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हिंदुओं और हमारे देश को बचाने के लिए हमें क्या करना होगा: एक विनम्र निवेदन

समय आ गया है कि इस देश के सभी हिन्दू धर्म और हिन्दू राष्ट्र को समर्पित सभी लोग एकजुट होकर निम्न प्रयास करें। हमारा सामूहिक प्रयास ही हमारी रक्षा कर सकता है। अन्यथा जैसे आजकल के हालत हैं वैसा ही चलता रहा तो ये विपक्षी और विधर्मी लोग हमारा दमन करते रहेंगे और अंततः अपनी एकता और एकजुट प्रयास के कारण इस देश तो एक मुस्लिम राष्ट्र बनाने मैं सफल हो जाएंगे और हमारा भी वही अंजाम होगा जो पाकिस्तान और बांग्लादेश मैं हिंदुओं का हुआ है। इसलिए आप सबका सामूहिक सहयोग अत्यंत आवश्यक है।

  1. सदस्यता का राष्ट्रीय स्तर पर विस्तार:
    हमारा पहला और सबसे महत्वपूर्ण कदम सदस्यता आधार को राष्ट्रीय स्तर पर बढ़ाना होगा। हमें उन लोगों को जोड़ना है जो हमारे उद्देश्यों से सहमत हैं और पूरे देश में फैले हुए हैं। हमें मौजूदा सदस्यों को प्रेरित करना होगा कि वे अपने व्यक्तिगत संपर्कों, स्थानीय समूहों और समुदायों के भीतर राष्ट्र हिंदू बोर्ड के संदेश को फैलाएं। हर सदस्य को संगठन का एक सक्रिय प्रतिनिधि बनना चाहिए, ताकि हमारे विचार और उद्देश्य भारत के हर कोने तक पहुँच सकें। इसके लिए, हम सोशल मीडिया और अन्य डिजिटल प्लेटफार्मों का अधिकतम उपयोग करेंगे और इसे जमीनी स्तर तक विस्तारित करने के लिए कार्यशालाओं, सम्मेलनों, और जनसभाओं का आयोजन करेंगे। हमारा उद्देश्य एक मजबूत और संगठित राष्ट्रीय नेटवर्क बनाना है जो हिंदुत्व, राष्ट्रवाद और भारत के लोकतांत्रिक मूल्यों की रक्षा के लिए समर्पित हो।
  2. मीडिया के साथ सक्रिय सहयोग:
    मीडिया को अपने पक्ष में करना आज की राजनीति और सामाजिक जागरूकता के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। हमें प्रमुख मीडिया हाउस, संपादक, पत्रकार, और डिजिटल चैनलों के साथ संबंध स्थापित करने होंगे ताकि हमारे संदेश को व्यापक रूप से प्रसारित किया जा सके। यह सुनिश्चित करना होगा कि हमारे मुद्दों को सही तरीके से प्रस्तुत किया जाए और हिंदुओं के सामने आने वाली चुनौतियों को जनता के समक्ष स्पष्ट रूप से रखा जाए। मीडिया के साथ हमारा सक्रिय संवाद राष्ट्र हिंदू बोर्ड की विश्वसनीयता को बढ़ाएगा और हमारे अभियानों को राष्ट्रीय स्तर पर व्यापक समर्थन मिलेगा। हमें अपने दृष्टिकोण और नीतियों को प्रमुख समाचार पत्रों, टेलीविजन चैनलों और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स के माध्यम से आम जनमानस तक पहुँचाना होगा।
  3. समान उद्देश्यों वाले संगठनों के साथ सहयोग:
    देशभर में कई संगठन और कार्यकर्ता हिंदू हितों की रक्षा के लिए काम कर रहे हैं, लेकिन वे अलग-अलग दिशाओं में बंटे हुए हैं। राष्ट्र हिंदू बोर्ड का उद्देश्य इन सभी को एक साझा मंच पर एकजुट करना है। हमें समान विचारधारा वाले संगठनों और व्यक्तियों को जोड़कर एक सशक्त गठबंधन बनाना होगा। इसके लिए, हम 20-30 या उससे अधिक समर्पित समूहों और व्यक्तियों को एक छत्र तले लाकर मिलकर काम करेंगे। यह संयुक्त प्रयास हमारे मिशन को और अधिक प्रभावी और व्यापक बनाएगा। जब हिंदू संगठनों के बीच एकता होगी, तभी हम अपने समुदाय के हितों की रक्षा कर पाएंगे और अपने लक्ष्यों को साकार कर सकेंगे।
  4. हिंदू धार्मिक नेताओं और संतों का समर्थन प्राप्त करना:
