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इतिहास की सबसे बड़ी भूल

इतिहास की सबसे बड़ी भूल और आज का सबक

इतिहास की बड़ी भूल

इतिहास की सबसे बड़ी भूल भारत के स्वतंत्रता संग्राम के बाद हुई कुछ निर्णायक गलतियों में छिपी है, जिन्होंने देश की दिशा और भविष्य को प्रभावित किया। गांधीजी की ज़िद और नेहरू की ताजपोशी ने ऐसे नीतिगत फैसले जन्म दिए, जिनका असर हिंदू समाज और राष्ट्रीय राजनीति पर आज भी महसूस किया जाता है। इस ब्लॉग में हम इसी इतिहास की सबसे बड़ी भूल और उससे मिलने वाला सबक समझेंगे।

1. प्रधानमंत्री की कुर्सी और गांधीजी की जिद

भारत के स्वतंत्रता संघर्ष का सबसे बड़ा दुर्भाग्य यह रहा कि आज़ादी के बाद प्रधानमंत्री का चुनाव लोकतांत्रिक ढंग से नहीं हुआ।

जब कांग्रेस पार्टी के भीतर मतदान कराया गया, तो सरदार वल्लभभाई पटेल को 14 मत मिले और जवाहरलाल नेहरू को एक भी मत नहीं मिला।
यह साफ संकेत था कि कांग्रेस के अधिकांश नेता पटेल के राष्ट्रवादी, निर्णायक और व्यावहारिक नेतृत्व पर भरोसा करते थे।

लेकिन यहाँ इतिहास ने करवट ली। गांधीजी ने स्पष्ट कहा कि यदि नेहरू प्रधानमंत्री नहीं बने तो वे अनशन पर बैठ जाएंगे।
गांधीजी की इस ज़िद ने पटेल जैसे महान नेता को पीछे हटने पर मजबूर कर दिया।
परिणामस्वरूप नेहरू प्रधानमंत्री बने।

यह निर्णय भारत के इतिहास की सबसे बड़ी भूल साबित हुआ।
यदि पटेल प्रधानमंत्री होते तो देश का चरित्र, दिशा और भविष्य पूरी तरह अलग होता।

2. मुस्लिम तुष्टिकरण की नींव

नेहरू के प्रधानमंत्री बनते ही मुस्लिम तुष्टिकरण की राजनीति की नींव रखी गई।

  • पाकिस्तान बनने के बावजूद लाखों मुसलमानों को भारत में रोका गया ताकि वे कांग्रेस का स्थायी वोट-बैंक बन सकें।
  • वक्फ बोर्ड जैसी संस्थाओं को शक्ति दी गई जबकि हिंदुओं के हक और मंदिरों की संपत्ति राज्य नियंत्रण में ले ली गई।
  • शिक्षा व्यवस्था से हिंदू संस्कृति और अध्यात्म को हटाकर पश्चिमीकरण और अल्पसंख्यकवाद को बढ़ावा दिया गया।
  • विभाजन के बाद भी देश को वास्तव में एकजुट करने के बजाय “सेक्युलरिज़्म” के नाम पर मुस्लिम appeasement की राजनीति चलाई गई।

परिणाम: हिंदू समाज लगातार हाशिये पर गया और कांग्रेस की राजनीति का केंद्र केवल मुस्लिम वोट-बैंक और परिवारवाद रह गया।

3. अगर पटेल प्रधानमंत्री होते…

इतिहास गवाह है कि पटेल की सोच और कार्यशैली भारत को एकजुट करने वाली थी। हैदराबाद और जूनागढ़ जैसी रियासतों का भारत में विलय पटेल की दृढ़ इच्छाशक्ति का परिणाम था।

यदि पटेल प्रधानमंत्री होते, तो—

  • भारत एक सशक्त हिंदू राष्ट्र के रूप में उभरता।
  • देश में मुस्लिम तुष्टिकरण की राजनीति पनपने का कोई अवसर नहीं मिलता।
  • भारत दशकों पहले विकसित राष्ट्र और विश्वगुरु बन चुका होता।
  • राष्ट्रीय सुरक्षा, संस्कृति और पहचान की रक्षा सर्वोच्च प्राथमिकता होती।

