क्या हिंदू चुपचाप खत्म होने की कसम खा चुके हैं?
इतिहास गवाह है कि हर बार जब भारत पर इस्लामी आक्रांताओं ने हमला किया, तब हार का सबसे बड़ा कारण था, हिंदुओं का बिखराव और आपसी विश्वासघात। इसलिए आज समय की सबसे बड़ी आवश्यकता है हिंदू एकता।
👉 कभी जयचंद जैसे गद्दारों ने दुश्मनों को बुलाया,
👉 कभी राजाओं के बीच की आपसी लड़ाई ने देश को टुकड़े-टुकड़े कर दिया।
आज भी हालात अलग नहीं हैं।
- विपक्षी दल, वामपंथी, लुटियन मीडिया और इस्लामी ताक़तें एकजुट होकर भारत को अस्थिर करने में जुटी हैं।
- वहीं हिंदू समाज बिखरा हुआ है। कोई साझा मंच नहीं, कोई रणनीति नहीं, कोई कार्ययोजना नहीं।
- अगर यह स्थिति जारी रही, तो हम अपनी आँखों के सामने भारत को जिहादी गुलामी की ओर जाता देखेंगे।
🔱 विरोधी ताक़तें क्यों सफल हैं और हम क्यों विफल?
1. विपक्ष और इस्लामी नेटवर्क की एकजुटता
- विपक्षी दलों के अलग-अलग चेहरे हैं, लेकिन रणनीति और लक्ष्य एक ही है — मोदी को हटाओ, भारत को अस्थिर करो, और वोट बैंक की राजनीति से सत्ता हथियाओ।
- इस्लामी देश, विदेशी NGOs और लुटियन मीडिया इन्हें फंड और नैरेटिव दोनों दे रहे हैं।
2. हिंदू समाज की विडंबना
- युवा वर्ग करियर और कमाई में उलझा हुआ है।
- मध्यवर्ग केवल परिवार और सुख-सुविधाओं तक सीमित है।
- प्रो–सनातन संगठन अपने अहंकार और छोटे-छोटे एजेंडों में बँटे हुए हैं।
- धार्मिक नेता केवल चंदा इकट्ठा करने और प्रवचन देने में लगे हुए हैं।
कोई भी समाज देश और धर्म की रक्षा की गंभीर तैयारी नहीं कर रहा है।
📜 इतिहास से सबक: गलतियों की पुनरावृत्ति
1947 का बँटवारा इसका सबसे बड़ा उदाहरण है।
- जिन्ना ने कहा कि हिंदू और मुस्लिम साथ नहीं रह सकते।
- लेकिन गांधी और नेहरू ने करोड़ों मुस्लिमों को भारत में रोक लिया ताकि कांग्रेस को हमेशा के लिए वोट बैंक मिल सके।
- हिंदू शरणार्थियों के लिए कोई ठोस योजना नहीं बनी। उनकी ज़मीनें और घर खाली कराए गए, लेकिन वे मुस्लिम समुदाय को ही वापस दे दिए गए।
- हिन्दू समाज की विडम्बना: हम चुपचाप सहते रहे।
👉 यही गलती आज भी हो रही है — मुस्लिम तुष्टीकरण जारी है और हिंदू अपने हे देश मैं अब भी दूसरे दर्जे के नागरिक की तरह ट्रीट किए जाते हैं।
💣 आज के खतरे: “डीप स्टेट ” और जिहादी तंत्र Deep State (विदेशी शक्तियाँ + NGOs + मीडिया) — भारत को रोकना चाहते हैं ताकि वह वैश्विक शक्ति न बने।
- जिहादी नेटवर्क — लगातार लव जिहाद, लैंड जिहाद, धर्मांतरण और जनसंख्या विस्फोट के ज़रिए धीरे-धीरे डेमोग्राफिक बदलाव ला रहे हैं।
- विपक्षी दल — इन सबका उपयोग कर रहे हैं सिर्फ़ एक एजेंडे के लिए: सत्ता पर कब्ज़ा, चाहे देश जल जाए।
⚔️ समाधान: हिंदू समाज की एकजुट कार्ययोजना
1. साझा मंच का निर्माण
सभी हिंदू संगठनों, संतों और राष्ट्रवादी नेताओं को एक राष्ट्रीय परिषद के अंतर्गत आना होगा।
2. एकजुट रणनीति
👉 विपक्ष की तरह हमें भी कॉमन स्ट्रैटेजी और एक्शन प्लान चाहिए।
👉 यह राजनीति, समाज, धर्म और डिजिटल युद्ध—हर स्तर पर होना चाहिए।
3. डिजिटल सेना का निर्माण
हर हिंदू युवा को सोशल मीडिया योद्धा बनना होगा। झूठे नैरेटिव का जवाब तथ्यों और सनातन दृष्टिकोण से देना होगा।
4. गाँव–कस्बों में जागरण मंडल
हर इलाके में हिंदू जागरण मंडल बनें, जो सामाजिक और धार्मिक जागरण के साथ-साथ आत्मरक्षा और संगठन का अभ्यास भी करें।
5. राजनीतिक एकजुटता
👉 हिंदू वोट किसी भी कीमत पर बँटना नहीं चाहिए।
👉 सिर्फ़ उन्हीं को समर्थन जो हिंदुत्व, राष्ट्र और शहीदों के सम्मान की रक्षा करें।
6. युवाओं को नेतृत्व देना
युवा शक्ति को करियर की दौड़ से निकालकर राष्ट्र रक्षा और समाज सेवा की धारा से जोड़ना होगा।
7. संतों और धार्मिक नेताओं की जवाबदेही
धर्मगुरुओं को केवल प्रवचन और दान से आगे बढ़कर समाज रक्षा और हिंदू एकता में निर्णायक भूमिका निभानी होगी।
8. आर्थिक योगदान
हर हिंदू अपनी कमाई का एक हिस्सा हिंदू जागरण और सुरक्षा अभियान में दे।
9. कानूनी नेटवर्क
लव जिहाद, लैंड जिहाद और धर्मांतरण जैसी चुनौतियों से निपटने के लिए हिंदू लॉ नेटवर्क का निर्माण हो।
10. आत्मरक्षा और तैयारी
सिर्फ़ विरोध और भाषण से कुछ नहीं होगा।
👉 समाज को आत्मरक्षा, प्रशिक्षण और सामूहिक सुरक्षा नेटवर्क खड़ा करना होगा।
🚩अब या कभी नहीं
इतिहास हमें सिखाता है कि जो समाज समय रहते नहीं जागता, वह मिट जाता है।
आज अगर हिंदू समाज एकजुट नहीं हुआ तो:
- आने वाली पीढ़ियाँ हमें गुनहगार कहेंगी।
- हमारी ही भूमि पर हमारी संताने गुलाम बनेंगी।
👉 चुनाव साफ़ है:
या तो हम आज उठें, एक हों और सनातन की रक्षा करें,
या फिर आने वाली पीढ़ियों के गुनहगार कहलाएँ।
🇮🇳जय भारत, वन्देमातरम 🇮
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