- भारत एक चौराहे पर खड़ा है। सदियों से आक्रमण, षड्यंत्र और सांस्कृतिक आघात सहते-सहते हिंदू समाज ऐसी स्थिति में पहुँच गया है, जहाँ आध्यात्मिक सहिष्णुता को कमजोरी समझ लिया गया है। मोदी युग में इस समाज की नई दिशा और पुनर्निर्माण के प्रयास महत्वपूर्ण साबित हो रहे हैं।
- आज का सच यह है कि हिंदू अपने ही देश में अपमान, षड्यंत्र और ऱणनीतिक घेराबंदी का शिकार है।
- लेकिन यह भी उतना ही सच है कि आज मोदी युग में भारत ने बहुत कुछ बदला है। जहाँ पहले गद्दारों, आतंकियों और जिहादियों को संरक्षण मिलता था, अब उन्हें सज़ा मिल रही है। फर्क यही है—जंगलराज बनाम राष्ट्रवाद।
1. वास्तविक समस्याएँ — हिंदू समाज का संकट
जनसांख्यिकीय बदलाव और अवैध घुसपैठ
- बंगाल, असम, दिल्ली, मुंबई और कई तटीय राज्यों में अवैध बांग्लादेशी और रोहिंग्या घुसपैठियों ने बसावट कर ली है।
- ये केवल बसे नहीं, बल्कि राजनीति, व्यवसाय और अपराध पर पकड़ बनाने लगे हैं।
- भविष्य में यह इलाक़े हिंदू बहुल से अल्पसंख्यक क्षेत्र बन सकते हैं।
सांस्कृतिक और धार्मिक अपमान
- हिंदू देवी-देवताओं का कार्टून, फिल्म या मंच पर अपमान करना आम हो चुका है।
- वहीं, इस्लाम या ईसाई धर्म पर सवाल उठाने की हिम्मत कोई नहीं करता।
- अदालतों और संस्थानों में भी कई बार हिंदू प्रतीकों की उपेक्षा हुई है।
नतीजा: “हिंदू धर्म का अपमान करना आसान है, क्योंकि हिंदू समाज चुप रहता है।”
वोट-बैंक राजनीति और तुष्टिकरण
- कांग्रेस और सहयोगी दलों ने दशकों तक मुस्लिम तुष्टिकरण किया।
- आतंकवादियों के प्रति नरमी, अलगाववादियों को संरक्षण और “फ्री कश्मीर” जैसी विचारधाराओं का समर्थन हुआ।
- वोट और सत्ता की भूख में राष्ट्रहित की बलि चढ़ाई गई।
लव जिहाद और धर्मांतरण
- सुनियोजित तरीके से हिंदू बेटियों को फँसाकर या गरीब परिवारों को लालच देकर धर्म परिवर्तन कराया जा रहा है।
- दक्षिण भारत, उत्तर-पूर्व और झारखंड-छत्तीसगढ़ जैसे राज्यों में मिशनरी और कट्टरपंथी दोनों सक्रिय हैं।
- धीरे-धीरे गाँव और मोहल्ले अपनी पहचान खोते जा रहे हैं।
शिक्षा और इतिहास का संकट
- स्कूलों में विकृत इतिहास पढ़ाया गया—जहाँ आक्रमणकारी “वीर” और हिंदू नायक “कट्टर” बताए गए।
- नई पीढ़ी अपने ही धर्म से कटती गई और “सेक्युलरिज्म” का मतलब केवल हिंदुओं के लिए सहिष्णुता बन गया।
- आने वाली पीढ़ी अगर इसी सोच के साथ बड़ी हुई तो भारत अपनी आत्मा खो देगा।
हिंदू संगठनों की विफलता और विखराव
- संघ, विहिप, बजरंग दल, हिंदू युवा वाहिनी जैसे संगठनों के लाखों कार्यकर्ता हैं, लेकिन एकजुट रणनीति की कमी है।
- गौ-हत्या, धर्मांतरण, त्योहारों पर रोक — इन मुद्दों पर ठोस कदम उठाने की क्षमता सीमित रही है।