    धार्मिक नेता, संत, और उपदेशक समाज में विशेष स्थान रखते हैं और उनकी आवाज़ का बहुत बड़ा प्रभाव होता है। हमें हिंदू धर्म के प्रमुख धार्मिक व्यक्तित्वों और आध्यात्मिक गुरुओं से जुड़ना होगा और उन्हें हमारे आंदोलन का हिस्सा बनाना होगा। हमें उन्हें इस बात के लिए प्रेरित करना होगा कि वे हिंदू समाज को अधिक संगठित और जागरूक बनाएं। साथ ही, 90% से अधिक हिंदुओं को एकजुट होकर मतदान करने के लिए प्रेरित करें ताकि बीजेपी/एनडीए जैसे प्र-हिंदू, प्र-राष्ट्रवादी समूहों को समर्थन मिले। हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि हिंदू वोट विभाजित न हो और एकजुट होकर राष्ट्र के विकास और धर्म की रक्षा के लिए सही दिशा में डाला जाए। इस समय मुस्लिम मतदाता विपक्ष के पक्ष में संगठित हैं, और हमें हिंदू समाज को इसी तरह संगठित करने की आवश्यकता है।
  5. आर्थिक बहिष्कार की रणनीति:
    हमारे समाज की सुरक्षा और आर्थिक शक्ति को बनाए रखने के लिए यह अत्यंत आवश्यक है कि हम जिहादी विचारधारा से प्रभावित व्यवसायों का आर्थिक बहिष्कार करें। कई मुस्लिम व्यवसाय खुदरा और सेवा क्षेत्रों में प्रमुखता से स्थापित हैं। यदि हम उनके उत्पादों और सेवाओं का उपयोग नहीं करेंगे, तो उनकी आर्थिक शक्ति को कम कर सकते हैं। भले ही हमें इसके लिए थोड़ा अधिक खर्च करना पड़े, यह हमारे अस्तित्व और धर्म की रक्षा के लिए एक छोटा बलिदान है। मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, कुछ कट्टरपंथी तत्व जानबूझकर अस्वच्छ और हानिकारक सामग्री का उपयोग कर रहे हैं, जो हिंदुओं को नुकसान पहुँचा सकती हैं। ऐसे में आर्थिक बहिष्कार एक कारगर उपाय हो सकता है।
  6. जिहादी रणनीतियों के प्रति सतर्कता:
    जिहादी ताकतों से सुरक्षा का एक महत्वपूर्ण पहलू है सतर्कता। हमें जिहादी विचारधारा द्वारा अपनाई जाने वाली योजनाओं को समझना होगा और उनके खिलाफ तैयार रहना होगा। इस्लामिक कट्टरपंथी बहुविवाह, अवैध पलायन और लव जिहाद जैसे तरीकों का उपयोग कर अपनी जनसंख्या और प्रभाव को बढ़ा रहे हैं। यह न केवल भारत बल्कि पूरी दुनिया में देखा जा रहा है। हमें इस स्थिति से निपटने के लिए सतर्क रहना होगा और अपने समुदाय को संगठित और सुरक्षित रखना होगा।
  7. आत्मरक्षा के लिए तैयारी:
    आत्मरक्षा हिंदू समाज की सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण है। हर हिंदू परिवार को न केवल आध्यात्मिक रूप से बल्कि भौतिक रूप से भी सशक्त होना चाहिए। हमें शास्त्र (ज्ञान) और शस्त्र (हथियार) दोनों में निपुण होना होगा। इतिहास ने हमें सिखाया है कि संकट के समय में केवल शक्तिशाली ही जीवित रहता है। हमें आत्मरक्षा के लिए तैयार रहना होगा, ताकि किसी भी प्रकार की हिंसा या आपातकालीन स्थिति का सामना कर सकें।
  8. मोदी सरकार का पूर्ण समर्थन:
    मोदी जी और उनकी टीम भारत और हिंदू समाज के भविष्य के लिए पूरी तरह समर्पित हैं। यदि हिंदू समाज इस समय मोदी सरकार का पूर्ण समर्थन नहीं करता, तो विपक्ष और मुस्लिम कट्टरपंथी भारत को अस्थिर करने में सफल हो सकते हैं। यह समय है जब हम अपने धर्म और राष्ट्र के भविष्य की रक्षा के लिए एकजुट होकर खड़े हों और भाजपा/एनडीए सरकार को पूर्ण समर्थन दें।
    निष्कर्ष:
    समय की मांग है कि हम एकजुट हों, अपने धर्म, राष्ट्र, और भविष्य की रक्षा के लिए अभी कदम उठाएं। स्वामी विवेकानंद ने कहा था, “उठो, जागो और तब तक मत रुको जब तक लक्ष्य प्राप्त न हो जाए।” अब हमें उसी भावना से प्रेरित होकर कार्य करना होगा। हमारे सामूहिक प्रयास से ही हिंदुत्व और भारत की रक्षा हो सकेगी।
    जय हिंद! जय भारत!

