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इस्लामी जिहाद, आतंकवाद, और राजनीतिक प्रभुत्व से बचाव

विभिन्न देशों द्वारा अपनाई गई रणनीतियाँ
दुनिया भर में, कई देशों ने इस्लामी कट्टरपंथ और आतंकवाद का सामना किया है, जो न केवल सामाजिक व्यवस्था को बाधित करने का प्रयास करते हैं बल्कि राजनीतिक प्रभुत्व भी स्थापित करना चाहते हैं, अक्सर शरिया कानून को लागू करने के दीर्घकालिक उद्देश्य के साथ। इसके जवाब में, देशों ने इन खतरों का मुकाबला करने के लिए सुरक्षा उपायों, कानूनी ढांचे, सामाजिक नीतियों और अंतरराष्ट्रीय सहयोग का सहारा लिया है।

  1. संयुक्त राज्य अमेरिका: घरेलू सुरक्षा और आतंकवाद विरोधी प्रयास
    संयुक्त राज्य अमेरिका ने कई जिहादी हमलों का सामना किया है, जिनमें सबसे प्रसिद्ध है 9/11 का हमला। इसके बाद, अमेरिका ने कई सख्त कदम उठाए:

पैट्रियट एक्ट: यह कानून 9/11 के बाद पारित हुआ, जिससे आतंकवादी गतिविधियों की निगरानी और खुफिया जानकारी जुटाने की क्षमता बढ़ गई।
होमलैंड सिक्योरिटी विभाग (DHS): 2002 में स्थापित यह विभाग विभिन्न एजेंसियों के बीच समन्वय कर घरेलू आतंकवाद को रोकता है।
हिंसक अतिवाद का मुकाबला (CVE) कार्यक्रम: ये कार्यक्रम व्यक्तियों को कट्टरपंथ से बाहर निकालने, सामुदायिक जागरूकता बढ़ाने और आतंकवादी समूहों से भर्ती रोकने पर ध्यान केंद्रित करते हैं।
यात्रा प्रतिबंध: आतंकवादी खतरों वाले देशों से आगमन को रोकने के लिए यात्रा प्रतिबंध लगाए गए हैं।

  1. भारत: आतंकवाद विरोधी कानून और सैन्य कार्रवाइयाँ
    भारत, खासकर कश्मीर जैसे क्षेत्रों में इस्लामी कट्टरपंथ का सामना कर रहा है और उसने कई प्रमुख कदम उठाए हैं:

गैरकानूनी गतिविधियाँ (रोकथाम) अधिनियम (UAPA): यह कानून सुरक्षा बलों को आतंकवादी गतिविधियों में शामिल लोगों को पकड़ने और अभियोजन की शक्तियाँ देता है।
राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA): यह विशेष आतंकवाद विरोधी एजेंसी आतंकवाद और उग्रवाद से जुड़े मामलों को संभालती है।
कश्मीर में सैन्य ऑपरेशन: भारत ने ऑपरेशन ऑल आउट जैसे अभियान चलाए हैं ताकि जैश-ए-मोहम्मद और लश्कर-ए-तैयबा जैसे आतंकवादी समूहों को समाप्त किया जा सके।
निगरानी और खुफिया जानकारी एकत्रित करना: भारत ने ऑनलाइन कट्टरपंथ की निगरानी सहित खुफिया प्रयासों को बढ़ाया है।
डि-रेडिकलाइजेशन कार्यक्रम: सरकार ने सामुदायिक नेताओं के साथ मिलकर कमजोर क्षेत्रों के युवाओं के लिए डि-रेडिकलाइजेशन कार्यक्रम चलाए हैं।

  1. यूरोपीय संघ: एकीकरण नीतियाँ और सुरक्षा उपाय
    यूरोप ने कई जिहादी गतिविधियों का सामना किया है, जिनमें 2015 के पेरिस हमले, 2016 के ब्रसेल्स बम धमाके, और 2017 का मैनचेस्टर अरीना हमला शामिल हैं। जवाब में, यूरोपीय देशों ने कड़े कदम उठाए हैं:

कट्टरपंथ-विरोधी कार्यक्रम: फ्रांस और जर्मनी ने जेलों, स्कूलों और ऑनलाइन स्पेस में कट्टरपंथ के खिलाफ कार्यक्रम शुरू किए हैं।
कड़े सीमा नियंत्रण: यूरोपीय संघ ने बाहरी सीमाओं को मजबूत किया है और संघर्ष क्षेत्रों से आने वाले प्रवासियों की जांच बढ़ाई है।
आतंकवाद विरोधी कानून: फ्रांस के आतंकवाद विरोधी कानून सरकार को संदिग्धों की खोज, हिरासत और निगरानी की व्यापक शक्तियाँ देते हैं।
विदेशी वित्त पोषण पर प्रतिबंध: कई यूरोपीय देशों ने मस्जिदों के लिए विदेशी वित्त पोषण पर प्रतिबंध लगाया है।
कट्टरपंथी इमामों का निर्वासन: फ्रांस और ऑस्ट्रिया ने हिंसा भड़काने वाले कट्टरपंथी इस्लामी मौलवियों को निर्वासित किया है।

