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जागरूकता

जागरूकता से मेरी वैचारिक परिवर्तन यात्रा

मात्र 10-12 वर्ष पहले, मैं भी एक सामान्य व्यक्ति था। मेरे लिए “नेहरू”, “गांधी”, “गांधी परिवार” और “हिंदू-मुस्लिम भाईचारा” जैसे नारे न तो अच्छे लगते थे, न बुरे। इनसे जुड़ा एक सामान्य रुख था—तटस्थता। लेकिन समय के साथ, मैंने महसूस किया कि यह तटस्थता दरअसल अज्ञानता थी।

मेरा परिवर्तन: सत्य की खोज में पहला कदम

इन 10-12 वर्षों में, विभिन्न माध्यमों, विशेषकर सोशल मीडिया, से कुछ ऐसे सत्य सामने आए, जो न केवल हैरान करने वाले थे, बल्कि मेरे दृष्टिकोण को पूरी तरह बदलने वाले भी थे।

जागृति के मुख्य पड़ाव

पत्रकारिता की सच्चाई:

निष्पक्ष पत्रकारिता का जो मुखौटा मुझे दिखाया गया था, वह झूठा निकला। पत्रकार किसी न किसी व्यक्तिगत स्वार्थ, विचारधारा, या एजेंडा से जुड़े होते हैं।

साहित्यकार और बुद्धिजीवियों की असलियत:

लेखक और साहित्यकार भी पूरी तरह निष्पक्ष नहीं होते। यहाँ तक कि बड़े पुरस्कार पाने वाले बुद्धिजीवी भी एक खास विचारधारा को बढ़ावा देते हैं।

फिल्म उद्योग का सच:

बॉलीवुड के नाम पर हमारी संस्कृति, परंपरा और धर्म को धीरे-धीरे खत्म करने की कोशिशें की गईं।

सनातन धर्म का महत्व:

यह समझ आया कि हिंदू धर्म, जिसे “सनातन धर्म” कहा जाता है, केवल एक धर्म नहीं, बल्कि एक जीवनशैली है। हिंदुस्तान का नाम भी इसी आधार पर पड़ा।

झूठा इतिहास:

स्कूल और कॉलेज में हमें झूठा इतिहास पढ़ाया गया। जिन लोगों ने भारत को लूटा, अत्याचार किया, उन्हें “महान” बताया गया।

मुगल आक्रमण और उनके अत्याचार:

बाबर, औरंगजेब, अकबर और टीपू सुल्तान जैसे शासकों को “महान” कहा गया, जबकि वे हिंदुओं के सबसे बड़े नरसंहारक थे।

धर्मांतरण का षड्यंत्र:

ईसाई मिशनरी और धर्मांतरण की कोशिशें, खासकर मदर टेरेसा के कामों का असली मकसद, अब साफ हो चुका है।

गजवा-ए-हिंद और लव जिहाद का सच:

यह जानकर हैरानी हुई कि गजवा-ए-हिंद और लव जिहाद जैसे शब्द और विचार हिंदुओं के खिलाफ कितने खतरनाक रहे हैं।

राजनीतिक षड्यंत्र:

नेहरू, गांधी, और अन्य नेताओं की असलियत अब उजागर हो चुकी है। तुष्टिकरण, विभाजन, और हिंदुओं के अधिकारों की अनदेखी जैसे मुद्दे सामने आए।

सेक्युलरिज्म का पर्दाफाश:

सेक्युलरिज्म के नाम पर केवल हिंदुओं को निशाना बनाया गया। मुस्लिम और ईसाई पर्सनल लॉ को बनाए रखना और हिंदू पर्सनल लॉ को खत्म करना इसका बड़ा उदाहरण है।

न्याय प्रणाली की सच्चाई:

यह समझ में आया कि न्यायपालिका भी पूरी तरह निष्पक्ष नहीं है। कई बार डर, दबाव, या विचारधारा के कारण न्याय की उम्मीद टूट जाती है।

हमारे लिए संदेश

यह समय है जागने का।

  • सत्य को जानें: इतिहास और वर्तमान के सच को जानने के लिए खुद पढ़ें और शोध करें।
  • स्वयं विचार करें: दूसरों के विचारों पर निर्भर न रहें। अपने विवेक का इस्तेमाल करें।
  • सनातन धर्म को अपनाएं: यह न केवल एक धर्म है, बल्कि जीवन जीने की कला है।

करने योग्य कार्य

अपनी जड़ों से जुड़ें:

  • अपने धर्म और संस्कृति का गहन अध्ययन करें।
  • अपने बच्चों और परिवार को सनातन मूल्यों की शिक्षा दें।

सत्य की खोज करें:

  • सोशल मीडिया का उपयोग ज्ञान प्राप्त करने के लिए करें, न कि मनोरंजन के लिए।
  • हर चीज़ पर सवाल उठाएं और सत्य तक पहुंचने की कोशिश करें।

एकजुट हों:

युवा शक्ति ही बदलाव लाएगी

मित्रों, अब वह समय आ गया है, जब हमें केवल दर्शक नहीं, बल्कि परिवर्तन के वाहक बनना होगा। यह देश हमारा है, हमारी संस्कृति हमारी पहचान है, और सनातन धर्म हमारी आत्मा है।
यदि हमने अब भी आंखें मूंदी रखीं, तो आने वाली पीढ़ियां हमें कभी माफ नहीं करेंगी।
वंदे मातरम! जय सनातन धर्म!

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