यहां कुछ उदाहरण और केस स्टडी दिए गए हैं जो हिंदू एकता, संगठनात्मक प्रयासों, और सामुदायिक रक्षा के महत्व को स्पष्ट करते हैं:

  1. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) की संगठन शक्ति:
    राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) एक ऐसा संगठन है जो हिंदू समाज को संगठित और सशक्त बनाने के उद्देश्य से काम कर रहा है। 1925 में इसकी स्थापना के बाद से, RSS ने हिंदू समाज के विभिन्न वर्गों को जोड़ने और एक सशक्त मोर्चा बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। देशभर में संघ के लाखों स्वयंसेवक गांवों से लेकर शहरों तक फैले हुए हैं। संघ की ताकत इसी में है कि उन्होंने स्थानीय स्तर पर स्वयंसेवकों के माध्यम से जमीनी स्तर पर सामाजिक, धार्मिक और सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया है, जिसने हिंदू समाज को जागरूक और एकजुट किया है।
    उदाहरण:

1992 का राम जन्मभूमि आंदोलन, जिसने हिंदू समाज को राष्ट्रीय स्तर पर संगठित किया और अंततः सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाए।
RSS द्वारा किए गए सेवा कार्य, जैसे प्राकृतिक आपदाओं के समय राहत कार्य, जिससे समाज में संघ की सकारात्मक छवि बनी और हिंदू समाज में संघ की भूमिका को और अधिक मजबूत किया।

  1. 2014 और 2019 लोकसभा चुनाव में हिंदू एकजुटता का प्रभाव:
    2014 और 2019 के लोकसभा चुनावों में हिंदू समाज की एकजुटता और सही दिशा में मतदान ने भाजपा को बहुमत दिलाया। नरेंद्र मोदी की अगुवाई में बीजेपी ने हिंदू समाज को सुरक्षा, विकास और स्वाभिमान का प्रतीक बना कर प्रस्तुत किया। इस चुनाव के दौरान हिंदू मतदाताओं का एकजुट होना विपक्षी दलों की हार का एक प्रमुख कारण था, क्योंकि मुस्लिम मतदाता संगठित होकर एक पक्ष में जा रहे थे।
    उदाहरण:

2014 और 2019 में भाजपा की जीत ने विपक्षी दलों को झकझोर दिया और यह स्पष्ट कर दिया कि यदि हिंदू मतदाता संगठित हो जाएं, तो वे चुनाव परिणाम को निर्णायक रूप से प्रभावित कर सकते हैं।

  1. हिंदू धार्मिक गुरुओं द्वारा समाज में एकता का आह्वान:
    साधु-संत और धार्मिक गुरुओं का हिंदू समाज पर गहरा प्रभाव है। कई धार्मिक गुरुओं ने समय-समय पर हिंदू समाज को संगठित रहने और अपने धर्म की रक्षा के लिए एकजुट होकर कार्य करने का संदेश दिया है।
    उदाहरण:

शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती जैसे संतों ने हिंदू समाज को जागरूक और सक्रिय होने का आह्वान किया, विशेष रूप से राम मंदिर निर्माण के दौरान।
साध्वी ऋतंभरा और योगी आदित्यनाथ जैसे धार्मिक और राजनीतिक नेताओं ने भी हिंदू एकजुटता को मजबूत करने के लिए अपने भाषणों और आयोजनों का सहारा लिया, जिससे हिंदू समाज एकजुट हुआ।

  1. केरल के सबरीमाला मंदिर आंदोलन (2018):
    केरल के सबरीमाला मंदिर में महिलाओं के प्रवेश को लेकर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद हिंदू समाज में व्यापक विरोध देखने को मिला। इस आंदोलन में हिंदू संगठनों ने मिलकर विरोध प्रदर्शन किए, जिसमें आम जनता से लेकर विभिन्न धार्मिक और सामाजिक संगठनों ने हिस्सा लिया।
    केस स्टडी:

लाखों भक्तों और हिंदू संगठनों ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले के विरोध में व्यापक प्रदर्शन किए। यह आंदोलन इस बात का उदाहरण है कि जब हिंदू समाज अपनी धार्मिक परंपराओं और मान्यताओं के लिए संगठित होता है, तो वह बड़ा आंदोलन खड़ा कर सकता है।
हालांकि यह आंदोलन सफल नहीं हुआ, परंतु इसने दिखाया कि धार्मिक मुद्दों पर हिंदू एकजुटता को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।

  1. बांग्लादेश और पाकिस्तान में हिंदुओं का उत्पीड़न:
    बांग्लादेश और पाकिस्तान में हिंदुओं के साथ हो रहे अत्याचार और उनके साथ हो रही हिंसा, भारत के हिंदू समाज के लिए एक चेतावनी है। दोनों देशों में हिंदुओं की संख्या लगातार कम हो रही है, और उन्हें कई बार धर्मांतरण, अपहरण, और बलात्कार जैसी घटनाओं का सामना करना पड़ता है।
    केस स्टडी:

पाकिस्तान में रिंकू कुमारी जैसी कई हिंदू लड़कियों का जबरन धर्मांतरण करवा कर उनकी मुस्लिम पुरुषों से शादी करवाई गई। यह घटनाएं दिखाती हैं कि इन देशों में हिंदुओं की स्थिति कितनी गंभीर है।
बांग्लादेश में 2021 के दुर्गा पूजा के दौरान हिंदू मंदिरों पर हमले और हिंदू समुदाय के खिलाफ हिंसा की घटनाएं हिंदू समाज के लिए गंभीर खतरे का संकेत हैं। ऐसे में भारत के हिंदुओं को एकजुट होकर अपने धर्म की सुरक्षा के लिए संगठित होना बहुत महत्वपूर्ण है।

  1. गुजरात दंगों के बाद सामाजिक सामंजस्य:
    गुजरात दंगों के बाद हिंदू और मुस्लिम समुदाय के बीच तनाव था, लेकिन राज्य सरकार और हिंदू संगठनों ने मिलकर शांति और सामंजस्य बनाए रखने के प्रयास किए। इसके परिणामस्वरूप राज्य में विकास और सामाजिक समरसता को बल मिला।
    उदाहरण:

मोदी सरकार ने राज्य में विभिन्न विकास योजनाओं को लागू कर गुजरात को देश का अग्रणी राज्य बना दिया। इस प्रयास से राज्य में हिंदू समाज के बीच सुरक्षा और विश्वास की भावना बढ़ी, जिससे हिंदू एकजुटता को बल मिला।

  1. आर्थिक बहिष्कार का प्रभाव:
    कुछ राज्यों और समुदायों में हिंदू समाज ने आर्थिक बहिष्कार की रणनीति अपनाई, जहां मुस्लिम व्यवसायों का बहिष्कार करके हिंदू व्यापारी और व्यापार को प्राथमिकता दी गई।
    केस स्टडी:

उत्तर प्रदेश के कई क्षेत्रों में हिंदू संगठनों ने जिहादी विचारधारा के प्रति संवेदनशील व्यवसायों का बहिष्कार किया। इससे इन व्यवसायों पर आर्थिक दबाव पड़ा और हिंदू व्यापारियों को लाभ हुआ।

  1. स्वामी विवेकानंद का आदर्श:
    स्वामी विवेकानंद ने हिंदू समाज के जागरण का आह्वान किया था और उन्होंने कहा था कि संगठित हिंदू समाज ही अपने धर्म और राष्ट्र की रक्षा कर सकता है। उनके भाषणों और विचारों ने हिंदू समाज को अपने धर्म और संस्कृति के प्रति जागरूक और आत्मनिर्भर बनने की प्रेरणा दी।
    उदाहरण:

विवेकानंद के विचारों से प्रेरित होकर आज भी हिंदू समाज का एक बड़ा हिस्सा अपने धर्म और संस्कृति को पुनःस्थापित करने के प्रयासों में लगा हुआ है।
निष्कर्ष: ये सभी उदाहरण और केस स्टडी यह दर्शाते हैं कि जब हिंदू समाज एकजुट होता है और संगठित होकर कार्य करता है, तो वह अपने धर्म, संस्कृति और राष्ट्र की रक्षा कर सकता है। हिंदू समाज की सुरक्षा, एकता और संगठन इस समय की मांग है। हमें मिलकर एक सशक्त और संगठित हिंदू समाज का निर्माण करना होगा, ताकि भविष्य में हमारे धर्म और राष्ट्र पर कोई खतरा न हो।

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