भारत में हिंदुओं की स्थिति: कछुआ, चूहा, और बिच्छू की कहानी” एक प्रतीकात्मक दृष्टिकोण है, जो हमें भारतीय समाज में हिंदू समुदाय के संघर्षों और चुनौतियों को समझने का अवसर प्रदान करता है। यह कहानी कछुए, चूहे और बिच्छू के माध्यम से सामाजिक और राजनीतिक परिप्रेक्ष्य में उत्पन्न होने वाली समस्याओं को उजागर करती है। जैसे कछुआ, चूहा और बिच्छू अपने अस्तित्व के लिए संघर्ष करते हैं, वैसे ही हिंदू समुदाय भी कई प्रकार की चुनौतियों और दबावों का सामना कर रहा है। इस कहानी के माध्यम से हम यह समझने की कोशिश करेंगे कि कैसे समाज और राजनीति में बदलते हुए हालात हिंदू समुदाय की स्थिति को प्रभावित कर रहे हैं और इसे कैसे संभाला जा सकता है।
एक नदी में बाढ़ आई। एक छोटे से टापू में पानी भर गया। वहाँ रहने वाला सीधा-साधा चूहा अपनी मददगार प्रवृत्ति के कारण कछुए से सहायता मांगता है –
“मित्र! क्या तुम मुझे नदी पार करा सकते हो? मेरा बिल पानी से भर गया है।”
कछुआ दयालु था, उसने चूहे को अपनी पीठ पर बैठा लिया। तभी एक बिच्छू बिल से बाहर निकला और आग्रह किया –
“मुझे भी पार जाना है, मुझे भी ले चलो!”
चूहा सतर्क था। उसने कछुए से कहा –
“मत बिठाओ इसे, यह जहरीला है। यह मुझे काट लेगा!”
लेकिन बिच्छू ने प्रेमपूर्वक विनम्रता से आश्वासन दिया,
“भाई, कसम खाकर कहता हूँ, मैं तुम्हें नहीं काटूंगा। मुझे भी ले चलो।”
कछुआ मानवता से विवश होकर चूहे और बिच्छू दोनों को लेकर नदी पार करने लगा।
लेकिन बीच रास्ते में, बिच्छू ने चूहे को डंक मार दिया!
चूहा दर्द से तड़पते हुए कछुए से बोला –
“मित्र! इसने मुझे काट लिया, अब मैं नहीं बचूँगा!”
थोड़ी देर बाद बिच्छू ने कछुए को भी डंक मार दिया।
कछुआ दर्द में चिल्लाया –
“मैंने तो तुम्हारी मदद की थी, तुम्हें शरण दी थी, फिर तुमने मुझे क्यों काटा?”
बिच्छू हंसते हुए उतर गया और बोला –
“मूर्ख! तुमने यह नहीं समझा कि मेरा मजहब ही डंक मारना है। हम उसी को डसते हैं, जो हमें शरण देता है। हमारा इतिहास उठाकर देखो – जिसने भी हमें शरण दी, हमने उसी के देश को खंडहर बना दिया।”
“गलती तुम्हारी है, जो तुमने मुझ पर और मेरी जहरीली कौम पर विश्वास किया। हमें सुधरने की जरूरत नहीं है, क्योंकि हमारी नस्ल, परवरिश, मजहब और शिक्षा – सबकुछ ज़हरीला है!”
एक नदी में बाढ़ आई। एक छोटे से टापू में पानी भर गया। वहाँ रहने वाला सीधा–साधा चूहा अपनी मददगार प्रवृत्ति के कारण कछुए से सहायता मांगता है –
“मित्र! क्या तुम मुझे नदी पार करा सकते हो? मेरा बिल पानी से भर गया है।”
कछुआ दयालु था, उसने चूहे को अपनी पीठ पर बैठा लिया। तभी एक बिच्छू बिल से बाहर निकला और आग्रह किया –
“मुझे भी पार जाना है, मुझे भी ले चलो!”