  1. चीन: शिनजियांग में कठोर उपाय
    चीन ने शिनजियांग क्षेत्र में उइगुर मुस्लिम आबादी के बीच अलगाववादी और जिहादी आंदोलनों का सामना किया है:

विस्तृत निगरानी: चीन ने एक व्यापक निगरानी नेटवर्क स्थापित किया है जो चेहरे की पहचान, फोन ट्रैकिंग और एआई का उपयोग करता है।
पुनःशिक्षा शिविर: चीनी सरकार ने उइगुर मुस्लिमों के लिए “व्यावसायिक प्रशिक्षण केंद्र” स्थापित किए हैं, जिनमें राजनीतिक विचारधारा थोपने की प्रक्रिया चलती है।
इस्लामी प्रथाओं पर प्रतिबंध: सरकार ने रमजान के दौरान उपवास और पारंपरिक इस्लामी पोशाक पर सख्त प्रतिबंध लगाए हैं।

  1. रूस: सैन्य और खुफिया प्रतिक्रिया
    रूस ने विशेष रूप से उत्तर काकेशस क्षेत्र (चेचन्या, दागिस्तान) में इस्लामी चरमपंथ का मुकाबला किया है:

विशेष ऑपरेशन: रूसी सरकार चेचन्या में जिहादी गुटों को खत्म करने के लिए विशेष बलों और सैन्य ऑपरेशनों का उपयोग करती है।
सख्त आतंकवाद विरोधी कानून: रूस ने ऐसे कानून पारित किए हैं जो सुरक्षा एजेंसियों को संदिग्धों की निगरानी, हिरासत और अभियोजन की व्यापक शक्तियाँ देते हैं।
मुस्लिम मौलवियों के साथ साझेदारी: रूसी सरकार कट्टरपंथी विचारधाराओं का मुकाबला करने और शांतिपूर्ण इस्लामिक दृष्टिकोण को बढ़ावा देने के लिए मुस्लिम नेताओं के साथ सहयोग करती है।

  1. मध्य पूर्वी देश: आंतरिक सुधार और जिहाद विरोधी अभियान
    कई मध्य पूर्वी देशों ने आतंकवाद और कट्टरपंथ से निपटने के लिए सुधारात्मक कदम उठाए हैं:

सऊदी अरब: सरकार ने विजन 2030 जैसे सुधार शुरू किए हैं, जिससे कट्टरपंथी मौलवियों का प्रभाव कम किया जा सके और इस्लाम के एक अधिक उदार रूप को बढ़ावा दिया जा सके।
मिस्र: मिस्र सरकार ने मुस्लिम ब्रदरहुड पर कड़ी कार्रवाई की है और इसे आतंकवादी संगठन घोषित किया है।
संयुक्त अरब अमीरात (UAE): UAE ने हेदाया केंद्र स्थापित किया है, जो हिंसक अतिवाद से निपटने के लिए एक अंतरराष्ट्रीय केंद्र है।

  1. ऑस्ट्रेलिया और न्यूज़ीलैंड: समुदाय जागरूकता और कानूनी कदम
    इन देशों ने जिहादी खतरों के बढ़ते प्रभाव को देखते हुए कई ठोस कदम उठाए हैं:

राष्ट्रीय सुरक्षा कानून: ऑस्ट्रेलिया ने अपने कानूनों को सख्त बनाया है ताकि संदिग्धों को बिना आरोप के हिरासत में रखा जा सके।
समुदाय जागरूकता कार्यक्रम: दोनों देशों ने मुस्लिम समुदायों के साथ कार्यक्रम शुरू किए हैं ताकि कट्टरपंथी विचारधाराओं का मुकाबला किया जा सके।

  1. इज़राइल: खुफिया और पूर्व-हमला रणनीति
    इज़राइल को हमेशा से हमास और हिजबुल्लाह जैसे जिहादी गुटों से खतरा रहा है:

आयरन डोम रक्षा प्रणाली: यह उन्नत मिसाइल रक्षा प्रणाली जिहादी समूहों के रॉकेट हमलों से सुरक्षा प्रदान करती है।
पूर्व-हमला नीति: इज़राइल आतंकवादी नेताओं और बुनियादी ढांचे पर लक्षित हमले करता है।
खुफिया और जानकारी साझा करना: इज़राइल की खुफिया एजेंसियाँ मोसाद और शिन बेट अंतरराष्ट्रीय सहयोग के माध्यम से आतंकवादी हमलों को नाकाम करती हैं।

निष्कर्ष

इस्लामी जिहाद, आतंकवाद और राजनीतिक प्रभुत्व का खतरा दुनिया भर के देशों के लिए एक बड़ी चुनौती है। इस समस्या से निपटने के लिए अंतरराष्ट्रीय सहयोग, मजबूत कानूनी ढांचे, समुदाय की भागीदारी और इस्लाम की उदार व्याख्या को बढ़ावा देना आवश्यक है

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