मौन संकट में हिन्दू अस्तित्व
1. डिजिटल युद्ध — सोशल मीडिया एक युद्धक्षेत्र के रूप में
कांग्रेस का भुगतान किया हुआ प्रोपेगैंडा नेटवर्क ऑनलाइन हिंदू-विरोधी और राष्ट्र-विरोधी सामग्री की बाढ़ ला चुका है।
- भुगतान किए गए ट्रोल आर्मी: विपक्षी दलों और विदेशी एनजीओ द्वारा वित्तपोषित हजारों सोशल मीडिया अकाउंट एकजुट होकर दुष्प्रचार फैलाते हैं।
- वृत्तांत युद्ध: लगातार हिंदुओं को “उत्पीड़क” बताने और सांप्रदायिक हिंसा की सच्चाई को उलटने की कोशिश।
- मनोवैज्ञानिक प्रभाव: हिंदुओं का मनोबल तोड़ना, उनमें अपराधबोध पैदा करना और मोदी सरकार पर से भरोसा घटाना।
- विदेशी कड़ियाँ: कुछ फंडिंग चैनल वैश्विक इस्लामिक संगठनों और भारत-विरोधी पश्चिमी लॉबियों से जुड़े पाए गए हैं।
2. जमीनी सच्चाई — शत्रुतापूर्ण क्षेत्रों में हिंदू जीवन
भारत में सैकड़ों ज़िले और मोहल्ले ऐसे बन चुके हैं जहाँ हिंदू अल्पसंख्यक और असुरक्षित हैं।
उदाहरण:
- कैरााना (उ.प्र.): जबरन वसूली, उत्पीड़न और हिंसा के चलते हिंदुओं का पलायन।
- मालदा व मुर्शिदाबाद (प.बं.): हिंदू कार्यकर्ताओं पर हमले, संपत्ति जलाना।
- असम सीमा ज़िले: बांग्लादेशी घुसपैठ से जनसांख्यिकीय बदलाव।
- केरल: हिंदू-ईसाई लड़कियों को उग्र इस्लामी नेटवर्क में फँसाना।
3. गुम हुई ढाल — हिंदू संगठन गहरी नींद में
आरएसएस, विश्व हिंदू परिषद, बजरंग दल, हिंदू युवा वाहिनी, अखाड़ा परिषद, शंकराचार्य और मंदिर ट्रस्ट के पास साधन होने के बावजूद एकजुट राष्ट्रीय रणनीति नहीं है।
- टूटा हुआ दृष्टिकोण: स्थानीय या प्रतीकात्मक मुद्दों पर ध्यान, राष्ट्रव्यापी खतरे पर नहीं।
- कार्यक्रम-केंद्रित: रैलियों और धार्मिक आयोजनों पर ऊर्जा खर्च, लेकिन फॉलो-अप की कमी।
- संतों की तटस्थता: कई गुरु राजनीति और विवाद से बचते हैं, प्रभाव या चंदे के नुकसान के डर से।
- मौके गँवाना: उत्पीड़न मामलों का राष्ट्रीय डेटाबेस या पीड़ितों के लिए कानूनी सहायता नेटवर्क नहीं।
4. जिहादी विस्तार का खाका
यह खतरा आकस्मिक नहीं — यह सुनियोजित और राजनीतिक-विदेशी समर्थन से पोषित है।
- लव जिहाद → जबरन धर्मांतरण से सांस्कृतिक और जनसांख्यिकीय गिरावट।
- जनसंख्या जिहाद → मुस्लिम बहुल इलाकों में अत्यधिक जन्मदर से जनसंख्या संतुलन बदलना।
- फूड जिहाद → मिलावटी और हानिकारक उत्पाद हिंदुओं को निशाना बनाकर।
- आर्थिक जिहाद → व्यापार क्षेत्रों पर कब्ज़ा कर हिंदुओं को आर्थिक रूप से कमजोर करना।
- लैंड जिहाद → हिंदू भूमि और पवित्र स्थलों पर धीरे-धीरे कब्ज़ा।
- राजनीतिक जिहाद → स्थानीय निकाय, नगरपालिकाएँ और अंततः संसद सीटों पर कब्ज़ा।
- त्योहारों पर रोक: पुलिस पक्षपात और भीड़ दबाव से हिंदू जुलूस, संगीत या सार्वजनिक पूजा पर रोक।
- धार्मिक उत्पीड़न: मंदिर तोड़फोड़, यज्ञ रोकना, पुजारियों को डराना।
5. पाकिस्तान से भी बदतर स्थिति क्यों
- पाकिस्तान में हिंदू एक मान्यता प्राप्त उत्पीड़ित अल्पसंख्यक हैं — वहाँ बराबरी का भ्रम नहीं है।
- भारत में हिंदुओं को यह सोचकर सुला दिया गया है कि वे सुरक्षित हैं, जबकि कई क्षेत्रों में वे लगभग बेघर जैसे हैं।
- दुश्मन ताकतों को अल्पसंख्यक अधिकारों का संवैधानिक संरक्षण प्राप्त है, जिसका दुरुपयोग बहुसंख्यक को कमजोर करने के लिए होता है।
6. तात्कालिक कार्ययोजना
- यदि हिंदू संगठन और समाज अब नहीं जागा, तो नुकसान अपूरणीय होगा।
तुरंत कदम:
- राष्ट्रीय हिंदू सुरक्षा मोर्चा का गठन, जिसमें सभी धार्मिक और राष्ट्रवादी संगठन हों।
कानूनी व राजनीतिक पलटवार:
- तुष्टिकरण नीतियों के खिलाफ कोर्ट में लड़ाई।
- देशभर में धर्मांतरण-रोधी कानून लागू करवाना।
- घुसपैठ-प्रभावित राज्यों में NRC लागू करना।
जमीनी स्तर पर बचाव:
- खतरे वाले क्षेत्रों के हिंदुओं की पहचान।
- पुनर्वास, कानूनी सहायता और आर्थिक सहयोग।
डिजिटल पलटवार:
- समन्वित pro-Hindu नेटवर्क बनाकर झूठ का पर्दाफाश।
- ऑनलाइन प्रभाव युद्ध के लिए स्वयंसेवकों को प्रशिक्षित करना।
सांस्कृतिक लामबंदी:
- हिंदुओं में जातिगत एकता बढ़ाना।
- मंदिरों और धार्मिक पर्वों को राजनीतिक हस्तक्षेप से मुक्त करना।
7. चेतावनी
यदि हमारी पीढ़ी ने सनातन धर्म को मात्र संग्रहालय की वस्तु बनने दिया और हमारे बच्चे अपनी ही भूमि में अजनबी बन गए, तो इतिहास हमें कभी माफ नहीं करेगा। कार्य का समय अब है — कल नहीं।
🇮🇳 जय भारत, वन्देमातरम 🇮🇳
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