नतीजा: दुश्मन निडर होकर हिंदू धर्म का अपमान करता और साजिशें करता है।
हिंदू समाज की चुप्पी
- सबसे बड़ा संकट—चुप्पी और सहनशीलता।
- लोग भंडारे, योग शिविर, दान-दक्षिणा में लगे रहते हैं, लेकिन आत्मरक्षा और प्रतिकार की तैयारी नहीं करते।
- यही कारण है कि विरोधी निडर हो गए हैं।
2. मोदी युग बनाम कांग्रेस का जंगलराज
कांग्रेस का जंगलराज (1947–2014):
- आतंकवादियों को जेल से छोड़ना “सद्भावना” का कदम माना गया।
- तुष्टिकरण की राजनीति में हिंदुओं की आस्थाओं को रौंदा गया।
- विदेशी फाउंडेशन और NGO को भारत की नीतियों पर हावी होने दिया गया।
- संसद और अदालतों तक में हिंदू प्रतीकों का अपमान हुआ।
मोदी युग (2014–2025):
- पाकिस्तान को करारा जवाब: सर्जिकल स्ट्राइक, एयर स्ट्राइक।
- कश्मीर से 370 हटाकर एक राष्ट्र, एक विधान का सपना पूरा।
- आतंकवादियों, जिहादियों और गद्दारों को संरक्षण नहीं, बल्कि दंड मिलता है।
- विश्व मंच पर भारत की छवि मज़बूत हुई।
- फिर भी, समाज के भीतर के रोग — लव जिहाद, धर्मांतरण, सांस्कृतिक अपमान — अभी भी जारी हैं।
3. अब आगे क्या करना होगा?
आत्मरक्षा और जागरूकता
- केवल दान-दक्षिणा, पूजा-पाठ, भक्ति या भंडारे से काम नहीं चलेगा।
- हिंदू युवाओं को पढ़ाई, टेक्नोलॉजी, और रणनीतिक सोच के साथ आत्मरक्षा और प्रतिकार की तैयारी करनी होगी।
सामाजिक एकजुटता
- सभी हिंदू संगठन चाहे छोटे हों या बड़े, आपसी मतभेद भुलाकर एक मंच पर आने चाहिए।
- एक संगठित आवाज़ ही विरोधी को डराती है।
शिक्षा सुधार
- स्कूलों में सच्चा इतिहास और धर्म-शिक्षा पढ़ाई जाए।
- नई पीढ़ी को धर्म, संस्कृति और राष्ट्र के प्रति गर्व सिखाया जाए।
राजनीतिक और कानूनी दबाव
- हिंदुओं को संगठित वोट देना चाहिए ताकि तुष्टिकरण राजनीति को खत्म किया जा सके।
- गौ-हत्या, धर्मांतरण और सांस्कृतिक अपमान पर कठोर कानून बनने चाहिए।
मानसिकता का बदलाव
- केवल “अहिंसा और सहिष्णुता” काफी नहीं है, बल्कि धर्म और राष्ट्र की रक्षा के लिए प्रतिकार और साहस भी ज़रूरी है।
- भय ही विरोधी को रोकता है — “भय बिनु होय न प्रीत।”
यह मोदी युग है, कांग्रेस का जंगलराज नहीं। अब गद्दारों और जिहादियों को दंड मिलता है। लेकिन सरकार अकेली सब कुछ नहीं कर सकती।
- हिंदू समाज को अपनी चुप्पी तोड़नी होगी और सरकार को राजनीतिक और सामाजिक स्तर पर पूरा सहयोग देना होगा।
- संगठनों को केवल भीड़ नहीं, बल्कि दमदार कार्यनीति बनानी होगी।
- हर हिंदू को केवल “भक्त” नहीं, बल्कि रक्षक और कर्मठ सैनिक बनना होगा।
अगर समय रहते हिंदू जागे नहीं, तो आने वाली पीढ़ियाँ हमें दोष देंगी कि हमने धर्म और राष्ट्र की रक्षा के लिए कुछ नहीं किया।
🇮🇳जय भारत, वन्देमातरम 🇮
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