हुमायूं को ठोक–पीटकर भगा दिया गया।
- अकबर से औरंगजेब तक सिर्फ 100 वर्षों का शासन था, और उसके बाद मुगलों का पतन शुरू हो गया।
इतना ही नहीं, विजयनगर साम्राज्य ने 300 वर्षों तक राज किया, लेकिन इतिहास में इसे बहुत कम महत्व दिया जाता है।
क्या हिंदू राजाओं को इतिहास में उचित स्थान मिला?
भारत में कई वंश थे, जिन्होंने मुगलों से कहीं अधिक समय तक शासन किया:
- विजयनगर साम्राज्य – 300 वर्ष
- गुप्त वंश – 245 वर्ष
- मौर्य वंश – 316 वर्ष
- शुंग वंश – 300 वर्ष
- आंध्र (सातवाहन) वंश – 506 वर्ष
- विक्रमादित्य का शासन – 100 वर्ष
लेकिन इनकी चर्चा तक नहीं होती। प्रतियोगी परीक्षाओं में मुगलों से जुड़े 50 प्रश्न होते हैं, लेकिन इन हिंदू राजाओं पर एक भी प्रश्न नहीं पूछा जाता।
क्यों छिपाया गया हिंदुओं का प्रतिरोध?
हमें यह बताया जाता है कि सूफी संतों ने प्रेम और भाईचारे का संदेश दिया, लेकिन असलियत यह है कि हिंदुओं का धर्मांतरण तलवार से कम, सूफियों के प्रभाव से ज्यादा हुआ।
- इतिहास की किताबों में देवल बौद्ध विहार (कराची) में 700 साध्वियों के बलात्कार का जिक्र नहीं किया जाता।
- बाप्पा रावल, नागभट्ट प्रथम, पुलकेशिन द्वितीय जैसे योद्धाओं को भुला दिया गया।
- बाबर, अकबर, और औरंगजेब को महान बताने वाले शिक्षा मंत्री मौलाना आजाद ने इतिहास का भगवाकरण रोकने के नाम पर हिंदुओं को इतिहास से ही मिटा दिया।
अब समय आ गया है कि हिंदू इतिहास को सही रूप से लिखा जाए
हमें इतिहास का पुनर्लेखन करना होगा। हमें अपने बच्चों को बताना होगा कि भारत की असली गाथा क्या थी। यह लड़ाई केवल अतीत की नहीं, बल्कि हिंदुओं के आत्मसम्मान और अस्तित्व की है।
“इतिहास उन्हीं का जीवित रहता है, जो उसे खुद लिखते हैं। जो दूसरों के लिखे को सत्य मानते हैं, वे मिटा दिए जाते हैं।“
🇳🇪 जय भारत, वन्देमातरम🇳🇪