चूहा सतर्क था। उसने कछुए से कहा –
“मत बिठाओ इसे, यह जहरीला है। यह मुझे काट लेगा!”
लेकिन बिच्छू ने प्रेमपूर्वक विनम्रता से आश्वासन दिया,
“भाई, कसम खाकर कहता हूँ, मैं तुम्हें नहीं काटूंगा। मुझे भी ले चलो।”
कछुआ मानवता से विवश होकर चूहे और बिच्छू दोनों को लेकर नदी पार करने लगा।
लेकिन बीच रास्ते में, बिच्छू ने चूहे को डंक मार दिया!
चूहा दर्द से तड़पते हुए कछुए से बोला –
“मित्र! इसने मुझे काट लिया, अब मैं नहीं बचूँगा!”
थोड़ी देर बाद बिच्छू ने कछुए को भी डंक मार दिया।
कछुआ दर्द में चिल्लाया –
“मैंने तो तुम्हारी मदद की थी, तुम्हें शरण दी थी, फिर तुमने मुझे क्यों काटा?”
बिच्छू हंसते हुए उतर गया और बोला –
“मूर्ख! तुमने यह नहीं समझा कि मेरा मजहब ही डंक मारना है। हम उसी को डसते हैं, जो हमें शरण देता है। हमारा इतिहास उठाकर देखो – जिसने भी हमें शरण दी, हमने उसी के देश को खंडहर बना दिया।”
“गलती तुम्हारी है, जो तुमने मुझ पर और मेरी जहरीली कौम पर विश्वास किया। हमें सुधरने की जरूरत नहीं है, क्योंकि हमारी नस्ल, परवरिश, मजहब और शिक्षा – सबकुछ ज़हरीला है!”
🚩 अब भी समय है – हिंदू एकजुट हो जाएं! 🚩
✅ अपने धर्म और राष्ट्र की रक्षा के लिए जागरूक बनो।
✅ जाति, भाषा और संप्रदाय के झगड़े छोड़कर पहले हिंदू बनो।
✅ हिंदू संस्कृति और सनातन धर्म को अपनाओ और अगली पीढ़ी को इसकी शिक्षा दो।
✅ हिंदू एकता को कमजोर करने वाले नेताओं और संगठनों को पहचानो और उन्हें उखाड़ फेंको।
✅ विपक्षी दलों के हिंदू-विरोधी एजेंडे को समझो और उन्हें सत्ता से दूर करो।
✅ BJP और हिंदू राष्ट्रवादी सरकारों को समर्थन दो, ताकि सनातन धर्म सुरक्षित रहे।
✅ संगठित रहो, अपने धर्म और राष्ट्र की रक्षा के लिए एक योद्धा बनो।
भारत में हिंदुओं की स्थिति आज कई सामाजिक और राजनीतिक चुनौतियों का सामना कर रही है। समय के साथ, हिंदू समुदाय को अपनी धार्मिक, सांस्कृतिक पहचान और अस्तित्व की रक्षा के लिए अनेक संघर्षों से गुजरना पड़ रहा है। देश में बढ़ते हुए सामाजिक असंतुलन, जनसंख्या परिवर्तन और धार्मिक तनाव ने हिंदुओं की स्थिति को और अधिक जटिल बना दिया है। इस बदलती हुई परिस्थिति में, यह जरूरी है कि हम इस मुद्दे पर गहराई से सोचें और समाधान की दिशा में कदम उठाएँ।
अब भी अगर हिंदू नहीं जागा, तो वह दिन दूर नहीं जब वह अपने ही देश में
अल्पसंख्यक बनकर, अपने ही अस्तित्व की भीख मांगेगा।
🚩 “संघर्ष अभी बाकी है, हिंदू राष्ट्र का निर्माण अभी बाकी है!” 🚩
🚩 हर हर महादेव! जय श्री राम! जय सनातन धर्म! 🚩
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