लेकिन दुर्भाग्य से कांग्रेस ने सत्ता और परिवारवाद के लिए देश को कमजोर किया।

4. कांग्रेस का असली चेहरा

कांग्रेस की राजनीति केवल सत्ता, भ्रष्टाचार और परिवार तक सीमित रही।

  • 70 वर्षों में कांग्रेस ने देश को घोटालों और भ्रष्टाचार से भर दिया।
  • सत्ता का उपयोग केवल गांधी-नेहरू परिवार की पकड़ मजबूत करने और मुस्लिम वोट-बैंक को खुश करने के लिए किया गया।
  • सचर कमेटी रिपोर्ट और कम्यूनल वायलेंस बिल जैसी योजनाओं का असली मकसद था भारत को धीरे-धीरे एक इस्लामिक राष्ट्र की ओर धकेलना।
  • यदि कांग्रेस की चालें सफल हो जातीं, तो आज भारत पाकिस्तान और बांग्लादेश की तरह एक गरीब, कट्टर और असफल राष्ट्र बन चुका होता।

5. हिंदू समाज पर असर

कांग्रेस की नीतियों का सबसे बड़ा शिकार हिंदू समाज हुआ।

  • हिंदुओं को लगातार दोषी ठहराया गया और उन्हें अपनी संस्कृति पर गर्व करने से रोका गया।
  • शिक्षा, मीडिया और राजनीति में हिंदू विरोधी नैरेटिव फैलाए गए।
  • जाति के नाम पर हिंदुओं को बांटा गया ताकि उनका वोट विभाजित हो और कांग्रेस मुस्लिम वोट-बैंक के सहारे सत्ता में बनी रहे।

यही कारण है कि हिंदू समाज आज भी अनेक समस्याओं से जूझ रहा है।

6. मोदी युग – भारत का पुनर्जागरण

सौभाग्य से समय ने करवट ली और देश को नरेंद्र मोदी जैसा निडर, ईमानदार और दूरदर्शी नेता मिला।

मोदी जी ने—

  • मुस्लिम तुष्टिकरण की राजनीति को खत्म किया।
  • हिंदुओं को उनका गौरव और आत्मविश्वास लौटाया।
  • भारत को दुनिया की तेज़ी से बढ़ती हुई अर्थव्यवस्था बनाया।
  • वैश्विक मंच पर भारत को सम्मान और नेतृत्व की स्थिति दिलाई।
  • रक्षा, अवसंरचना, टेक्नोलॉजी और अंतरिक्ष क्षेत्र में भारत को नई ऊँचाइयों पर पहुँचाया।

आज भारत—

  • विश्व की शीर्ष 3 वैश्विक शक्तियों में शामिल होने की राह पर है।
  • हिंदू समाज का आत्मसम्मान पुनः जागृत हुआ है।
  • राष्ट्रहित सर्वोपरि बन चुका है।

7. आज की जिम्मेदारी – पटेल की सोच और मोदी का नेतृत्व

इतिहास ने सिखाया है कि गलत नेता चुनने से पीढ़ियाँ बर्बाद हो जाती हैं।

  • 1947 की गलती का बोझ आज तक देश झेल रहा है।
  • अब हमारी जिम्मेदारी है कि हम जाति-पंथ से ऊपर उठकर हिंदू और राष्ट्रवादी सोच के साथ वोट करें।
  • हमें कांग्रेस और उसके साथियों के झूठे प्रचार, फेक नैरेटिव और मुस्लिम appeasement की राजनीति से बचना होगा।
  • मोदी जी की ईमानदारी, दूरदर्शिता और राष्ट्रभक्ति ही वह शक्ति है जिसने भारत को बचाया और आगे सुपरपावर बनाएगी।

गांधीजी की ज़िद और नेहरू की ताजपोशी भारत के इतिहास की सबसे बड़ी भूल थी।
इस भूल ने मुस्लिम appeasement की राजनीति को जन्म दिया और हिंदुओं को हाशिये पर धकेला।

लेकिन आज मोदी जी ने भारत को सही रास्ते पर ला दिया है।

👉 अब समय है कि हिंदू समाज एकजुट होकर मोदी जी के नेतृत्व में भारत को विश्वगुरु और महाशक्ति बनाने की दिशा में आगे बढ़ाए।
यही सच्ची श्रद्धांजलि होगी सरदार पटेल को और यही हमारी आने वाली पीढ़ियों के लिए सबसे बड़ा योगदान होगा।

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