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इटावा कांड भगवा के नाम पर सबसे बड़ा धोखा

इटावा कांड: जब आस्था के मंच पर खेला गया धोखे का खेल

इटावा कांड कोई साधारण धोखा नहीं था। यह एक सुनियोजित प्रयास था जिसमें भगवा वस्त्र पहनकर सनातन धर्म और ब्राह्मण परंपरा को बदनाम करने की कोशिश की गई।

🔍 1. सनातन धर्म की छवि को ध्वस्त करने की सुनियोजित योजना

यह केवल दो लोगों की व्यक्तिगत धोखाधड़ी नहीं थी—बल्कि एक प्रशिक्षित रणनीति का हिस्सा लगती है जिसमें ऐसे लोग भगवा पहनकर, ब्राह्मण बनकर सनातन धर्म के मंचों पर आकर जानबूझकर अपमानजनक आचरण करते हैं ताकि लोगों की श्रद्धा टूटे और सनातन की छवि को धक्का पहुंचे।

👉 हिंदू कथा मंच पर अशुद्ध मंत्र, अश्लील भाषा और शराब सेवन जैसे कृत्य करवा कर लोगों को यह दिखाने की कोशिश कि ब्राह्मणों, संतों और सनातन से कोई नैतिकता नहीं बची है।

🧠 2. मूल विचारधारा—नवबौद्ध और वामपंथी घुसपैठ

  • मुकुटमणि पूर्व नवबौद्ध था—जो बाबा साहेब के नाम पर ब्राह्मणों और सनातन के प्रति घृणा फैलाने वाली विचारधारा से प्रभावित था।
  • यही विचारधारा अक्सर “ब्राह्मणवाद हटाओ”, “मनुस्मृति जलाओ” जैसे आंदोलन चलाकर सनातन को कमजोर करने की कोशिश करती है।
  • लेकिन अब लड़ाई सड़कों से हटकर मंदिरों और कथा मंचों तक आ चुकी है—जहां ये लोग छद्म ब्राह्मण बनकर घुसते हैं और भीतर से तोड़ते हैं।

📢 3. मीडिया की सलेक्टिव रिपोर्टिंग: हिंदू विरोध का उदाहरण

  • घटना के बाद वायरल वीडियो में केवल संत राम यादव का चेहरा दिखाया गया ताकि जातिगत ध्रुवीकरण हो और पूरे “ब्राह्मण” या “पंडित” समाज को शर्मिंदा किया जा सके।
  • लेकिन मुकुटमणि जाटव, जो असली मास्टरमाइंड था और नवबौद्ध पृष्ठभूमि से था, उसे मीडिया ने जानबूझकर गायब कर दिया।

👉 यह वामपंथी-मुस्लिम-नक्सली गठबंधन की मीडिया रणनीति है — “हिंदू को ही बदनाम करो, असली साजिशकर्ता को छिपा लो।”

🔐 4. फर्जी पहचान का औजार: आधार कार्ड का दुरुपयोग

  • इन फर्जी साधुओं ने नकली आधार कार्ड बनवाकर अपनी जाति और नाम बदल लिए ताकि जांच में न पकड़े जाएं।
  • आज यही तरीका “Love Jihad”, “Land Jihad” और “Madrasa Conversion” में भी इस्तेमाल हो रहा है।
  • सनातन को तोड़ने और गुमराह करने के लिए फर्जी पहचान एक शक्तिशाली हथियार बन गया है।

⚠️ 5. भावनात्मक ब्लैकमेल और लोकल आयोजकों को गुमराह करना

  • गांवों में पांडित्य ज्ञान कम होता है, और लोग कथा, हवन आदि में संतों के ज्ञान पर सवाल नहीं करते।
  • इन लोगों ने इस भोलेपन का फायदा उठाया।
  • “गोत्र कौन?”, *“कुल कौन?”, *“आचार्य परंपरा?”, “विद्या कहां से ली?”—ऐसे सवाल करने की संस्कृति नहीं रही।
  • लेकिन दादरपुर में ऐसा हुआ और इससे इनकी पोल खुल गई।

🧱 6. क्या करें समाज के सजग लोग? समाधान और सुझाव

👉स्थानीय स्तर पर प्रमाणन और शास्त्रीय संवाद को बढ़ाएं
– गांवों में धार्मिक आयोजनों में केवल सत्यापित पुरोहितों को बुलाया जाए
– कथा मंचों पर गोत्र, कुल, शिक्षा, परंपरा की जानकारी आयोजकों को होनी चाहिए

👉सनातन की रक्षा सिर्फ पोशाक से नहीं, पहचान और पद्धति से होती है
– भगवा पहन लेने से कोई संत नहीं होता
– अग्निहोत्र या हवन के नाम पर दुकान चलाने वालों की पहचान करनी होगी

👉धर्म और जाति को weaponize करना बंद करें
– कोई ब्राह्मण होने से अच्छा नहीं, और कोई गैर-ब्राह्मण होने से बुरा नहीं
– विचार, चरित्र और ज्ञान ही असली धर्म का मापदंड है

यह मामला सिर्फ दो फर्जी लोगों की साजिश नहीं है। यह एक संगठित वैचारिक, सामाजिक और धार्मिक युद्ध का हिस्सा है। अब सनातन धर्म को भीतर से तोड़ने के प्रयास कथा मंचों और पूजा आयोजनों तक पहुँच चुके हैं।

हमें सजग रहना होगा, संगठित होना होगा, और सत्य को पहचानना होगा।
“वर्ण नहीं, कर्म को पहचानो”—यही असली सनातन है।

🕉 जय सनातन धर्म • जय भारत • जागो हिंदू समाज

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