यह समय सिर्फ सोचने या प्रतीक्षा करने का नहीं है — यह समय है जागने, समझने और कर्म करने का। सनातन धर्म पर लगातार वैचारिक, सांस्कृतिक और सामाजिक हमले हो रहे हैं। ऐसे में हर सनातनी को यह समझना होगा कि धर्म की रक्षा अब केवल संतों और विद्वानों की जिम्मेदारी नहीं, बल्कि हर हिंदू का कर्तव्य है। धर्मयुद्ध का अर्थ केवल हथियार उठाना नहीं, बल्कि अपने धर्म, संस्कृति और अस्तित्व की रक्षा के लिए हर स्तर पर जागरूक और संगठित होना है।
क्या आप जानते हैं?
- 40 लाख एकड़ ज़मीन,
- 565 हिंदू रियासतें,
- 43 ऐतिहासिक किले,
- 18,700 छोटे–बड़े दुर्ग,
इन सभी को राजपूतों और राष्ट्रवादी हिंदू शासकों ने भारत माता की सेवा में समर्पित कर दिया था।
पर क्या आज इनका उपयोग राष्ट्रहित में हो रहा है?
नहीं! आज इन पर मालिकाना हक है मुस्लिम वक्फ बोर्ड का — वो भी कांग्रेस की कृपा से। यह केवल ज़मीन पर कब्ज़ा नहीं था — यह हिन्दू इतिहास, संस्कृति और अस्तित्व पर एक सुनियोजित हमला था।
कांग्रेस ने सत्ता में रहते हुए क्या किया?
पाकिस्तान बनाया — मुस्लिमों के लिए।
बांग्लादेश बनवाया — मुस्लिमों के लिए।
धारा 370 लागू की — मुस्लिमों को विशेषाधिकार देने के लिए।
मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड, अल्पसंख्यक मंत्रालय, मुस्लिम विश्वविद्यालय — सब कांग्रेस के शासन में बने।
हिंदुओं को मिला क्या? — सिर्फ आरक्षण और जातिवादी विभाजन।
तो क्या ये भारत की आत्मा को नष्ट करने की तैयारी नहीं थी?
क्या ये सब भारत को इस्लामिक स्टेट में बदलने की योजनाएँ नहीं थीं?
नेहरू से लेकर कांग्रेस के आज तक के नेता — क्यों हिंदू विरोधी रहे?
- मोरारजी देसाई ने अपनी आत्मकथा में लिखा:
“मुझे समझ नहीं आता कि नेहरू को हिन्दुत्व से इतनी नफ़रत क्यों थी।”
- सरदार पटेल ने नेहरू को चेतावनी दी थी कि अगर हिंदू कोड बिल लाया गया तो वे सरकार से इस्तीफा दे देंगे।
नेहरू डर गए, और पटेल की मृत्यु के बाद ही वह बिल पास करवाया गया।
आचार्य कृपलानी ने साफ कहा:
- “नेहरू सिर्फ दिखावे के लिए जनेऊ पहनते हैं। अगर सच में धर्मनिरपेक्ष होते तो कॉमन सिविल कोड लाते।”
अब ज़हर साफ़ करने का काम हो रहा है — लेकिन लड़ाई अभी अधूरी है।
मोदी जी और हमारी सेना वैश्विक स्तर पर इन ज़हरीले तंत्रों का सफाया कर रहे हैं —
पर देश के भीतर कांग्रेस, वामपंथी, जेहादी, नक्सली, मिशनरी और वक्फ माफिया जैसे हजारों ज़हरीले साँप अब भी सक्रिय हैं।
यहाँ अब आपकी, हमारी और हर राष्ट्रभक्त हिंदू की ज़िम्मेदारी शुरू होती है।
हमें करना होगा — “शस्त्र” और “शास्त्र” से सुसज्जित धर्मयुद्ध की तैयारी।
- यह युद्ध केवल सरकार या सेना का नहीं है।
- अगर वे सब एक साथ हमला करें — तो हमें संख्या में, रणनीति में, और साहस में मजबूत होना होगा।
- हमें पुलिस और प्रशासन के साथ खड़े होना होगा — क्योंकि ये लड़ाई अंदर के गद्दारों से है, जो हमारे बीच रहकर हमारी जड़ों को काट रहे हैं।
हम हिंसक नहीं हैं — लेकिन अधर्म के खिलाफ युद्ध हमारा धर्म है।
गीता में श्रीकृष्ण ने कहा:
“जब धर्म की हानि और अधर्म की वृद्धि होती है, तब मैं स्वयं अवतार लेता हूं।“
महाभारत केवल एक युद्ध नहीं था, वह था अधर्म के खिलाफ धर्म की स्थापना का संकल्प।
आज का भारत कलियुग का कुरुक्षेत्र बन चुका है —
लेकिन इस बार अर्जुन कोई एक योद्धा नहीं, आप, हम, और हर राष्ट्रप्रेमी हिंदू अर्जुन है।
अब क्या करना होगा?
- अपने घर, मोहल्ले, गांव, शहर में जागरूकता अभियान चलाएं।
- स्वयं को आत्मरक्षा, रणनीति, डिजिटल सुरक्षा और राष्ट्रभक्ति से पूरित करें।
- जब समय आए, तो पुलिस–प्रशासन के साथ मिलकर राष्ट्रद्रोही ताकतों का विरोध करें।
- धर्म और देश की रक्षा के लिए हर बलिदान देने को तैयार रहें।
यही सनातन धर्म है। यही गीता का उपदेश है। यही हमारा कर्तव्य है।
सनातन धर्म केवल एक आस्था नहीं, बल्कि एक जीवनशैली, एक सभ्यता और एक शाश्वत सत्य है। इसकी रक्षा करना आज हर हिंदू का नैतिक और सामाजिक दायित्व है। यह धर्मयुद्ध बाहरी लड़ाई से कहीं अधिक, आंतरिक जागृति, एकता, और आत्मबल की परीक्षा है। यदि हम आज भी मौन रहे, तो आने वाली पीढ़ियों को हमारा मूल्य चुकाना होगा। इसलिए अब समय है – जागें, जुड़ें और सनातन की रक्षा के लिए संगठित होकर आगे बढ़ें।
भारत माता की जय! जय हिन्दुत्व!
जय सनातन! वंदे मातरम्!
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