आज की दुनिया में शांति, सुरक्षा और सभ्यता के लिए सबसे बड़ा खतरा किसी परंपरागत युद्ध या सेना से नहीं है, बल्कि एक विचारधारा से है — जिसे हम ‘कट्टर इस्लामिक जिहादी मानसिकता’ कहते हैं।
यह विचारधारा असहिष्णुता, हिंसा और विनाश को धर्म के नाम पर उचित ठहराती है और गैर–मुस्लिमों (काफिरों) को समाप्त करने को धार्मिक कर्तव्य मानती है।
इस जिहादी मानसिकता में आतंकवाद, हत्याएं, आत्मघाती हमले और मासूमों की निर्मम हत्या को जिहाद कहकर गौरवान्वित किया जाता है। इसका लक्ष्य सह-अस्तित्व नहीं, बल्कि आतंक के बल पर प्रभुत्व स्थापित करना है।
❗ योजनाबद्ध कट्टरता: यह अचानक नहीं हुआ
यह विचारधारा किसी संयोग से नहीं पनपी है। यह एक सुनियोजित योजना के तहत विकसित की जाती है, विशेषकर निम्न माध्यमों से:
- कट्टर मदरसे: जहाँ बच्चों को केवल धर्मांधता, नफरत और जिहाद की शिक्षा दी जाती है। आधुनिक, वैज्ञानिक और नैतिक शिक्षा का अभाव होता है।
- रूढ़िवादी मस्जिदें: जिन्हें पूजा स्थल के बजाय घृणा और विद्रोह के अड्डों के रूप में उपयोग किया जाता है, जहाँ युवाओं को भारत विरोधी सोच से लैस किया जाता है।
- डिजिटल प्लेटफॉर्म और सोशल मीडिया: जो वैश्विक स्तर पर युवाओं को कट्टरता और आतंकवाद की ओर आकर्षित करते हैं।
इन सबके पीछे विदेशी आतंकवादी नेटवर्कों और इस्लामिक संगठनों की भारी फंडिंग होती है, जो मानवता के नाम पर मानवता का ही खात्मा कर रहे हैं।
👩🦰 महिलाएं: इस व्यवस्था की सबसे बड़ी पीड़िता
- कट्टर इस्लामिक समाजों में महिलाएं केवल एक प्रजनन यंत्र के रूप में देखी जाती हैं:
- उन्हें शिक्षा, स्वतंत्रता और सम्मान से वंचित रखा जाता है।
- बाल विवाह, बहुपतित्व, तीन तलाक, पर्दा प्रथा और शोषण को धार्मिक कर्तव्य बताकर जायज़ ठहराया जाता है।
- इन महिलाओं से पैदा हुए बच्चे, फिर मदरसे और मस्जिदों में जिहादी विचारधारा से लैस किए जाते हैं, ताकि वे भविष्य में धर्म के नाम पर मरने–मारने को तैयार सस्ते सैनिक बन सकें।
यह केवल जनसंख्या वृद्धि नहीं बल्कि एक रणनीतिक “जनसंख्या जिहाद” है — जो समाज की संरचना को भीतर से बदलने के लिए चलाया जा रहा है।
🕌 समाधान क्या है – राष्ट्र और सभ्यता की सुरक्षा सर्वोपरि
मानवता और विश्व शांति की रक्षा के लिए आवश्यक है कि:
- हर उस मदरसे और मस्जिद को चिन्हित कर बंद किया जाए जो आतंक की फैक्ट्री बन चुकी है।
- विदेशी फंडिंग पर प्रतिबंध लगे, और जो भी पैसा आए वो पारदर्शी तरीके से जांचा जाए।
- घृणा फैलाने वाले मौलवियों और धर्मगुरुओं को प्रतिबंधित किया जाए, जो युवाओं को भड़काते हैं।
- जो मुसलमान कट्टरता का विरोध करना चाहते हैं, उन्हें सरकार और समाज से सुरक्षा और समर्थन मिले।
- हर क्षेत्र में आधुनिक, मूल्य आधारित शिक्षा को बढ़ावा दिया जाए और कट्टर सोच को शिक्षा के माध्यम से समाप्त किया जाए।
🌐 विभिन्न देशों की प्रतिक्रियाएं – कौन क्या कर रहा है?
- चीन, जापान, म्यांमार जैसे देशों ने इस्लामी कट्टरता को उभरने से रोकने के लिए धार्मिक गतिविधियों पर सख्त नियंत्रण लगाया।
- भारत और इज़राइल हर दिन आतंक का सामना कर रहे हैं, लेकिन बहादुरी से जूझ रहे हैं।
- यूरोप और अमेरिका ने इस समस्या को नजरअंदाज किया, मानवाधिकार के नाम पर आतंक को पनपने दिया — अब वहीं बम धमाके, गैंग बलात्कार और गली–मोहल्लों में बर्बादी हो रही है।
✊🏾 एक वैश्विक एकजुटता की आवश्यकता
अब केवल निंदा और चिंता से काम नहीं चलेगा। दुनिया को:
- एकजुट होकर जिहादी मानसिकता के खिलाफ मोर्चा खोलना होगा, जैसे कभी नाजीवाद और कम्युनिज्म के खिलाफ लड़ा गया था।
- जिहाद को मानवता के खिलाफ अपराध घोषित करना होगा।
- ‘जनसंख्या जिहाद’, कट्टरता और धार्मिक युद्ध की रणनीति को स्पष्ट रूप से समझना और जवाब देना होगा।
भारत और इज़राइल जैसे राष्ट्रों का समर्थन करना होगा, जो सबसे आगे खड़े हैं।
मुसलमानों के खिलाफ नहीं, कट्टर जिहाद के खिलाफ संघर्ष
यह संघर्ष इस्लाम या मुसलमानों के खिलाफ नहीं है, बल्कि उन कट्टरपंथियों के खिलाफ है जिन्होंने इस्लाम को हथियार बना लिया है, और शांतिप्रिय मुसलमानों की आवाज को भी दबा दिया है।
आज दुनिया को डर और भ्रम से बाहर निकलकर, साहस, संकल्प और एकता के साथ जिहाद और आतंकवाद का पूर्ण विनाश करना होगा।
यही एकमात्र रास्ता है जिससे हम धरती माता को आतंकवाद से मुक्त करा सकते हैं।
🇮🇳जय भारत, वन्देमातरम 🇮🇳
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