भारत की आत्मा सनातन धर्म में बसती है, लेकिन आज इसकी रक्षा एक बड़ी चुनौती बन चुकी है। संख्याबल के बावजूद हिंदू क्यों जीत नहीं पा रहे हैं? इसका उत्तर सनातन धर्म की रक्षा में हमारी एकता और रणनीति की कमी में छिपा है।
1. कटु सत्य: केवल बहुसंख्या से युद्ध नहीं जीते जाते — रणनीति और एकता से जीत होती है
- भारत एक हिंदू बहुल देश है — लेकिन एक असंगठित और दिशाहीन बहुलता।
- हमारे पास लाखों मंदिर हैं, लेकिन कोई एकजुट मोर्चा नहीं है।
- हमारे पास हज़ारों संस्थाएं हैं, लेकिन आपसी समन्वय नहीं है।
- हमारे पास देशभक्त नेता, संत, संस्थान और योद्धा हैं, लेकिन साझा रणनीति नहीं है।
यही है सबसे बड़ा कारण कि आज, बहुसंख्यक होने के बावजूद हिंदू समाज को हिंसा, दमन, जनसंख्या असंतुलन, सांस्कृतिक अपमान और राजनीतिक हाशिए का सामना करना पड़ रहा है।
2. हमारा पक्ष: बिखरा हुआ, आत्ममग्न, अहंकार में डूबा
हर संगठन — भाजपा, आरएसएस, विश्व हिंदू परिषद, अखाड़े, मंदिर, मठ, संत, अधिवक्ता और राष्ट्रवादी बुद्धिजीवी — अपने स्तर पर अच्छा कार्य कर रहे हैं।
लेकिन सबका प्रयास अलग-अलग दिशा में है।
- कोई नियमित संवाद नहीं है।
- कोई साझा एक्शन प्लान नहीं है।
- कोई सामूहिक रणनीति, मीडिया योजना या विधिक मोर्चा नहीं है।
- सबसे दुखद बात — कोई भावनात्मक और वैचारिक एकता नहीं है।
हर कोई नेतृत्व करना चाहता है, कोई एकजुटता नहीं चाहता।
अहंकार सनातन धर्म को नष्ट कर रहा है।
3. दुश्मन पक्ष: एकजुट, योजनाबद्ध, विध्वंस के लिए समर्पित
विपक्षी पार्टियाँ, कट्टरपंथी मुस्लिम संगठन, धर्मांतरण एजेंसियाँ, कम्युनिस्ट और वैश्विक भारत विरोधी ताकतें — सब पूरी तरह से संगठित हैं।
- उनका एकमात्र लक्ष्य है: सनातन धर्म का खात्मा और भारत को इस्लामी राष्ट्र बनाना।
- उनके पास सहयोगी तंत्र, फंडिंग, मीडिया, सोशल मीडिया, लीगल सपोर्ट और ग्राउंड नेटवर्क है।
- आपसी मतभेद होते हुए भी, जब हिंदू और मोदी पर वार करना होता है, तो ये सभी एक मंच पर आ जाते हैं।
इसलिए वे प्रगति कर रहे हैं — भले ही संख्या में कम हों, नैतिकता में कमजोर हों।
4. समय की पुकार: एकजुट धर्म मोर्चा बने
आज की सबसे बड़ी जरूरत है कि:
- सभी हिंदुत्व और राष्ट्रवादी संगठन मिलकर एक साझा ‘धर्म रक्षा समन्वय मंच’ बनाएं, राष्ट्रीय और राज्य स्तर पर।
- नियमित रणनीति बैठकें, सूचना साझा करना, मीडिया प्रबंधन, और युवाओं का प्रशिक्षण एक ही मंच से किया जाए।
- संत, महंत और धार्मिक गुरु विरोधाभासी बयान देना बंद करें और एकजुट आध्यात्मिक नेतृत्व दें।
- व्यक्तिगत लाभ से ऊपर उठकर सामूहिक उद्देश्य को प्राथमिकता दें।
- प्रत्येक संगठन अपनी भूमिका स्पष्ट रूप से समझे, और दूसरों के प्रयासों को पूरक सहयोग दे, प्रतिस्पर्धा न करे।
5. सरकार का साथ दें जो आपके लिए लड़ रही है
- मोदी सरकार ही वर्तमान में एकमात्र शक्ति है जो पिछले 70 वर्षों से बने देशविरोधी, हिंदूविरोधी तंत्र को तोड़ने की हिम्मत दिखा रही है।
- तीन तलाक पर रोक, CAA, मंदिरों की रक्षा, धर्मांतरण के खिलाफ कार्रवाई — ये सभी कदम साहसी हैं और समय लेते हैं।
- यह सरकार देश के भीतर और बाहर दोनों जगह से भारी विरोध झेल रही है।
- फिर भी कई हिंदू अधीर होकर आलोचना करते हैं।
समझिए: यह केवल एक पार्टी का समर्थन नहीं है। यह संपूर्ण सनातन संस्कृति की रक्षा का अंतिम मोर्चा है।
6. अगर अब नहीं जागे, तो क्या होगा?
- अगर हमने अभी भी:
- एकता नहीं दिखाई,
- रणनीति नहीं बनाई,
- मोदी सरकार और एक-दूसरे का समर्थन नहीं किया,
तो हम अपनी ही चुप्पी और बिखराव से भारत के इस्लामीकरण का रास्ता साफ करेंगे, जैसा कि:
- पाकिस्तान में हुआ, जहाँ हिंदुओं को केवल तीन विकल्प मिले: धर्म बदलो, भागो, या मरो।
- बांग्लादेश में हुआ, जहाँ हिंदू महिलाओं का बलात्कार हुआ, पुरुषों की हत्या, और जिंदा लोगों को जलाया गया।
- पश्चिम बंगाल में हो रहा है, जहाँ सरकार और प्रशासन जिहादियों के साथ खड़ा है।
7. याद रखो: पहले देश बचेगा, तभी धर्म बचेगा
केवल तब ही सनातन धर्म बचेगा, जब भारत एक हिंदू राष्ट्र के रूप में बचेगा।
- अब समय है — हम सबका एक सामूहिक जागरण:
- देश पहले, धर्म बाद में, स्वयं सबसे अंत में।
- एकता पहले, अहंकार के लिए कोई स्थान नहीं
- रणनीति और अनुशासन पहले, उत्सव बाद में।
आइए, हम एक संगठित, समन्वित और धर्मनिष्ठ शक्तिबनाएं जो राजनीतिक, सांस्कृतिक, विधिक, डिजिटल और आध्यात्मिक सभी मोर्चों पर सनातन भारत की रक्षा कर सके।
🇮🇳जय भारत, वन्देमातरम 🇮🇳
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