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सनातन के खिलाफ साजिशें

हिंदुओं की आंखें कब खुलेंगी? सनातन के खिलाफ साजिशें तेज़ हो गई हैं!

आज के दौर में सनातन के खिलाफ साजिशें तेज़ हो गई हैं! धर्म, संस्कृति और परंपराओं को कमजोर करने के प्रयास लगातार बढ़ रहे हैं। ऐसे माहौल में एक बड़ा सवाल सामने आता है—हिंदुओं की आंखें कब खुलेंगी? अब वक्त आ गया है कि हम अपनी जड़ों को पहचानें, जागरूक बनें और सनातन की रक्षा के लिए एकजुट हों।

कैसे सनातन धर्म के खिलाफ साजिशें तेज़ी से बढ़ रही हैं

1. एक डिजिटल युद्ध चल रहा है और हम उसमें हार रहे हैं

कांग्रेस की विचारधारा, कट्टरपंथी इस्लामी ताकतें, और विदेशी फंडिंग वाले समूह आज एक संगठित सूचना युद्ध (Information War) चला रहे हैं।

  • सोशल मीडिया पर झूठ फैलाना,
  • इतिहास को तोड़-मरोड़ कर प्रस्तुत करना,
  • “धर्मनिरपेक्षता” और “समानता” जैसे शब्दों का गलत उपयोग करना,
  • और हिंदुओं को उनके ही देश में अपराधी बनाकर पेश करना — यही उनका एजेंडा है।

परिणाम? आज की युवा पीढ़ी गुमराह है, शर्मिंदा है, और अपनी सनातन संस्कृति से कटती जा रही है।

2. तथाकथित सेक्युलरिज़्मसिर्फ तब तक है जब तक हिंदू बहुमत में है

सभी धर्म बराबर हैं, भारत सेक्युलर है, और हिंदूमुस्लिम भाईभाई — ये सब बातें सिर्फ इसलिए जीवित हैं क्योंकि आज भी हिंदू बहुमत और सत्ता में हैं।

जिस दिन यह बहुमत खत्म हुआ — इन बातों की असलियत खुल जाएगी।

  • याद करो कश्मीर
  • याद करो डायरेक्ट एक्शन डे (1946)
  • याद करो भारत विभाजन के दंगे
  • और आज का बांग्लादेश, पाकिस्तान, और पश्चिम बंगाल देखो।

वहाँ कहां है सेक्युलरिज़्म?
कहां है धार्मिक समानता?
कहां है मानवता?

जब ये ताकतें हावी होती हैं, तब तुम्हारे पास सिर्फ तीन विकल्प होते हैं: इस्लाम कबूल करो, भागो, या मरो। यह कोई नफरत नहीं, यह इतिहास का नग्न सत्य है।

3. हमारे पास एक राष्ट्रवादी सरकार है लेकिन हम उसका साथ नहीं दे रहे

मोदी जी की सरकार ने:

  • मंदिरों को मुक्त किया,
  • गरीब हिंदुओं को सशक्त किया,
  • धार्मिक संतुलन लाने का प्रयास किया,
  • और हिंदू संस्कृति को पुनर्जीवित किया

लेकिन अफ़सोस —
झूठ बोलने वाले 10 गुना तेज़ हैं,
हम सच्चाई के साथ खड़े होने में शर्माते हैं।

  • हम आपस में लड़ते हैं — RSS vs. BJP,
  • इस गुरु vs. उस गुरु,
  • जात-पात, भाषा, क्षेत्रवाद।

हमें न कोई राष्ट्रव्यापी डिजिटल सेना है,
न कोई संयुक्त हिन्दू मीडिया,
न कोई राष्ट्र धर्म रक्षा का ठोस कार्ययोजना।

4. हिंदुत्व संगठनों में सामूहिकता नहीं, सिर्फ अहंकार है

हज़ारों हिंदू संगठन आज काम कर रहे हैं —
धार्मिक, सामाजिक, राजनीतिक, सांस्कृतिक।

लेकिन:

  • सब अपनेअपने एजेंडे में व्यस्त हैं,
  • कोई राष्ट्रीय स्तर की एकजुटता नहीं,
  • कोई साझा रणनीति नहीं,
  • कोई राष्ट्रीय मंच नहीं

हमारे संतों और आध्यात्मिक नेताओं के करोड़ों अनुयायी हैं,
लेकिन कोई संयुक्त आह्वान नहीं होता,
कोई साझा मंच नहीं बनता

5. शिक्षित हिंदू सबसे बड़ा धोखा तुमने ही दिया है

तुमने IIT, IIM, विदेशों में पढ़ाई की, धन, प्रतिष्ठा कमाई —
लेकिन राष्ट्र और धर्म से जुड़ाव नहीं रखा।

तुम:

  • हिंदुओं की हत्या पर चुप रहते हो,
  • राष्ट्रवादी विचारों से कतराते हो,
  • और अपने आराम को देशसेवा से ऊपर रखते हो।

क्या तुम तब जागोगे जब तुम्हारी बेटियों को उठा लिया जाएगा?
जब तुम्हारे मंदिर जला दिए जाएंगे?
जब तुम्हारी गीता पर पाबंदी लगेगी? यह सब पाकिस्तान और बांग्लादेश में हो चुका है।
अब भारत में शुरू हो चुका है — देखो पश्चिम बंगाल को।

6. अगर अब भी एकजुट नहीं हुए तो सनातन को बचाने के लिए कोई नहीं बचेगा

  • वे लोग 100 वर्षों की योजना पर काम कर रहे हैं,
  • हम अगले चुनाव की सोच में ही फंसे हैं।

यदि यही चलता रहा:

  • हिंदू अल्पसंख्यक हो जाएंगे,
  • न्यायालयों में भेदभाव बढ़ेगा,
  • मंदिरों का सरकारी नियंत्रण जारी रहेगा,
  • और भारत का वैचारिक चरित्र बदल जाएगा।

फिर न मंदिर बचेगा, न साधु, न गीता, न गऊ, न सनातन।

देश बचेगा तो धर्म बचेगा” – अब समय है निर्णय का

  • सभी हिंदू संगठनों को एक मंच पर लाओ,
  • सभी संतों और धर्माचार्यों से आग्रह करो कि वे एक साथ खड़े हों,
  • हर झूठ का डिजिटल उत्तर दो, हर दुष्प्रचार को बेनकाब करो,
  • राष्ट्रवादी सरकार का समर्थन करो वोट से, आवाज़ से, आत्मबल से,
  • भटके हुए हिंदू युवाओं को जागरूक करो इतिहास, धर्म और देश के लिए।

**क्योंकि अगर अब चूक गए, तो इतिहास हमें कायर और मूर्ख पीढ़ी कहेगा

जो अपनी आंखों के सामने सनातन को मरता हुआ देखती रही।**

🇮🇳जय भारत, वन्देमातरम 🇮🇳

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