हिन्दू जागरण का महाआह्वान
हिन्दू जागरण का महाआह्वान एक प्रेरणादायी संदेश है जो समाज को एकता, साहस और संस्कृति की रक्षा के लिए संगठित होने का आह्वान करता है।
1. हमारी सबसे बड़ी कमजोरी — बंटा हुआ हिन्दू समाज
यह कटु सत्य है कि हम हिन्दू आज तक एकजुट नहीं हो पाए।
- जाति, वर्ण, भाषा, क्षेत्र, रीति-रिवाज और व्यक्तिगत स्वार्थ के नाम पर हम बार-बार बंटते रहे हैं।
- यही बिखराव हमारी ऐतिहासिक पराजयों का कारण रहा — चाहे वह मोहम्मद बिन कासिम का आक्रमण हो, महमूद गजनवी के 17 आक्रमण हों, बाबर की आक्रामकता हो या अंग्रेजों का शासन।
- इतिहास गवाह है — हर बार बाहरी ताकतें हमें इसलिए परास्त कर पाईं क्योंकि हम अंदर से बंटे हुए थे।
अगर अब भी हमने यह गलती दोहराई, तो यह बिखराव ही हमारे विनाश की अंतिम वजह बनेगा।
2. बहुमत में होते हुए भी कमजोर स्थिति
- आज हम हिन्दू इस देश में स्पष्ट बहुमत में हैं — संख्या के हिसाब से, ताकत के हिसाब से, और लोकतंत्र में सत्ता के अधिकार के हिसाब से।
- फिर भी हमारी राजनीतिक और सामाजिक स्थिति कमजोर क्यों है?
- इसका सबसे बड़ा कारण है कि लगभग एक–चौथाई हिन्दू गद्दार कांग्रेस और विपक्षी पार्टियों के साथ खड़े हैं।
- ये वही लोग हैं जो एंटी–हिन्दू और एंटी–नेशनल इकोसिस्टम का हिस्सा बनकर मुसलमानों की तुष्टिकरण की राजनीति में लगे हैं।
इनका एकमात्र एजेंडा है — मोदी जी को हटाना, हिंदुत्व को कमजोर करना, और अपने भ्रष्ट शासन को फिर से स्थापित करना।
3. विपक्ष–मुस्लिम गठबंधन की चाल
- भारत में मुस्लिम आबादी लगभग 25% है, लेकिन वे पूरी तरह संगठित और अनुशासित वोट बैंक की तरह काम करते हैं।
- चाहे चुनाव हो, सड़क पर आंदोलन हो, या सोशल मीडिया पर नैरेटिव सेट करना हो — वे हमेशा एक स्वर में, एक दिशा में, और एक नेतृत्व में खड़े रहते हैं।
- इस बार उन्होंने विपक्षी दलों के साथ खुला गठबंधन किया है, ताकि किसी भी कीमत पर मोदी सरकार को गिराया जा सके।
- इनके पीछे उनके मौलाना, मदरसा नेटवर्क, विदेशी इस्लामी संगठन, NGO और पेट्रो–डॉलर फंडिंग पूरी तरह सक्रिय है।
- यह सिर्फ राजनीति नहीं है — यह एक सुनियोजित जनसंख्या और वैचारिक युद्ध है, जिसका उद्देश्य भारत के लोकतांत्रिक ढांचे को अपने हित में मोड़ना है।
4. हिन्दू समाज की विडंबना
- दुख की बात यह है कि हिन्दू समाज आज भी बिखरा हुआ है।
- हमारे धार्मिक नेता, हिन्दुत्व संगठन, और प्रो–हिन्दुत्व राजनीतिक कार्यकर्ता भी अक्सर व्यक्तिगत अहंकार और संगठनगत प्रतिस्पर्धा में उलझे रहते हैं।
- BJP और NDA, जो एकमात्र प्रो-हिन्दुत्व सरकार है, को भी इस संकट से निपटने के लिए 100% समर्थन नहीं मिल रहा।
- यह हमारी लड़ाई को और कठिन बना देता है, और दुश्मन को मजबूत।
5. अब भी समय है — जागो हिन्दुओं जागो!
हमें जाति, भाषा और क्षेत्र के बंधनों को तोड़ना होगा। हिन्दू जागरण का समय आ गया है — जब हिन्दू समाज को एक ही झंडे तले, एक ही नारे के साथ और एक ही लक्ष्य के लिए खड़ा होना होगा — धर्म, संस्कृति और राष्ट्र की रक्षा।
यह सिर्फ चुनावी राजनीति नहीं है, बल्कि हमारे अस्तित्व की लड़ाई है।
अगर आज हम एकजुट होकर कदम नहीं उठाएंगे, तो आने वाले समय में न हमारा घर बचेगा, न हमारा देश, न हमारा धर्म।
याद रखो — संख्या में हम बहुसंख्यक हैं, लेकिन बंटे तो हमेशा हारेंगे। संगठित हुए तो कोई ताकत हमें हरा नहीं सकती।
🇮🇳जय भारत, वन्देमातरम 🇮
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